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विस्तार से समझें टैक्स कितने प्रकार के होते हैं?

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भारत मे कर केंद्र व राज्य दोनो के द्वारा वसूले जाते है। मुख्यतः दो प्रकार के कर/ टैक्स है :-

प्रत्यक्ष कर/ डायरेक्ट टैक्स – जो प्रत्यक्ष रूप से लिया जाता है।
अप्रत्यक्ष कर / इंडिरेक्ट टैक्स – जो सरकार अप्रत्यक्ष रूप से लेती है।

प्रत्यक्ष कर – प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जिसका भुगतान व्यक्ति या कानूनी संस्था को सीधे सरकार को करना होता है| प्रत्यक्ष करों को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा अनदेखा किया जाता है। प्रत्यक्ष करों को किसी अन्य व्यक्ति या कानूनी संस्था को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है|आय कर, कैपिटल गेनस टैक्स, सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स, कॉर्पोरेट कर और गिफ्ट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के प्रकार हैं|

अप्रत्यक्ष कर – सेवाओं और उत्पादों पर लगाए जाने वाले कर को अप्रत्यक्ष कर कहा जाता है| अप्रत्यक्ष कर सेवा या उत्पाद के विक्रेता द्वारा एकत्र किए जाते हैं| कर उत्पादों और सेवाओं की कीमत में जोड़ा जाता है| यह उत्पाद या सेवा की कीमत को बढ़ाता है|वर्तमान में सरकार द्वारा केवल एक अप्रत्यक्ष कर लगाया जाता है| इसे GST या गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कहा जाता है|

GST : यह एक उपभोग कर है जो भारत में सेवाओं और वस्तुओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। किसी भी सामान या मूल्य वर्धित सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया का हर चरण जीएसटी लागू होने के अधीन है। यह उन पार्टियों को वापस किया जाना है जो उत्पादन प्रक्रिया में शामिल हैं (और अंतिम उपभोक्ता नहीं)।

जीएसटी के परिणामस्वरूप अन्य प्रकार के करों और शुल्कों जैसे कि मूल्य वर्धित कर (वैट), ऑक्ट्रोई, सीमा शुल्क, केंद्रीय मूल्य वर्धित कर (CENVAT), साथ ही सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क समाप्त हो गए। जिन उत्पादों या सेवाओं पर जीएसटी के तहत कर नहीं लगाया जाता है, वे हैं बिजली, मादक पेय और पेट्रोलियम उत्पाद। व्यक्तिगत राज्य सरकारों द्वारा पिछले कर व्यवस्था के अनुसार इन पर कर लगाया जाता है।

कल्पेश रावल का एक लेख पढ़ा आप खुद ही देख के अंदाजा लगा सकते हैं की एक आम आदमी डेली लाइफ में कितनी जगह टैक्स देता है।

जब आमदनी रिकार्ड में दर्ज हो तो उस पर कर की चोरी जोखिम भरी है। जो ट्रांसेक्शन रिकार्ड पर है उसे कभी भी विभाग चैक कर सकता है। यही स्थिति अन्य करों की है। जिन लोगों की आमदनी या बिक्री नगद होती है जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं बनता वो अपनी मर्जी से कर देते हैं। यानि कर की चोरी कर सकते हैं।

लेकिन आयकर और अन्य विभागों के पास कई जगह से सुचना इकठ्ठा करने की शक्ति है। खुदरा दुकानदार ने ये सोच कर बिक्री नहीं दिखाई कि माल रास्ते में चेक नहीं हुआ, बिक्री नगद हुई है जिसका जमा खर्च नहीं किया तो कर की चोरी करना आसान है। पर कई बार माल बनाने वाले की बही आदि से सूचना मिल जाती है जो यह दिखाती है कि माल कहाँ बेचा गया है।

लेकिन यह रेस चलती रहती है। सरकार ने अब इ वे बिल का कानून इसीलिए बनाया है ताकि जो भी माल गाड़ी से कहीं जाये उसका विवरण कर विभाग को अपलोड कर दिय जाये। इससे कर चोरी बहुत कठिन हो जएगी। 

प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)

प्रत्यक्ष कर उसे कहा जाता है जिनके मौद्रिक तथा वास्तविक बोझ अर्थात कर से उत्पन्न होने वाला प्रभाव Impact तथा Incidence (करापात) उसी व्यक्ति पर पड़ते हैं, जिनके ऊपर सरकार कर लगाती है।जब आप Return भरते है या आपकी Salery से सीधे सरकारी खजाने में यह टैक्स चला जाता है। प्रत्यक्ष कर जैसे आय कर। ये कर आपकी जेब से सीधा सरकारी ख़ज़ाने में जाता है। या तो आपको किसी प्रकार की आय – जैसे तनख्वाह, बैंक ब्याज, किराया आदि देने वाले यह कर काट कर सीधे सरकारी ख़ज़ाने (बैंक) में जमा करा कर आपको टीडीएस सर्टिफिकेट दे देते हैं या फिर आपको खुद ये कर बैंक में जमा कर अपनी कर की विवरणी (रिटर्न) में दिखाना होता है।

केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष कर

व्यक्तिगत आयकर
उपहार कर
निगम कर
आस्ति कर (Estate Duty)
व्यय कर
संपत्ति कर
लाभांश कर
ब्याज कर

राज्य सरकार के प्रत्यक्ष कर

होटल प्राप्तियो पर कर
भू-राजस्व कर
कृषि आय पर कर
व्यवसाय कर
गैर शहरी सम्पत्तियों पर कर
पथ कर
रोजगार कर
केंद्र सरकार के अप्रत्यक्ष कर
सीमा शुल्क
केंद्रीय उत्पाद शुल्क
केन्द्रीय बिक्री कर
सेवा कर (1994 -95 से)

दूसरा होता अप्रत्यक्ष कर जैसे G S T, बिक्री कर, VAT, एक्साइज ड्यूटी आदि। यह बहुधा हम वस्तु की कीमत के साथ अदा करते हैं। इसका इकठ्ठा करने, जमा करने, अडजस्मेंट लेने आदि का तरीका थोड़ा उलझा हुआ है।

राज्य सरकार के अप्रत्यक्ष कर

बिक्री /व्यापार कर
राज्य उत्पाद शुल्क
वाहनों पर कर
विज्ञापन कर
शिक्षा उपकर
डीज़ल पेट्रोल पर कर
Note :- वर्तमान में सरकार द्वारा केवल एक ही अप्रत्यक्ष कर लगाया जाता है वो है “GST”।

एक बात और। छोटा व्यापारी कर की चोरी करता है लेकिन उसका लाभ ग्राहक को पास कर देता है। डरता है। चोर कहलाता है। आयकर की चोरी करता है। पूंजी नहीं बनती। बड़े मॉल पूरा कर देते हैं फिर भी दस प्रतिशत या उससे भी ऊपर डिस्काउंट दे देते हैं। वास्तव में वैट या जी एस टी में पिछले दिए कर पर एडजस्टमेंट मिल जाती है और केवल कुछ भाग पर ही अतिरिक्त कर देना पड़ता है। पूरा कर दें, पूरा कमाएं , तनाव मुक्त रहें।

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