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एक दौर ऐसा भी था जब संजय दत्त और मिथुन चक्रवर्ती के बीच में वर्चस्व की लड़ाई थी

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आज मिथुन चक्रवर्ती और संजय दत्त के बीच अच्छी दोस्ती है लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब बॉलीवुड में एक तरफ़ मिथुन चक्रवर्ती, राजकीरण और दूसरी तरफ़ संजय दत्त, कुमार गौरव को लेकर नेपोरिज्म पर बहस छिड़ गई थी… लेकिन उस बहस की उमर बहुत कम थी लेकिन कुछ खबरों के अनुसार संजय दत्त और मिथुन चक्रवर्ती के बीच में वर्चस्व की लड़ाई दिखाई दी….।

हालाके इस लड़ाई का तो अंत दिखाई नहीं देता बहरहाल संजू और मिथुन की वजह से सुनील दत्त साहब का बड़ा नुकसान हो गया था और उन्हें अपनी एक फ़िल्म बंद करनी पड़ गई थी… ये किस्सा मैं आपको फिर कभी सुनाऊंगा आज मिथुन चक्रवर्ती और संजय दत्त का एक और किस्सा याद आ रहा है तो चलिए शुरू करते हैं..।

दरअसल नाम फ़िल्म की कामयाबी के बाद संजू और मिथुन के वर्चस्व की लड़ाई फिर से शुरू हो गई ..जब संजू और मिथुन ने ..जीते हैं शान से और इलाका जैसी फिल्मों में एक साथ काम किया तो फिर से वही उनके वर्चस्व की बहँस छिड़ गई के इन दोनो स्टारों में इस फिल्म का मुख्य अभिनेता कौन है और कौन एक्टर सेकंड लीड रोल का दावेदार होगा…या फिल्म में सहायक कलाकार कौन होगा ..और इस बात पर भी बहस गरमा रही थी फिल्मों की सफलता का श्रेय किसे मिलना चाहिए…लेकिन कितनी ही कोशिशों के बावजूद पूरे 80 के दौर में मिथुन चक्रवर्ती, संजे दत्त से बड़े स्टार बने रहे..।

क्योंकि वो अपने काम के प्रति समर्पित थे और उनकी कीमत भी बदती जा रही थी और दूसरी तरफ़ संजय दत्त एक अमीर और कामयाब पिता के बेटे थे तो जाहिर है उनकी जिंदगी थोड़ा अलग थी..पैसों की कोई कमी नहीं थी और ज्यादा पैसा बुराइयां भी खूब अपने साथ लाता है और जिसकी वजह से एक अच्छा खासा इंसान भी कमजोर दिखाई देता है और इसी वजह से वो अपने लक्ष्य से दूर होता चला जाता है…संजू के साथ भी ऐसा ही हुआ..उसकी बेलगाम और बेहूदा हरकतों की वजह से वो फिल्मों से दूर होता और बुराइयों के नजदीक होता चला गया…।

और कहीं जाकर साल 1991 में संजू को एक अच्छे अभिनेता के तौर पर पब्लिक ने कबूल किआ …लेकिन कहते हैं के जब साल 1993 में मुंबई के सीरियल ब्लास्ट में संजय दत्त का नाम आया और उन्हे behind the bars जाना पड़ा तो संजय दत्त की वजह से बॉलीवुड के सभी स्टार्स या एक्टर्स को उनके साथ ही घसीटा जा रहा था…और संजय दत्त के साथ साथ मिथुन चक्रवर्ती के नाम का भी बैंड बजाया जा रहा था… शिव सेना की पत्रिका सामना में तो यहां तक छप रहा था के पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री के दाऊद इब्राहिम के साथ संबंध हैं, और हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री दाऊद इब्राहिम के कब्जे में हैं..।

ऐसी खबरों से मिथुन सदमे में आ गए और उन्होंने बाला साहेब ठाकरे से मिलने का मन बनाया और वे जाकर मिले भी और उन्होंने अपनी और बॉलीवुड की स्थिति स्पास्ट करते बाला साहेब ठाकरे से आग्रह किया और कहा के हमे ऐसा लग रहा है के जैसे हम सब भी इस जुर्म में भागीदार हो..।

काफी मानने के बाद बाला साहेब ठाकरे जी ने मिथुन चक्रवर्ती की बात सुनी और उन्हे आश्वस्त किया के आगे सब कुछ ठीक हो जायेगा.. और तब जाकर कुछ दिनों बाद संजू की जमानत हो पाई जिसमे शत्रुघ्न सिन्हा, राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त साहब ने तो भूमिका निभाई ही थी साथ में मिथुन चक्रवर्ती का भी एक छोटा सा यही योगदान था।

समय कैसे बदलता है इस उधारण से ये स्पष्ट होता है.. तो हो सकता है के अगर आप आज किसी को पसंद नही करते या आज आपका कोई इंसान प्रतिद्वंदी हो लेकिन आने वाले कल में को आपका शुभचिंतक भी हो सकता है और परदे के पीछे से आपकी मदद कर सकता है ।

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