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शनि देव की आराधना में प्रयुक्त कुछ मंत्र और उनका महत्त्व

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सुख और सफलता पाने के लिए शनि देव का आशीर्वाद बेहद जरुरी माना गया है. शनि देव को प्रसन्न करना है तो उनके प्रिय मंत्र का जाप करें, ये हर समस्या का समाधान कहलाता है. शनि नौ ग्रहों में 7वें स्थान पर हैं। शनि को प्रत्येक राशि से गुजरने में लगभग 2-2.5 वर्ष लगते हैं (जिन्हें ढैय्या/ढैया कहा जाता है) प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए व्यक्ति विशिष्ट शनि मंत्रों का जाप कर सकता है।

🍀 ॐ शं शनैश्चराय नम:॥

शनि महादशा/साढ़ेसाती/कमजोर शनि में प्रभावी

🍀 ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:॥

यह बीज मंत्र अत्यंत शक्तिशाली है और दुखों और समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इस मंत्र का जाप 1, 3, 9, 27 या 108 बार कर सकते हैं।

🍀 ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः॥

पापों का प्रायश्चित करने हेतु वैदिक मन्त्र.

🍀 ॐ भग-भवाय विदमहे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात् ॥

कुंडली में शनि के नकारात्मक प्रभाव को शांत करने के लिए शनि गायत्री मंत्र

🍀 ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

शनि को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हनुमान जी की उपासना जरूर करनी चाहिए। इसलिए शनिवार के दिन शनि देव की पूजा के साथ-साथ हनुमानजी की पूजा भी करें। इस विशेष दिन पर सूर्यास्त के बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ अवश्य करें।

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

ये शनि देव का प्रिय मंत्र कहलाता है. मान्यता है कि रोजाना, खासकर शनिवार के दिन 108 बार इसके जाप से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव में कमी आती है. धन की परेशानी दूर होती है.

ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।

शनि दोष निवारण के लिए ये मंत्र बेहद फलदायी माना गया है. शनि देव के समक्ष इसका एक माला जाप करने से व्यापार-नौकरी में आ रही समस्या खत्म होती है.

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है वह निरंतर इस मंत्र का जाप करते हुए शनि देव की पूजा करें. ऐसा करने पर अमोघ फल मिलता है. मानसिक और शारीरिक पीड़ा दूर होती है.

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः

जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है वह निरंतर इस मंत्र का जाप करते हुए शनि देव की पूजा करें. ऐसा करने पर अमोघ फल मिलता है. मानसिक और शारीरिक पीड़ा दूर होती है.

                                              ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।                                                 

शनि देव का गायत्री मंत्र भौतिक सुख प्रदान करने वाला माना गया है. इससे शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव नहीं झेलने पड़ते. शनि देव जल्द प्रसन्न होते हैं.

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