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कथक के उस्ताद पंडित बिरजू महाराज ने एक बार कहा था कि- “खजुराहो एक ऐसी जगह है जहां मंदिर और मन की साधना के मंदिर का मिलन होता है।” चंदेलों के गांव, जहां भारत की नृत्य शैलियां बेहद खूबसूरत अंदाज़ में पेश की जाती हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत की ये अद्भुत झांकी संस्कृति विभाग के उत्सव में साल में सिर्फ एक बार ही देखी जा सकती है।
नृत्यों का ये समारोह भारतीय संस्कृति को समझने का प्रवेश द्वार है। ये खजुराहो है। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बसा खजुराहो. विंध्य के घने जंगलों में खड़े पहाड़ों की तलहटी में बिखरी झीलें एक तरफ इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं तो पत्थरों की ये मूर्तियां चंदेल काल के इतिहास की गवाही देती हैं, हमें नज़दीक बुलाती हैं।
हर साल फरवरी-मार्च में यहां नृत्य महोत्सव होता है। करीब 4 दशक पहले इसे स्थापित करने के पीछे सोच ये थी कि देश की सांस्कृतिक विरासत को विस्तार दिया जा सके। भारत के जाने-माने कलाकार कुचिपुड़ी, कथक, ओडिसी, भरतनाट्यम, मणिपुरी और मोहिनीअट्टम जैसे भारतीय शास्त्रीय नृत्यों का प्रदर्शन करते हैं।
यहां नृत्य करना कलाकारों के लिए अलग अनुभव और सम्मान की बात है। भारत की अलग-अलग कलाओं पर आधारित आर्ट मेला भी सैलानियों को खूब लुभाता है। ये सुहाना मंज़र सपनों की तरह लगने वाला अहसास है. जो आंखों से उतरकर मन की गहराइयों में उतरता है।
पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व के कारण यूनेस्को ने खजुराहो को विश्व धरोहर का नाम दिया है और वाक़ई यहां से सत्यम शिवम सुंदरम का आध्यात्मिक संदेश दुनिया तक पहुंचता है।