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भगवान श्रीकृष्ण की कभी नहीं हुई अंत्येष्टि

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भगवान श्रीकृष्ण किसी भी श्राप के अधीन नहीं हैं। वे परब्रह्म हैं, उनके ऊपर कोई नहीं। जहाँ जो भी घटता है वो भगवान की इच्छा से ही होता है। उन्होंने स्वयं कहा है-:- तू करता वही है जो तू चाहता है पर होता वही है जो मैं चाहता हूँ। – भगवान श्रीकृष्ण

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट काफी वायरल हो रहा है। जो एकदम पूरी तरह से गलत है इसमें कहा जा रहा है कि श्रीकृष्ण की अंत्येष्टि के बाद उनका ह्रदय अग्नि मे नहीं जला और वह हृदय ही जगन्नाथ जी की मूर्ति में ब्रह्म द्रव्य के रूप में रखा जाता है।

यह बात पूर्णरूपेण सरासर गलत है। क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की कभी अंत्येष्टि हुई नहीं,ना ही कभी उनके शरीर को अग्नि ने अंत्येष्टि। के लिए छुआ। अब जब अंत्येष्टि हुई ही नहीं तब ह्रदय के न जलने की बात तो कहीं से भी नहीं आती। लोग भी शास्त्र ज्ञान न होने के कारण पता नहीं इन सब निरर्थक बातों को वायरल कर देते हैं जिससे लोगों की धारणा ही बन जाती है।

आइए देखते हैं भागवत महापुराण इस विषय में क्या कहता है।

सर्वव्यापक भगवान श्री कृष्ण ने ब्रह्माजी और अपने विभूति स्वरूप देवताओं को देखकर अपने स्वरूप को आत्मा में स्थित किया और कमल के समान नेत्रों को बंद कर लिया।
(श्रीमद्भागवत महापुराण 11/31/5)🚩🚩

उन्होंने योगियों के समान अग्नि देवता संबंधित योग धारणा द्वारा अपने शरीर को जलाया नहीं बल्कि सशरीर अपने धाम को चले गए।
(श्रीमद्भागवत महापुराण 11/31/6)🚩🚩

यहां साफ-साफ लिखा है कि भगवान का शरीर कभी जलाया कि नहीं गया, और वैसे भी विचार किया जाए तो मृत्यु उसी की होती है जिसका जन्म योनि के द्वारा हुआ है भगवान को अयोनिज कहा जाता है अर्थार्त उनका जन्म योनि के द्वारा नही होता है वह तो चतुर्भुज रूप मे पहले प्रकट होते है और फिर शिशु रूप मे परिवर्तित हो जाते है।
इसलिए संत कहते है – 🍁🍁भए प्रकट कृपाला दीनदयाला।🍁🍁

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