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रामगोपाल वर्मा की नौ फ्लाप फिल्में जिनसे दर्शकों ने कर ली थी तोबा

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रामगोपाल वर्मा की 09 सबसे बुरी फिल्में। जी हां, शिवा, सत्या, रंगीला, सरकार, कंपनी, सरकार जैसी शानदार फिल्म बनाने वाले रामगोपाल वर्मा ने कुछ ऐसी फिल्में भी बनाई हैं जिन्हें बहुत बेकार और बुरी फिल्म होने का दर्जा मिला। आज रामगोपाल वर्मा का जन्मदिन है।

07 अप्रैल 1962 को विजयवाड़ा में रामगोपाल वर्मा का जन्म हुआ था। तो रामगोपाल वर्मा को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनकी बनाई कुछ बहुत बुरी फिल्मों को याद करते हैं। इसलिए ताकि रामगोपाल वर्मा फिर से ऐसी फिल्में ना बनाएं। वही फिल्में बनाएं जिनके लिए वो किसी वक्त पर जाने जाते थे। नोट: हो सकता है इस लिस्ट की कुछ फिल्में आपको पसंद आई हों। इसलिए बुरा ना मानिएगा।

डिपार्टमेंट

2012 में आई डिपार्टमेंट में अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, राना दगुबत्ती और दीपक तिजोरी जैसे कलाकार थे। ये फिल्म देखकर आपके सर में दर्द हो जाएगा। ऐसा लगेगा जैसे इसे फिल्माते वक्त कैमरामैन ने खूब सारी शराब पी रखी हो। बहुत खराब सिनेमैटोग्राफी इस फिल्म में दिखी। जबकी इतने बड़े और नामी एक्टर्स की एक्टिंग भी बहुत निचले स्तर पर दिखी।

रामगोपाल वर्मा की आग

1991 में आई रामगढ़ के शोले नामक शोले की पैरोडी फिल्म भी इतनी बुरी नहीं होगी जितनी की रामगोपाल वर्मा की आग थी। इस फिल्म के बारे में एक क्रिटिक ने लिखा था कि कुछ आपदाएं प्राकृतिक होती हैं। और कुछ होती हैं मानव निर्मित। रामगोपाल वर्मा की आग मानव निर्मित आपदा है। और ये बात एकदम सही भी है। और रामू का भी कमाल देखिए, उन्होंने अमिताभ की ही कल्ट क्लासिक शोले को उसके सबसे बुरे रीमेक में कास्ट कर लिया।

नोट ए लव स्टोरी

ये फिल्म 2011 में आई थी। इसमें माही गिल, दीपक डोबरियाल, ज़ाकिर हुसैन और दर्शन जरीवाला जैसे कलाकार थे। ये फिल्म एक रियल लाइफ इंसिडेंट पर बनी थी। फिल्म को कई क्रिटिक्स ने तब बढ़िया रिव्यूज़ दिए थे। लेकिन आप खुद इस फिल्म को देखिए। आपको ये फिल्म अजीब ही लगेगी।

अज्ञात

ये बात सही है कि रामगोपाल वर्मा ने कुछ बढ़िया भूतिया फिल्में भी बनाई हैं। लेकिन अज्ञात, ये फिल्म वाकई में भूतिया है, इस पर डाउट होता है। कई लोग मज़ाक में इस फिल्म को देसी प्रिडेटर कहते हैं। समझ में नहीं आता कि ये फिल्म हंसाती है या डराती है। क्योंकि ये ना तो हंसी इस फिल्म को देखकर आती है और ना ही डर लगता है।

रक्त चरित्र 2

रक्त चरित्र का पहला भाग बढ़िया था। देखने लायक। लेकिन रक्त चरित्र 2 देखकर तो ऐसा लग मानो ज़बरदस्ती फिल्म की कहानी आगे खींची गई है। ताकि पहले भाग की सफलता को फिर से भुनाया जा सके। जहां पहली रक्तचरित्र का एक्शन मीनिंगफुल लग रहा था। तो वहीं दूसरी रक्तचरित्र का एक्शन बेफिज़ूल के वॉयलेंस से अधिक कुछ नहीं था।

डार्लिंग

कम लोग ही जानते होंगे कि 2007 में आई रामगोपाल वर्मा की डार्लिंग ब्लाइथ स्पिरिट नाम की एक हॉलीवुड फिल्म का रीमेक है। ब्लाइथ स्पिरिट साल 1945 में रिलीज़ हुई थी। और रामगोपाल वर्मा ने इसी फिल्म की थीम पर डार्लिंग बनाई थी। बस स्टोरी में चुपके से थोड़ा सा बदलाव कर दिया। लेकिन ये फिल्म ज़रा भी अच्छी नहीं बनी। पब्लिक ने भी इसे रिजेक्ट कर दिया।

कॉन्ट्रैक्ट

कहने को तो ये फिल्म टैररिज़्म की कहानी है। लेकिन फिल्म में दिखती है दो गैंग्स की आपसी रंजिश और दुश्मनी। वो भी एकदम खराब तरीके से प्रजेंट की गई। ये फिल्म 2007 में आई थी। और इस फिल्म में भी रामगोपाल वर्मा ने सिनेमैटोग्राफी का बेड़ा गर्क कर दिया।

फूंक

वैसे तो ये फिल्म कमर्शियल सक्सेफुल थी। लेकिन डर के नाम पर इसमें कुछ नहीं था। वैसे, बहुतों को ये फिल्म पसंद भी आई थी। और इसिलिए पहले ही मैंने लिख दिया था कि जिनको ये फिल्में पसंद आई हों वो बुरा मत मानना। मुझे ये फिल्म भी कुछ खास नहीं लगती। पता नहीं लोग इसे देखकर कैसे डर गए।

शिवा

ना ना। ये वो वाली शिवा नहीं है जिसमें नागार्जुन ने बहुत शानदार काम किया था। वो तो मास्टरपीस है। ये है 2006 की शिवा। जिसमें रामगोपाल वर्मा ने मोहित अहलावत को कास्ट किया था। मोहित अहलावत के लुक्स में तो कोई कमी नहीं थी। अच्छे दिखे भी थे वो। लेकिन रामगोपाल वर्मा उनसे एक्टिंग नहीं करा सके। और फिल्म फ्लॉप हो गई। 

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