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एक बार एक नन्हा बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर उससे फूल ख़रीद रहे थे। तभी अचानक एक सज्जन की नज़र उसके पैरों पर पड़ी।उसने पाया कि उस बच्चे के पैरों में जूते या चप्पल नहीं हैं। उसे बहुत दुःख हुआ।
वह भागकर गया, नज़दीक की ही एक दुकान से एक जूता लेकर आया और कहा-लो बेटा… जूते पहन लो , तुम्हारे पांव जल रहे होंगे ।
लड़के ने फटाफट जूते पहने, बड़ा खुश हुआ और उस आदमी का हाथ पकड़ कर कहने लगा- दादा, आप भगवान हो न…सच सच बताना ?
वह आदमी घबराकर बोला – नहीं… नहीं… बेटा , मैं भगवान नहीं।
फिर लड़का बोला- तब जरूर आप भगवान के दोस्त होंगे, क्योंकि मै कई दिनों से लगातार भगवान जी से विनती कर रहा था कि भगवान जी, धूप में मेरे पैर बहुत जलते हैं। मेरे लिए एक जूते की व्यवस्था कर दो औऱ आख़िर उन्होंने मेरी फ़रियाद सुन ली ।
उस आदमी ने बड़े प्यार से नन्हें बच्चे के सिर पर अपना हाथ फेरा औऱ उससे बोला….बेटा ,शायद तुम सही कह रहे हो, संभवतः भगवान ने ही मुझें यहाँ भेजा होगा ।
वह आदमी अपनी आंखों में पानी लिये मुस्कराता हुआ वहाँ से चला गया, पर अब वो जान गया था कि भगवान का दोस्त बनना ज्यादा मुश्किल नहीं है।
कुदरत ने दो रास्ते बनाए हैं….देकर जाओ या फिर छोड़कर जाओ……साथ लेकर के जाने की कोई व्यवस्था नहीं।