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क्या होता है कैपिटल गेन टैक्स ?

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क्या कैपिटल गेन (लांग टर्म) का टैक्स बचाने के लिए टैक्स का पैसा ही इन्वेस्ट करना होता है या पूरा पैसा जिससे टैक्स की गणना की गई है? अलग अलग सम्पत्तियों को बेचने पर होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानि दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के लिए अलग अलग प्रावधान हैं। आयकर अधिनियम 1961 की धारा 54 के तहत, आवासीय संपत्ति बेचने वाला एक व्यक्ति या एचयूएफ पूंजीगत लाभ से कर छूट का लाभ उठा सकता है यदि पूंजीगत लाभ आवासीय संपत्ति की खरीद या निर्माण में निवेश किया जाता है।

शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म :- जो लोग ज्यादा पैसा कमाते हैं, सरकार उनसे टैक्स भी ज्यादा लेती है. इक्विटी, इक्विटी म्युचुअल फंड (equity mutual fund) में वे ही लोग पैसा लगाते हैं जिनकी कमाई बहुत है और तमाम खर्चे करने के बाद अच्छी बचत हो जाती है। ऐसे में सरकार इस तरह के निवेश से होने वाली कमाई पर भी टैक्स लेती है. इस टैक्स को कैपिटल गेन टैक्स (Capital gain tax) कहते हैं. कैपिटल गेन टैक्स दो तरह का होता है, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. इन पर टैक्स की दर भी अलग-अलग होती है।

अगर आपने कोई शेयर खरीदा या फिर किसी म्युचुअल फंड में पैसा लगाया और उसे एक साल के भीतर ही उसे बेच दिया तो उससे होने वाली कमाई पर लगेगा 15 फीसदी टैक्स. चाहे आपका टैक्स स्लैब कोई भी हो। चाहे आप जीरो टैक्स में आते हों या फिर 30 फीसदी टैक्स वाले स्लैब में आते हैं, आपको शेयर या म्युचुअल फंड से होने वाली कमाई पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा।

साझेदारी फर्म, एलएलपी, कंपनियां या कोई अन्य संघ या निकाय जैसे करदाता धारा 54 के तहत कर छूट का दावा नहीं कर सकते हैं। उक्त धारा का लाभ उठाने के लिए जिन शर्तों को पूरा करने की आवश्यकता है, वे इस प्रकार हैं:

  • संपत्ति को दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
  • बेची गई संपत्ति एक आवासीय घर है। ऐसे घर से होने वाली आय हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय के रूप में वसूलनीय होनी चाहिए।
  • विक्रेता को बिक्री/हस्तांतरण की तारीख से 1 साल पहले या बिक्री/हस्तांतरण की तारीख के 2 साल बाद एक आवासीय घर खरीदना चाहिए। यदि विक्रेता घर का निर्माण कर रहा है, तो विक्रेता के पास एक विस्तारित समय होता है, अर्थात, विक्रेता को बिक्री/हस्तांतरण की तिथि से 3 वर्ष के भीतर आवासीय मकान का निर्माण करना होगा।
  • अनिवार्य अधिग्रहण के मामले में, अधिग्रहण या निर्माण की अवधि मुआवजे की प्राप्ति की तारीख से निर्धारित की जाएगी (चाहे मूल या अतिरिक्त मुआवजा)
  • नया आवासीय घर भारत में होना चाहिए। विक्रेता विदेश में आवासीय घर खरीद या खरीद नहीं सकता है और छूट का दावा नहीं कर सकता है।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
पहले लॉन्ग टर्म कैपिटल टैक्स बहुत ही आसान था. इसमें अगर आपने 1 साल तक कुछ नहीं बेचा तो कुछ भी टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन 2018 से सरकार ने इसमें कुछ बदलाव किए हैं. इसमें अब सरकार ने स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई को भी शामिल कर लिया है.

लंबी अवधि में किसी भी चल या अचल संपत्ति पर मिलने वाले प्रॉफिट पर लगने वाले टैक्‍स को लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स कहा जाता है. यह देश में पहले से ही मौजूद रहा है. 2018 से यह पहली बार स्‍टॉक मार्केट पर लगा है. इससे पहले यह प्रॉपर्टी समेत कई चीजों पर लगता रहा है. अलग-अलग सेगमेंट के हिसाब से लॉन्‍ग टर्म का कैलकुलेशन अलग-अलग होता है.

1 अप्रैल 2023 से धारा 54 से 54एफ के तहत पूंजीगत लाभ कर छूट 10 करोड़ रुपये तक सीमित होगी। पहले कोई दहलीज नहीं थी। उपरोक्त शर्तें संचयी यानि cumulative हैं। इसलिए, अगर एक शर्त पूरी नहीं होती है, तो भी विक्रेता धारा 54 के तहत छूट का लाभ नहीं उठा सकता है।

वित्त वर्ष 2019-20 के अनुरूप निर्धारण वर्ष 2020-21 से भारत में दो आवासीय घरों की खरीद के लिए पूंजीगत लाभ छूट उपलब्ध है। हालांकि, छूट 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होने वाले पूंजीगत लाभ के अधीन है। साथ ही, छूट विक्रेता के जीवनकाल में केवल एक बार उपलब्ध होती है।

आयकर अधिनियम की धारा 54 के तहत उपलब्ध छूट की राशि

लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ के लिए आयकर अधिनियम की धारा 54 के तहत छूट की राशि निम्न में से कम होगी:

  • आवासीय घर के हस्तांतरण पर उत्पन्न दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ, या
  • एक नए आवासीय घर की संपत्ति की खरीद या निर्माण में किया गया निवेश। इसलिए, शेष पूंजीगत लाभ (यदि कोई हो) कर योग्य होगा।

उपरोक्त से जाहिर है कि एक रेजिडेंशियल घर को बेच कर उत्पन्न हुए कैपिटल गेन के लिए छूट का दावा करने के लिए एक रेजिडेंशियल घर ही खरीदा या निर्माण किया जा सकता है! इस आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि अगर आपको रेजिडेंशियल घर के बेचने से हुए कैपिटल गेन के छूट का लाभ चाहिए तो उसके बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ को एक रेजिडेंशियल घर की खरीदी या निर्माण में ही निवेश की सालह दी जाती है। लेकिन एक वाणिज्यिक संपत्ति की बिक्री पर, उस पर अर्जित पूंजीगत लाभ को निम्नलिखित तरीकों से बचाया जा सकता है-

धारा 54एफ

यदि वाणिज्यिक संपत्ति की बिक्री से हासिल पूरी रकम (और न केवल पूंजीगत लाभ) एक नए आवासीय घर में निवेश किया जाता है, तो ऐसे पूंजीगत लाभ पर किसी भी कर के भुगतान से पूरी तरह से छूट दी जाती है।

निवेश करने की समय सीमा है:

  • बिक्री की तारीख से 1 वर्ष पहले, या
  • बिक्री की तारीख के 2 साल बाद, या
  • गृह संपत्ति के निर्माण के मामले में बिक्री की तारीख के 3 साल बाद।

एक वाणिज्यिक संपत्ति एक अचल संपत्ति को संदर्भित करती है जिसका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जाता है। जब कोई दुकान या कार्यालय भवन किराए पर दिया जाता है, तो ऐसी संपत्ति की बिक्री के मामले में, लाभ पर “पूंजीगत लाभ” के तहत कर लगाया जाता है, जबकि उस पर प्राप्त किसी भी किराए पर “गृह संपत्ति से आय” मद में कर लगाया जाता है। . वाणिज्यिक संपत्ति इस प्रकार, आम तौर पर एक इमारत को संदर्भित करती है जो घर का व्यवसाय करती है, जमीन जिसका उद्देश्य लाभ कमाना है, और बड़ी आवासीय किराये की संपत्तियां हैं।

आवासीय संपत्तियां घर या अपार्टमेंट हैं। ये एकल-परिवार के घर, टाउनहाउस, स्टूडियो आदि हो सकते हैं। ये घर व्यक्तिगत या परिवारों के रहने के उद्देश्य से हैं। अधिकांश लोग जो आवासीय संपत्ति में निवेश करते हैं, लेकिन खुद उसमें नहीं रहते हैं, वे इसे दूसरों को किराए पर देंगे, ताकि वे संपत्ति से आय अर्जित कर सकें। आपको जानना चाहिए कि इसके अलावा भो पूंजीगत लाभ होते हैं जो अन्य सम्पत्तियों को बेचने वे उत्पन्न होते हैं। जैसे शेयर, महँगे रत्न या धातु, जेवर आदि!

2018 के बजट में सरकार ने किया बदलाव
1 फरवरी को बजट में लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्‍स पर सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं. स्‍टॉक मार्केट से 1 साल की अवधि से ज्‍यादा वक्‍त में हुई 1 लाख रुपए से ज्‍यादा की कमाई पर सरकार 10 फीसदी के रेट से लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स वसूलेगी. इसके बाद अब शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड, दोनों से कमाई होने पर आपको 10 फीसदी का टैक्‍स देना होगा.

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