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रामायण पवित्र ग्रंथ है। इसकी कथा जितनी आदर्श है उसके पात्र उतने ही प्रेरणादायी। क्या आप रामायण के सभी पात्रों को जानते हैं, नहीं, तो यह जानकारी आपके लिए है। प्रस्तुत है रामायण के प्रमुख पात्र और उनका परिचय …
दशरथ – रघुवंशी राजा इन्द्र के मित्र कौशल के राजा तथा राजधानी एवं निवास अयोध्या
कौशल्या – दशरथ की बड़ी रानी, राम की माता
सुमित्रा – दशरथ की मंझली रानी, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न की माता
कैकयी – दशरथ की छोटी रानी, भरत की माता
सीता – जनकपुत्री, राम की पत्नी
उर्मिला – जनकपुत्री, लक्ष्मण की पत्नी
मांडवी – जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, भरत की पत्नी
श्रुतकीर्ति – जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, शत्रुघ्न की पत्नी
राम – दशरथ तथा कौशल्या के पुत्र, सीता के पति
लक्ष्मण – दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, उर्मिला के पति
भरत – दशरथ तथा कैकयी के पुत्र, मांडवी के पति
शत्रुघ्न – दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र श्रुतकीर्ति के पति, मथुरा के राजा लवणासूर के संहारक
शान्ता – दशरथ की पुत्री, राम भगिनी
बाली – किष्किन्धा (पंपापुर) का राजा, रावण का मित्र तथा साढ़ू, साठ हजार हाथियों का बल
सुग्रीव – बाली का छोटा भाई, जिनकी हनुमान जी ने मित्रता करवाई
तारा – बाली की पत्नी, अंगद की माता, पंचकन्याओं में स्थान
रुमा – सुग्रीव की पत्नी, सुषेण वैद्य की बेटी
अंगद – बाली तथा तारा का पुत्र ।
रावण – ऋषि पुलस्त्य का पौत्र, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा का पुत्र
कुंभकर्ण – रावण तथा कुंभिनसी का भाई, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा का पुत्र
कुंभिनसी – रावण तथा कुुंंभकर्ण की भगिनी, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा की पुत्री
विश्रवा – ऋषि पुलस्त्य का पुत्र, पुष्पोत्कटा-राका-मालिनी का पति
विभीषण – विश्रवा तथा राका का पुत्र, राम का भक्त
पुष्पोत्कटा – विश्रवा की पत्नी, रावण, कुंभकर्ण तथा कुंभिनसी की माता
राका – विश्रवा की पत्नी, विभीषण की माता
मालिनी – विश्रवा की तीसरी पत्नी, खर-दूषण, त्रिसरा तथा शूर्पणखा की माता ।
त्रिसरा – विश्रवा तथा मालिनी का पुत्र, खर-दूषण का भाई एवं सेनापति
शूर्पणखा – विश्रवा तथा मालिनी की पुत्री, खर-दूषण एवं त्रिसरा की भगिनी, विंध्य क्षेत्र में निवास ।
मंदोदरी – रावण की पत्नी, तारा की भगिनी, पंचकन्याओं में स्थान
मेघनाद – रावण का पुत्र इंद्रजीत, लक्ष्मण द्वारा वध
दधिमुख – सुग्रीव का मामा
ताड़का – राक्षसी, मिथिला के वनों में निवास, राम द्वारा वध।
मारिची – ताड़का का पुत्र, राम द्वारा वध (स्वर्ण मृग के रूप में)।
सुबाहू – मारिची का साथी राक्षस, राम द्वारा वध।
सुरसा – सर्पों की माता।
त्रिजटा – अशोक वाटिका निवासिनी राक्षसी, रामभक्त, सीता की अनुरागी त्रिजटा विभीषण की पुत्री थी।
प्रहस्त – रावण का सेनापति, राम-रावण युद्ध में मृत्यु।
विराध – दंडक वन में निवास, राम लक्ष्मण द्वारा मिलकर वध।
शंभासुर – राक्षस, इन्द्र द्वारा वध, इसी से युद्ध करते समय कैकेई ने दशरथ को बचाया था तथा दशरथ ने वरदान देने को कहा।
सिंहिका(लंकिनी) – लंका के निकट रहने वाली राक्षसी, छाया को पकड़कर खाती थी।
कबंद – दण्डक वन का दैत्य, इन्द्र के प्रहार से इसका सर धड़ में घुस गया, बाहें बहुत लम्बी थी, राम-लक्ष्मण को पकड़ा राम-लक्ष्मण ने गड्ढा खोद कर उसमें गाड़ दिया।
जामवंत – रीछ, रीछ सेना के सेनापति।
नल – सुग्रीव की सेना का वानरवीर।
नील – सुग्रीव का सेनापति जिसके स्पर्श से पत्थर पानी पर तैरते थे,सेतुबंध की रचना की थी।
नल और नील – सुग्रीव सेना मे इंजीनियर व राम सेतु निर्माण में महान योगदान। (विश्व के प्रथम इंटरनेशनल हाईवे “रामसेतु”के आर्किटेक्ट इंजीनियर)
शबरी – अस्पृश्य जाति की रामभक्त, मतंग ऋषि के आश्रम में राम-लक्ष्मण का आतिथ्य सत्कार।
संपाती – जटायु का बड़ा भाई,वानरों को सीता का पता बताया।
जटायु – रामभक्त पक्षी,रावण द्वारा वध, राम द्वारा अंतिम संस्कार।
गुह – श्रंगवेरपुर के निषादों का राजा, राम का स्वागत किया था।
हनुमान – पवन के पुत्र,राम भक्त, सुग्रीव के मित्र।
सुषेण वैद्य – सुग्रीव के ससुर ।
केवट – नाविक, राम-लक्ष्मण-सीता को गंगा पार कराई।
शुक्र-सारण – रावण के मंत्री जो बंदर बनकर राम की सेना का भेद जानने गए।
अगस्त्य – पहले आर्य ऋषि जिन्होंने विन्ध्याचल पर्वत पार किया था तथा दक्षिण भारत गए।
गौतम – तपस्वी ऋषि, अहिल्या के पति, आश्रम मिथिला के निकट।
अहिल्या – गौतम ऋषि की पत्नी, इन्द्र द्वारा छलित तथा पति द्वारा शापित, राम ने शाप मुक्त किया, पंचकन्याओं में स्थान।
ऋण्यश्रंग – ऋषि जिन्होंने दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराया था।
सुतीक्ष्ण – अगस्त्य ऋषि के शिष्य, एक ऋषि।
मतंग – ऋषि,पंपासुर के निकट आश्रम, यहीं शबरी भी रहती थी।
वशिष्ठ – अयोध्या के सूर्यवंशी राजाओं के गुरु।
विश्वामित्र – राजा गाधि के पुत्र, राम-लक्ष्मण को धनुर्विद्या सिखाई थी।
शरभंग – एक ऋषि, चित्रकूट के पास आश्रम।
सिद्धाश्रम – विश्वमित्र के आश्रम का नाम।
भारद्वाज – वाल्मीकि के शिष्य,तमसा नदी पर क्रौंच पक्षी के वध के समय वाल्मीकि के साथ थे,मां-निषाद’ वाला श्लोक कंठाग्र कर तुरंत वाल्मीकि को सुनाया था।
सतानन्द – राम के स्वागत को जनक के साथ जाने वाले ऋषि।
युधाजित – भरत के मामा।
जनक – मिथिला के राजा।
सुमन्त – दशरथ के आठ मंत्रियों में से प्रधान ।
मंथरा – कैकयी की मुंह लगी दासी, कुबड़ी।
देवराज – जनक के पूर्वज-जिनके पास परशुराम ने शंकर का धनुष सुनाभ (पिनाक) रख दिया था।
मय दानव – रावण का ससुर और उसकी पत्नी मंदोदरी का पिता
मायावी –मय दानव का पुत्र और रावण का साला, जिसका बालि ने वध किया था
मारीच –रावण का मामा
सुमाली –रावण का नाना
माल्यवान –सुमाली का भाई, रावण का वयोवृद्ध मंत्री
नारंतक – रावण का पुत्र, मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण रावण ने उसे सागर में प्रवाहित कर दिया था। रावण ने अकेले पड़ जाने के कारण युद्ध में उसकी सहायता ली थी।
दधिबल – अंगद का पुत्र जिसने नारंतक का वध किया था। नारंतक शापित था कि उसका वध दधिबल ही करेगा।
अयोध्या – राजा दशरथ के कौशल प्रदेश की राजधानी,बारह योजन लंबी तथा तीन योजन चौड़ी नगर के चारों ओर ऊंची व चौड़ी दीवारों व खाई थी, राजमहल से आठ सड़कें बराबर दूरी पर परकोटे तक जाती थी।