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कृष्णस्तु भगवान् स्वयम्

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एक बार राधा कृष्ण, गोवर्धन के मुख की तरफ़ खेल रहे थे, क्रीड़ा कर रहे थे, सब सखियाँ भी थी सखा भी थे बाल रूप में, सब 8-8 वर्ष की आयु में, तब कंस का भेजा हुआ राक्षस आया जिसका नाम था– अरिष्टासुर । वो एक सांड के रूप मे आया।
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भागवत में शुकदेव जी उसका वर्णन करते है कि उसने इतना बड़ा रूप धारण कर रखा था कि जब वो पूँछ उठा कर के दौड़ा तो पूँछ बादलों को छू रही थी, ऐसा विशाल था, पर्वत आकार का अरिष्टासुर। श्री कृष्ण के सभी सखा भी थे उस दिन सभी सखियाँ भी थी लेकिन कोई इस अरिष्टासुर से भयभीत नहीं हुआ, क्यूँकि जिसने गोवर्धन धारण कर लिया हो सब जान गये इसमें कितनी शक्ति है, तो डरने की क्या आवश्यकता ? वो तो मनोरंजन करेंगे।
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मधुमंगल कहता है – “राधे बताओ ये जो अरिष्टासुर आ रहा है ये कृष्ण के कितने घूसों में नीचे गिरेगा, तो राधा ने कहा, कृष्ण के बस का इसको मारना नहीं है, ये बहुत बलवान है; मधुमंगल ने कहा तो फिर गोवर्धन कैसे उठा लिया कृष्ण ने, तब राधा रानी ने कहा अकेले कृष्ण ने थोड़ी उठाया है सारे ब्रज के ग्वाले लाठी लेके भी तो खड़े थे, सबने मिलकर उठा रखा था – कृष्ण कृष्ण कृष्ण, कृष्ण कैसे उठा लेगा इतना बड़ा गोवर्धन, तब मधुमंगल ने कहा, नहीं नहीं कृष्ण ने ही उठाया था।
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राधा रानी ने कहा पूछ लो कृष्ण से किसने उठाया था – कृष्ण तू ही बतादे गोवर्धन पर्वत किसने उठाया था, तो कृष्ण ने बीच की बात करी, वो तो राधा रानी के प्रशंसक हैं। कन्हैया बोले – “कछु माखन से बल बढ़यो, कछु गोपन करी सहाय श्री राधा जू की कृपा सों गिरिवर लियो उठाय” – एक तो मैंने ब्रजवासियों का बड़ा माखन खाया, माखन में बल तो है ही, एक तो मेरा कुछ माखन से बल बढ़ा, और कुछ गोपों ने भी बहुत सहायता करी थी, लाठी लगायी थी, और ये सब तो बाहरी बात है।
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असली बात तो क्या है कि राधा जी की कृपा से मैंने गोवर्धन उठाया, नहीं तो मैं तो दब जाता। इस तरह भगवान श्री कृष्ण मनोरंजन कर रहे है । अब अरिष्टासुर धीरे धीरे आगे पग बढ़ा रहा था, एक दूसरे सखा ने कहा, कन्हैया ये तो अरिष्टासुर आ गया है ये तो मार डालेगा, तो कन्हैया ने अरिष्टासुर को एक घूसा मारा और एक घूँसे में ही उसके प्राण-पखेरू उड़ गये । सभी ग्वाल बाल कन्हैया की जय जय बोलने लगे ।
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हमने कहा था ना कि कन्हैया एक ही घूँसे में अरिष्टासुर को मार देगा । राधा रानी बोली-कन्हैया तुमने ये ठीक नहीं किया, ये तो गौवंश का था तुम्हें तो गौ हत्या का पाप लग गया है, इसलिए अब हम तुम्हारे साथ नहीं खेल सकती, जाओ जाओ तुम तो गौ हत्यारे हो ।
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तो कन्हैया ने कहा राधे- ये तो राक्षस था अरिष्टासुर, जो बैल/ सांड के रूप मैं आया था, हमने तो राक्षस को मारा है, गौवंश को नहीं मारा है। राधा बोली- नहीं नहीं, है तो ये गौवंश का ही, तुम तो गौहत्यारे हो गए, हम तुम्हारे साथ नहीं खेल सकती, चलो सखियों चलो, चलो-चलो। कन्हैया ने पीछे पीछे चल कर के कहा- राधे, ठीक है, मैं मानता हूँ कि मैंने गल्ती करी है।
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अब इसका प्रायश्चित भी तो बताओ क्या करना होगा ? राधा जी बोली तुम चार धाम की यात्रा करोगे, भारत के सभी तीर्थों में स्नान करना- “प्रयागराज, गया धाम आदि जितने भी तीर्थ हैं भारत में, इन सब तीर्थों में जा करके स्नान करके आओ तब तुम्हारी शुद्धि होगी”।

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