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बॉलीवुड के ही-मैन पहली फिल्म से कमाए 51 रुपए, 13 साल तक नहीं चली कोई मूवी

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सिनेमा की दुनिया में स्टारडम और फेम पाने के लिए लाखों युवा अपनी किस्मत आजमाते हैं और कुछ 100 ही उनमें से स्टार बन पाते हैं. सुपरस्टारडम की राह के लिए सालों के समर्पण, खुद को साबित करने की भूख और कई असफलताओं का सामना करने के बावजूद आगे बढ़ते रहने के धैर्य की आवश्यकता होती है. जो इस परीक्षा में पास हो जाता है, वो आगे जाकर बड़ा मुकाम भी हासिल कर लेता है लेकिन ये भी जरूरी नहीं कि हमेशा ही ऐसा रहे.

बहरहाल, आज हम एक ऐसे अभिनेता के बारे में चर्चा करेंगे, जो हीरो बनने की उम्मीद के साथ बॉम्बे आया था. उनकी गुड लुकिंग पर्सनालिटी, ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व और अभिनय प्रतिभा ने उन्हें 70 और 80 के दशक के सबसे बड़े एक्शन सितारों में से एक बना दिया और वो सलमान खान सहित कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गए. उनकी पहली फिल्म से उन्हें सिर्फ 51 रुपए मिले थे और आज के दौर में वो 450 करोड़ की संपत्ति का मालिक है।

दरअसल, यहां हम धर्मेंद्र के बारे में बात कर रहे हैं जिन्होंने बॉलीवुड के ही-मैन का खिताब हासिल किया है और इस स्टारडम को बरकरार रखने के लिए उन्हें कई साल लग गए. पंजाब के साहनेवाल का यह लड़का दिलीप कुमार और मोतीलाल की फिल्में देखकर बड़ा हुआ. अपने पिता के स्कूल के हेडमास्टर होने के बावजूद धर्मेंद्र का पढ़ाई में मन नहीं लगता था और वो पढ़ाई में ज्यादा मेहनत करने वाले बच्चे नहीं थे।

धर्मेंद्र की मां ने सिनेमा के प्रति उनके समर्पण को देखा था. उन्होंने धर्मेंद्र को फिल्मफेयर टैलेंट हंट में भाग लेने का सुझाव दिया. धर्मेंद्र फिल्मफेयर पत्रिका के राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नए प्रतिभा पुरस्कार के विजेता थे और पुरस्कार विजेता होने के नाते वादा की गई फिल्म में काम करने के लिए पंजाब से मुंबई गए, लेकिन दुख की बात है कि फिल्म कभी नहीं बनी. ऐसे में उन्हें पहली बार तो मुंबई आकर बड़ा झटका लगा था।

सुनने में भले ही चौंकाने वाला लगे लेकिन यह सच है कि धर्मेंद्र ने बतौर अभिनेता अपनी पहली फिल्म महज 51 रुपये में साइन की थी. धर्मेंद्र ने ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से बड़े पर्दे पर डेब्यू किया था. धर्मेंद्र ने डांस दीवाने पर आपबीती सुनाते हुए कहा, ‘मुझे प्रोड्यूसर के केबिन में बुलाया गया था. वहां तीन केबिन थे और मैं बीच वाले केबिन में बैठा था. मैं सोच रहा था कि वे मुझे फिल्म के लिए कितना भुगतान करेंगे. उनमें से प्रत्येक ने अपनी जेब से 17 रुपये निकाले, उनमें से तीन थे, और उन्होंने मुझे 51 रुपये ऑफर किए. मैं अभी भी उस राशि को अपने लिए भाग्यशाली मानता हूं।

धर्मेंद्र की पहली फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाई और अगली कुछ फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलीं. लेकिन इन्होंने ने रमेश सहगल की फिल्म शोला और शबनम 1961, मोहन कुमार की फिल्म अनपढ़ 1962 और बिमल रॉय की फिल्म बंदिनी 1963 से आलोचकों और जनता को इंप्रेस किया. हालांकि, 1966 में ओपी रल्हन की फिल्म फूल और पत्थर बेहद सफल रही और यह धर्मेंद्र को बॉलीवुड के नए आकर्षक माचो मैन के रूप में स्थापित किया. फूल और पत्थर के बाद धर्मेंद्र को कई सफल फिल्मों में देखा गया, जिनमें आंखें, शिकार, आया सावन झूम के, जीवन मृत्यु, तुम हसीं मैं जवान, शराफत, मेरा गांव मेरा देश, सीता और गीता, समाधि, राजा जानी, जुगनू, यादों की बारात, कहानी किस्मत की, लोफर, दोस्त, शोले, प्रतिज्ञा, चरस, धरम वीर, और कई अन्य मशहूर फिल्मे शामिल हैं।

फिल्मों में आने से पहले धर्मेंद्र ने 19 साल की उम्र में प्रकाश कौर से शादी कर ली थी लेकिन फिल्मों में काम करने के दौरान उन्हें हेमा मालिनी से प्यार हो गया था. कथित तौर पर, धर्मेंद्र हेमा से शादी करना चाहते थे, लेकिन वो प्रकाश को तलाक नहीं देना चाहते थे. हिंदू विवाह अधिनियम के मुताबिक धर्मेंद्र दोबारा शादी नहीं कर सकते थे और अपनी पत्नी को तलाक नहीं देना चाहते थे. इसलिए, शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपना लिया और धर्मेंद्र ने अपना नाम बदलकर दिलावर खान रख लिया. दूसरी ओर हेमा ने 1979 में अपनी पहचान आयशा बी आर के रूप में बताई। कई विवाद और कई बाधाओं के बाद दोनों ने 1980 में शादी कर ली और वे ईशा और अहाना देओल के माता-पिता बने।

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