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गुरु और भगवान में गुरु सबसे पहले पूजनीय है। गुरु ही हमें सत्मार्ग का रास्ता दिखाते हैं। जीवन में उनके आशीर्वाद से ही हमें सफलता मिलती है। ऋषि संदीपन के शिष्य भगवान कृष्ण और विश्वामित्र के शिष्य भगवान राम अपने गुरु के बताएं रास्ते पर चलकर भगवान बन गए। इसीलिए गुरु हमेशा पूजनीय होता है।
गुरु कृपा चार प्रकार से होती है ।
१. स्मरण से
२. दृष्टि से
३. शब्द से
४. स्पर्श से
१. जैसे कछुवी रेत के भीतर अंडा देती है पर खुद पानी के भीतर रहती हुई उस अंडे को याद करती रहती है तो उसके स्मरण से अंडा पक जाता है।
ऐसे ही गुरु की याद करने मात्र से शिष्य को ज्ञान हो जाता है। ” यह है स्मरण दीक्षा “।
२. दूसरा जैसे मछली जल में अपने अंडे को थोड़ी थोड़ी देर में देखती रहती है तो देखने मात्र से अंडा पक जाता है। ऐसे ही गुरु की कृपा दृष्टि से शिष्य को ज्ञान हो जाता है। ” यह दृष्टि दीक्षा है “।
३. तीसरा जैसे कुररी पृथ्वी पर अंडा देती है , और आकाश में शब्द करती हुई घूमती है तो उसके शब्द से अंडा पक जाता है। ऐसे ही गुरु अपने शब्दों से शिष्य को ज्ञान करा देता है। यह शब्द दीक्षा है।
४. चौथा जैसे मयूरी अपने अंडे पर बैठी रहती है तो उसके स्पर्श से अंडा पक जाता है।
ऐसे ही गुरु के हाथ के स्पर्श से शिष्य को ज्ञान हो जाता है, “यह स्पर्श दीक्षा है “।
११ गुरु मंत्र, श्लोक से गुरु पूजा वंदना करें :-
अपने गुरुओं की पूजा करने के लिए गुरु मंत्र का जाप से गुरु जी का स्मरण करें और उनका आशीर्वाद, कृपा प्राप्त करें। हिन्दू धर्म में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊंचा माना गया है। गुरु पूर्णिमा के दिन यदि आपके कोई गुरु हैं तो उनके समक्ष जाकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। अन्यथा अपने मन में ही नीचे दिए गए गुरु मंत्र का जाप करते हुए।
गुरु मंत्र क्या है ?
जब कोई गुरु अपने शिष्य की आध्यात्मिक उन्नति के लिए कोई मंत्र गुप्त रूप से जाप के लिए देता है तो उस मंत्र को गुरु मंत्र कहा जाता है। गुरु मंत्र कोई शब्द, इष्ट देवता या ईश्वर का कोई नाम, मंत्र, बीज मंत्र, श्लोक भी हो सकता है।
ये जरूरी नहीं है कि गुरु मंत्र कोई ऐसा मंत्र हो, जो बहुत गुप्त या विशिष्ट मंत्र हो। गुरु मंत्र ऐसा मंत्र भी हो सकता है जिसे ज्यादातर लोग जानते हों, उदाहरण के लिए : गायत्री मंत्र, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, ओम नमो भगवते वासुदेवाय, राम नाम का जप, सीताराम, राधे-राधे आदि।
हिन्दू धर्म के मानने वाले ये बात तो जानते ही हैं कि मंत्रों में ईश्वरीय शक्ति की ऊर्जा छुपी होती है। इसलिए किसी मंत्र का जप करने से वह मंत्र अपना प्रभाव दिखाता है लेकिन अगर वही मंत्र किसी गुरु से मिले तो जप के परिणाम अद्भुत होते हैं।
गुरु मंत्र देने वाले गुरु पर भी शिष्य की प्रगति की जिम्मेदारी होती है, इसलिए गुरु मंत्र हर किसी को नहीं दिया जा सकता। अगर कोई अन्य व्यक्ति गुरु मंत्र जान भी जाए और उसका जप करने लगे तो उसे वह लाभ नहीं मिलेगा जोकि गुरु मुख से मंत्र दीक्षा होने पर मिलता है।
1. गुरु मंत्र हिंदी
अपने गुरु जी के प्रति सम्मान व्यक्त करने और उनकी अर्चना करने के लिए नीचे दिए गए गुरु मंत्र का पाठ करें।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अर्थ – गुरु ही मनुष्य के जीवन का ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान कल्याण, बुद्धि-विचार का विकास और अनुशासन, मार्गदर्शन से जीवन को सफल बनाने का पथ दिखाता है। इसलिए गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही महेश अर्थात भगवान शिव हैं। साक्षात परब्रह्म परमात्मा ही हमारे उद्धार के लिए गुरु रूप में प्रकट होते हैं और ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं। अतः मैं ऐसे महान सद्गुरु को प्रणाम करता हूँ।
2. गुरु गायत्री मंत्र
ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
3.
नमामि महादेवं देवदेवं, भजामि भक्तोदय भास्करम तं ।
ध्यायामि भूतेश्वर पाद्पंकजम, जपामि शिष्योद्धर नाम रूपं।।
4. ॐ त्वमा वह वहै वद वै गुरौर्चन घरै सह प्रियन्हर्शेतु
अर्थ – हे गुरुदेव आप सर्वज्ञ हैं, हम इश्वर को नहीं पहचानते, उन्हें नहीं देखा है, पर आपको देखा है और आपके द्वारा ही उस प्रभु के दर्शन सहेज, संभव हैं हम अपने ह्रदय को समर्पित कर आपका अर्चन पूजन करके पूर्णता प्राप्त करने आकांक्षी हैं।
गुरु वंदना मंत्र
5. ॐ शिवरूपाय महत् गुरुदेवाय नमः
6. ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
7. ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
8. ॐ जेत्रे नम:
9. ॐ गुरुभ्यों नम:।
10. ॐ धीवराय नम:
11. ॐ गुणिने नम: