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प्रेमिका इतनी स्वीट और पत्नी इतनी खड़ूस क्यों होती है ?

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प्रेम शाश्वत होता है, किसी विशेष रिश्ते अथवा परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होता है, अब इन दो रिश्तों में आज के परिवेश में अंतर ढूंढने का कठिन कार्य करते हैं | आज के समाज में जहाँ प्रेमी/प्रेमिका होना परम आवश्यकता मानी जाती है, समाज में मानक के रूप में देखते हैं, प्रेमी/प्रेमिका के रूप में सबको उन्मुक्त जीवन जीने वाले साथी पसंद आते हैं | अधिक हैरानी की बात ये है, कि उनके खयालात बिलकुल स्पष्ट हैं, प्रेमी/प्रेमिका सिर्फ प्रेम अथवा स्पष्ट भाषा में समय व्यतीत करने के लिए हैं और पति/पत्नी जीवन यापन के लिए |

“हर लड़का चाहता है कि वह अपनी प्रेमिका का पहला प्यार हो और हर लड़की चाहती है कि वह अपने प्रेमी का आखिरी प्यार हो”।

अब जो लोग ऐसी सोच रखते हैं, उनके भावनात्मक संबंधों के बारे में अनुमान लगाना तो बहुत कठिन है| प्रेमिका और पत्नी के बहुत थोड़ा सा अंतर होता है, जैसे : प्रेमिका का प्रेम धीरे धीरे गहरा होता जाता है, जबकि पत्नी का प्रेम कहीं अधिक गति से गहराता है | प्रेमिका के साथ आप थोड़ी सी औपचारिकता रखते हैं, पत्नी के साथ बिलकुल नहीं | प्रेमिका के नाराज़ होने का डर थोड़ा अधिक होता है, पत्नी की नाराज़गी का डर थोड़ा सा कम होता है |

एक प्यार होता है जो कॉलेज जाने की उम्र के आस पास होता है. इस उम्र में व्यक्ति अपनी एक स्वीकृति चाहता है. इसीलिये लड़कियाँँ सजने संवरने पर और लड़के, लड़कियों को इम्प्रेस करने पर ज्यादा फोकस करने लगते हैं।

लड़कों को बिंदास, मॉडर्न और खूबसूरत मॉडल जैसी लड़कियाँँ ख़ूब भाती हैं. लड़कियों को भी मॉडल्स जैसा लुक, खर्चीले और मजबूत कद काठी के प्रभुत्व जमाने वाले लड़के मोहित करते हैं. जब शादी जैसी वास्तविकता की बात आती है तब पैमाने बदल जाते हैं।

प्रेम की गली अति संकरी होती है, इसमें दंपति के अतिरिक्त तीसरे की जगह नहीं होती

लड़के, सुशील, traditional, सीधी सच्ची लड़की को वरीयता देते हैं जो उसके परिवार को साथ लेकर चले. लड़कियाँँ, आर्थिक रूप से मजबूत, कमाऊ, समझदार, मिलनसार और अपने परिवार को पसंद आने वाले लड़कोंं को वरीयता देती है।

कहने का अर्थ है कि प्रेमिका का प्यार एक खूबसूरत, अवयस्क, अवास्तविक, सुंदर परी लोक की कल्पना जैसा है. इसमें सच्चाई तो होती है लेकिन जीवन की वास्तविकता का अभाव हो सकता है।

पत्नी एक सामाजिक स्वीकृति है, भावी जीवन और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए विधि सम्मत है. पत्नी आपके जीवन में एक साझीदार है, सुख – दुख में साथ है. इस साझेदारी में अगर प्यार है तो यह स्वर्ग से सुंदर और न हो तो तिल – तिल कर नर्क की आग में मरना होता है।

शादी के बाद, यदि प्रेमिका से ही हो जाए तो सम्बन्ध और प्रगाढ़ हो जाते हैं और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में यदि नहीं हो सकी, तो आपकी ज़िम्मेदारी बहुत अधिक बढ़ जाती है | मेरा मानना है कि यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो आप उसे कभी भी भुला तो सकते ही नहीं |

जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी आपको कम से कम भावनात्मक रूप से तो उनके मोहजाल से निकलना ही पड़ेगा | जब तक ऐसा ना हो सके, तब तक कहीं भी शादी नहीं करनी चाहिए | क्योंकि ऐसा करने से आप अपने साथ साथ एक और ज़िन्दगी भी खराब करने जा रहे हैं | दो नाव की सवारी करने वालों के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता | ऐसे बेवक़ूफ़ लोग कुछ भी कर सकते हैं |

यदि मजबूरी में किसी को अपनी प्रेमिका को छोड़ कर किसी और से शादी करनी पड़ती है, तो प्रेमिका के लिए प्रेम तो वैसे ही रहता है, लेकिन उसे अपनी पत्नी की खातिर उस से दूर होना पड़ता है | जितनी आसानी से लिख दिया, उतना आसान नहीं होता है, इसीलिए पहले ही चेताया, आपकी ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है |

प्रेमिका इतनी स्वीट और पत्नी इतनी खड़ूस 

तो सुनो- बारिश में प्रेमिका को उधार की बाईक और रूपया मांगकर भी लांग ड्राइव पर ले जाते हो. लेकिन पत्नी के आते ही अमीर हो जाने पर भी उससे बारिश होने पर चाय पकौड़ी बनवाना ही याद आता है. थकी- हारी पत्नी कुछ कह देती है तो तुम्हारे अहम को इतनी चोट लगती है कि सुबह तक मुंह फुलाए घूमते हो, लेकिन प्रेमिका के आगे 365 दिन भी गिड़गिड़ाने पर कुछ़ हासिल नहीं हो तो भी संस्कार समझकर उस पर और प्यार लुटाते हो और मान- मुनव्वल शुरू कर देते हो.

प्रेमिका को पार्क, रैस्टोरेंट,रिसोर्ट…सुंदर से सुंदर और खर्चीली जगह ले जाते हो….. लेकिन पत्नी के आते ही उसे मुंडन,जनेऊ,विवाह,पूजा- पाठ,बीमार की सेवा,श्रद्धांजलि सभा में, सारी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए ले जाते हो. प्रेमिका को सर से पांव तक घूरते रहने में आंखें नहीं थकती और हर इंच और हर मौके के लिए शायराना अंदाज रहता है. लेकिन पत्नी के लिए शिकायत – कितना देर लगाती हो तैयार होने में……प्रेमिका का फ़ोन चौबीस घ॔टे में चौबीस बार भी आए तो वो “प्यार” लगता है. लेकिन पत्नी का दिन में दो बार फ़ोन करना, इन्क्वायरी लगने लगता है.

अपना भले अपने मां- बाप की सेवा नहीं किए होंगे लेकिन पत्नी से यही उम्मीद होती है कि वो चौबीस घंटे उसके पूरे परिवार के सेवा में गुजरे..इसलिए पत्नि को भी प्रेमिका की तरह प्रेम करो भाई फिर जिंदगी भर खुश खुश रहोगे ..!

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