इस ख़बर को शेयर करें:
दुनिया में हुक्के का इतिहास कई अलग-अलग मतों में बांटा गया है, प्रत्येक मत के लिए अलग-अलग पर्याप्त तर्क दिए जाते हैं। हुक्का धूम्रपान की उत्पत्ति दिनांकित सहस्राब्दी की हो सकती है ! और इसके प्रारंभिक निशान भारत के उत्तर पश्चिमी प्रांतों में राजस्थान और गुजरात राज्य में पाकिस्तान की सीमा के साथ पाए गए हैं। प्राचीन काल के हुक्के डिजाइन में बहुत सरल, तेजस्वी और पुरातन थे।
प्रारंभिक हुक्का नारियल के खोल के आधार से तैयार किया गया था। आयुर्वेद की खोज भारत में हुई थी, हिंदुओं ने आयुर्वेदिक चिकित्सा और ध्यान के अभ्यास के लिए इस उपकरण का प्रयोग किया था। बाद में इसका चलन है धूम्रपान की परंपरा भारत में वह अन्य देशों में शुरू हुई।
चिकित्सा अभ्यास में, फिलर – हैशिश और विभिन्न जड़ी बूटी – एक एनेस्थेटिक के रूप में कार्य किया। एक हुक्का धूम्रपान करने के लिए ध्यान की परंपराओं में कैनबिस फिलर भी शामिल था। हरियाणा के हर घर में हुक्का रखा जाता है।
इसके शोकीन लगभग सारे भारत मे स , मुस्लिम देशो मे आर और भी कई जगह स ,!!!! बस हर जगह इसके रूप अलग अलग स … आजकल तो शहरा मे हुक्का बार खुलन लागे आधे घंटे के बतावे स 100 रुपए ले ले।
इसमे मेहनत बहुत स , आग बनाओ पानी ताज़ी करो ….इसने फेर सिलगान का रोला …सिलगान मे यो बड़े बड़े गाबरू की जात ले ले स ……इसके कायदे कानून भी बहुत स …..सबते छोटा जो होगा वो आग धर के ल्यावेगा , आर सबते पहली घूंट जो सारा मे बढ़ा होगा वो मारेगा …सबते छोटा जो होगा वो इसने फेरेगा …….
नोट :- सभी को बता दूं, मेरा ये लेख किसी भी प्रकार से किसी नशे का, हुक्के, सुल्फा, गांजा, भांग, धतूरा, या किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ के सेवन का समर्थन नहीं करता है।