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आम फल का देशी ज्ञान

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करनी है गर पेट की छटनी, खालो भैया आम की चटनी 

लेकिन क्या आप जानते है कि आम में जला देने की शक्ति होती है? हाँ ये सही है कि आम भी जलाते है…। आम की जला देने वाली शक्ति का पोस्ट मोर्डम भी होगा, इसी पोस्ट में। मेरे देश की मिट्टी का ज्ञान आजकल की मॉडर्न घसड़-फसड़ से कहीं ऊपर है। लेकिन यकीन न हो तो पता कर लो…।

गर्मियों में ताप और ऊष्मा के प्रभाव से शरीर से अधिक मात्रा में पसीना निकलता है, और इसी पसीने के साथ हमारे शरीर के महत्वपूर्ण मिनरल और साल्ट भी निकल जाते हैं, यही कारण है कि पसीने से भीगी शर्ट में साल्ट का एक सफेद घेरा/ दाग बन जाता है। इसी नुकसान की भरपाई के लिए प्रकृति मैया ने इस समय आम, इमली, जामुन, शहतूत, अमरूद और नींबू जैसे फल दिये हैं।

इन्ही में से एक खास किन्तु नाम से बेहद साधारण आम की बात मैं यहाँ करने वाला हूँ। वैसे तो आम को फलों का राजा कहा जाता है, लेकिन इसकी चटनी को यदि स्वाद के दीवानों की प्रेमिका कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। पातालकोट सही गाँव छिंदवाडा जिले के गाँव देहातो में तो किसान के कलेवा की पोटली में रोटी के साथ आम की चटनी और प्याज की सौगात होती है। यही चटनी है जो ऐसी तपती दुपहरिया में किसानों को लू के थपेड़ों के बीच अपने खेत मे काम करते रहने की कट्टरता और जीवटता प्रदान करती है।

आम से जुड़ी पंचायत करेंगे यहीं, आम की शीतल छाँव के नीचे बैठकर लेकिन इससे पहले आपको आम की चटनी बाँटना/ कूटना सिखा दूँ। ध्यान रहे मैंने पीसना नही कहा है, इसका विशेष कारण है, मेरे गाँव वाले मित्र समझ गए होंगे, सही कहा न? आइये चटनी की रेसिपी बता रहा हूँ, ध्यान से मन लगाकर सुनियेगा, यानि पढियेगा। 😜

आवश्यक सामग्री:
1. आम
2. हराधनिया
3. हरीमिर्च
4. पौदीना
5. प्याज या हरी पत्तेदार प्याज
6. जीरा
7. अदरख या इसकी ताजी शाखायें
8. लहसन या लहसन की पत्तियाँ
9. काला एवम् सफ़ेद नमक (आधा-आधा)
10. और अंत में सबसे खास सिलबट्टा…

आम को छिलका निकालकर छोटे टुकड़ों में काट लें, धनिया, मिर्च, पौदीना आदि समस्त सामग्री काटकर इसे भी सिल बट्टे में थोड़ा कूट लें। आवश्यक नमक मसाला मिला लें। उपरोक्त समस्त सामग्री डालकर एक विशेष अंदाज में पीस लें। इसे पीसना भी एक कला है। यह कच्ची चटनी कहलाती है जो खेतो पर ही इंस्टेंट तैयार हो जाती है, और यह जल्दी खराब भी नही होती यानि इसे 2- 4 दिन तक भी सम्हालकर रखा जा सकता है, लेकिन खेतो में ये कम बने या बच जाए दोनो काम नही होते हैं। सब कुछ सपाट के साथ ही भोजन समाप्त होता है। इसके अलावा इसे अलग फ्लेवर देना हो तो चटनी पीसकर मीठा नीम, ढेर सारी प्याज और जीरे के साथ फ्राई कर लें, स्वादानुसार नमक व मिर्च का प्रयोग करें, चटपटी चटनी तैयार है। ध्यान रहे मिक्सर मे वह स्वाद नही मिलेगा अतः सिल बट्टा लाने का प्रयास करें। इसीलिये मैंने पीसने के बजाये चटनी बाँटना या कूटना शब्द प्रयोग किया था। हालांकि दोनो कार्य के लिए प्रयोग किये जाने वाले सिल बट्टे अलग अलग डिजाइन के हिट है😜 । एक बात बताऊँ अपको, देशी ज्ञान का कभी विकल्प न बनायें, संस्कृति को जीवित रखें। यही एकमात्र तरीका है, वरना माँ का विकल्प आया/ बेबीसिटर, और भोजन का पिज्जा बर्गर ये होते देर न लगेगी। संस्कृति से छेड़छाड़ का असर कुछ दशकों बाद समझ आता है। 🙏😊 हाँ आम की लौंजी भी खास है, लौंजी की विधि जल्द ही आने वाली पोस्ट में…

इस बार की पोस्ट में हमारे- आपके खास लेकिन साधारण आम फल का देशी ज्ञान लाया हूँ, जिसकी आत्मा है कच्चे आम की चटनी। गाँव देहात में खेत जाते समय या खेत पर रोटी बांध के ले जाने के लिए गर्मियों में कलेवा का मुख्य व्यंजन यही है, ज्यादातर तो इसे बिना फ़्राय किये ही प्रयोग किया जाता है, और कभीं कभी फ्राय करके भी। क्योंकि सुबह सबेरे संयुक्त परिवार का भोजन बन पाया या नही और जब भोर फटे खेत के लिए निकलना हो तो फिर बासी रोटियों के साथ यही चटनी पेट की क्षुदा शांत करती है। लेकिन कभी कभी तो सब कुछ होने पर या बन जाने पर भी जब साफ सुथरे कपड़े में बंधा भोजन खेत पहुचता है, तो सिल बट्टे में बटी हुई चटनी-रोटी दोपहर का भोजन भी बन जाती है। इसका भी अपना अलग स्वाद है। फ्राय हो जाने के बाद तो यह किसी भी समय ग्रहण करने के लिए तैयार होती है। बचपन से जुडी हुयी और भी कई कहानियाँ है, क्या पता आपको पचे या न पचे, इसीलिये अभी रहने देते हैं। 😊

कच्चे आम की यह चटनी विटामिन A, B, C, K, कई प्रकार के पोषक तत्व जैसे आयरन, मैंगनीज, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कॉपर, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सिलेनियम, जिंक, प्राकृतिक शर्करा, प्रोटीन्स एवं फाइबर आदि का बेहतरीन स्त्रोत तो है ही लेकिन इसके साथ साथ आम के पेड़ भारतीय संस्कृति और रीति रिवाजों से भी गहरा संबंध रखते हैं। हमारे पातालकोट में तो गाँव का नाम – “कारे आम” भी यहाँ पायी जाने वाली आम की किस्म पर है। कोई भी पूजन, हवन या मांगलिक कार्यक्रम हो आम के पत्तियो की तोरण के बिना उसकी कल्पना करना भी संभव नही है। कलश में भी आम के 5 पत्तों का प्रयोग किया जाता है। हवन कुंड में घी अर्पण करने के लिये भी अस्थाई चम्मच आम के पत्तो से ही बनाया जाता है।

आम का खट्टा स्वाद इसमें पाये जाने वाले प्राकृतिक अम्लों के कारण होता है जिनमे टार्टरिक अम्ल, मैलिक अम्ल व साइट्रिक अम्ल प्रमुख हैं। जबकि पके हुए फलों का मीठा स्वाद प्राकृतिक शर्करा के कारण होता है। फल पकने के समय रासायनिक प्रक्रिया से मैलिक अम्ल ग्लूकोस में बदल जाता है। भारतीय आम पूरी दुनिया मे अपने स्वाद का जादू बिखेरते हैं। हमारे तो खेतो के नाम भी आम की किस्मो से तय होते हैं जैसे बड़े आम वाला खेत, काले आम वाला, टोहली वाला, अचारिया, पीलू, टुइंया, गुटेरी, गंधीला आदि ये सभी देशी किस्में हैं। सभी का अलग रंग, अलग स्वाद और अलग ही इतिहास।

आज के बुजुर्गों में शामिल ऐसा कौन होगा जिसके जीवन मे आम के पेड़ों की यादें न हो। आम का पना, चटनी, खटाई, पापड़, सलाद और आम रस सब कुछ खास हैं। आम के पेड़ पशु पक्षियों के आवास और इंसानों को शीतल छाँव प्रदानं करते हैं। घोसला बनाने वाली लाल चीटियाँ भी आम के पेड़ो को बहुत पसंद करती हैं। लेकिन सावधान कच्चे आम तोड़ना खतरनाक शौक है। आम के डंठल से निकलने वाला तीव्र अमल त्वचा को जलाते हुये अस्थाई काला निशान छोड़ देता है। जिसने आम के पेड़ से कच्चे आम तोड़े हों, वे इस दर्द को भली भांति जानते हैं। आम के पेड़ पर जब कच्चे आम लदे हों तब इसके नीचे लंबी बैठक न करियेगा। क्योंकि हवा चलने से फलों की दण्डलो का कनेक्शन लूज हो जाता है और तीक्ष्ण अमल की फुहार छूटती है, यह आपकी त्वचा के लिए घातक हो सकती है। यकीन न हो तो आम के पेड़ के नीचे पड़ी पत्तियों को गौर से निहारियेगा, ये सभी इसी रस से रंगी, चमकती हुई नजर आयेंगी। आम के पेड़ के विषय मे आपने सुना होगा आम के आम और गुठलियों के दाम। क्योंकि इसकी इसकी हर चीज कीमती है, इसकी सुखी लकड़ी हवन पूजन में प्रयुक्त की जाती है।

लेकिन मैं क्या कहूँ, अपना तो गणित ही उल्टा है।अपने लिए तो सबसे जरुरी इस चटोरी जीभ का स्वाद और छोटे से पेट का पोषण है। आपके पास आम की चटनी या आम से जुड़े कोई अनुभव हो तो साझा करें। वरना कच्चे आम की फांक बनायें और नमक- मिर्च के साथ चटकारे लें, जैसा बचपन मे किया हो, और अगर आपने यह भी नही किया है तो फिर क्या खाक बचपन जिया है आपने साहेब? यूँ समझिए कि बचपन बर्बाद कर दिया। जल्दी जाइये आम का मौसम जाने से पहले तोड़ लाइये और शौक पूरा कर लीजिए, घबराइए नही, अगर आप इन आम के पेड़ों पर पत्थर भी मरेंगे तो भी ये आपको फल ही देंगे। इती श्री आमचटनी कथा… 🙏😊

डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिंदवाड़ा (म.प्र.)

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