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पिछले कुछ वर्षों में अधिकाँश घरों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने व मानसिक तनाव बढ़ने के मुख्य कारण :-
1. घर के हर सदस्य के पास महँगे-महँगे स्मार्ट फोन।
2. देखा-देखी में बाहर घूमने जाने का ट्रेंड।
3. जहाँ बाईक से काम चल जाये वहाँ भी स्टेटस के लिये कार चाहिये।
4. घर के बने भोजन के बजाय वीकेण्ड में बाहर का खाना खाने का चस्का।
5. ब्यूटीपार्लर, सैलून, ब्राण्डेड कपड़ों और जूतों की चाहत।
6. जन्मदिन और मैरेज एनिवर्सरी में पैसों का गलत ढंग से अपव्यय।
7. दिखावे के लिये अपनी हैसियत से कहीं अधिक गैरजरूरी खर्च।
8. बच्चों को प्राईवेट स्कूल में ही पढ़ाने का फैशन तथा स्कूल व ट्यूशन फीस में वृद्धि।
9. गलत लाईफ स्टाईल अपनाने के कारण मेडिकल खर्च में बढ़ोत्तरी।
10. लोन की ऊँची ब्याज और क्रेडिट कार्ड के कारण अधिक से अधिक चीजें खरीदने की गलत आदत।
11.ड्रिंक करना और नानवेज खाना।
12.खुद से काम न करके केवल नौकरों के द्वारा ही काम करवाना।
13.सट्टेबाजी और शेयर मार्केट में पैसा लगा कर रातोरात अमीर बनने के ख्वाब देखना।
14.एक से ज्यादा क्लबों में सदस्य बनकर फिजूलखर्ची करना।
15.जहाँ ट्रेन और बस से जा सकते है वहाँ प्लेन से जाना।
इन खर्चों के कारण न तो हमारी कमाई में वृद्धि हो रही है और न ही बचत ही हो रही है। परिणामस्वरुप अधिकाँश घरों में अशान्ति और मानसिक तनाव है। इसलिए गैर-जरूरी खर्चों को कम करो। इन्सान की मूल जरूरत केवल रोटी, कपड़ा और मकान थी, अभी भी है और भविष्य में रहेंगी।
इन्सान के आज कम उम्र से ही बीमार होने या दुखी रहने और असफल होने का कारण है कि हम अपने जीवन जीने का तरीका भूल गये हैं। घर का शुद्ध भोजन खाइये और दिखावे को त्यागकर आनन्द से जीना सीखे। दुनियाँ को देखने का नजरिया बदलिये। दुनियाँ मे आप जैसे लाखों-करोड़ों लोग है परन्तु कोई किसी की “परवाह” नहीं करता है। इसलिए दूसरों की राह पर न चले अपनी राह खुद बनाये।
अमीरी और गरीबी भाग्य द्वारा तय है। किन्तु कर्म, विचार और अपना जीवन जीने का तरीका आपके पास सुरक्षित है। क्या आप इस लेख में लिखी बातों से सहमत हैं… अगर हां तो किस सीमा तक?