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सनातन परंपरा में सदियों से देवी-देवताओं और अपने से वरिष्ठ के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा चली आ रही है. नवग्रहों से जुड़े दोष को दूर करने से लेकर स्वयं की मंगल कामना का भाव लिए चरण स्पर्श करने का आखिर क्या धार्मिक महत्व है….
सनातन परंपरा में चरण स्पर्श का बहुत महत्व है. सदियों से क्या आम आदमी और क्या देवता सभी अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार दूसरों के पैर छूते रहे हैं. चरण स्पर्श का महत्व ऐसे भी समझा जा सकता है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा के न सिर्फ चरण स्पर्श किए बल्कि उसे अपने हाथों से धुलने में जरा भी संकोच नहीं किया.
हिंदू धर्म में देवी-देवतओं से लेकर वरिष्ठ और यहां तक की अपने से कम उम्र के लोगों के पैर छूने का विधान है. आइए पैर छूने का धार्मिक महत्व और इससे जुड़े जरूरी नियम जानते हैं. हिंदू धर्म में अपने से वरिष्ठ लोगों के पैर छूने के पीछे अपने मंगल की कामना के लिए आशीर्वाद पाना है. साथ ही साथ अपने से वरिष्ठ लोगों के प्रति अपना आदर भाव भी प्रकट करना है.
पूज्य संतों और वरिष्ठ लोगों के पैर छूने से उनकी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमारे भीतर आशीर्वाद के रूप में प्रवाहित होता है. किसी भी देवी-देवता या फिर अपने गुरु आदि के चरण स्पर्श करने के कई तरीके होते हैं. जैसे झुककर, घुटने के बल बैठकर और साष्टांग प्रणाम करते हुए किसी का पैर छूना.
साष्टांग प्रणाम में विनम्रता एवं पूरी श्रद्धा के साथ अपना सिर दोनों हाथों के बीच में रखते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को झुका कर किसी भी संत या वरिष्ठ व्यक्ति का चरण स्पर्श करना चाहिए.
सनातन परंपरा में न सिर्फ अपने से बड़ों के बल्कि अपने से छोटों के भी पैर छूने का विधान है. घर के जहां वरिष्ठ सदस्यों में माता-पिता, बड़े भाई-बहनों के प्रति आदर दिखाते हुए पैर छूने की परंपरा है, वहीं शक्ति की साधना के महापर्व यानि नवरात्र पर लोग छोटी-छोटी कन्याओं और बच्चों के पैर छूकर आशीर्वाद मांगा जाता है.
ज्योतिष के अनुसार पैर अपने से वरिष्ठ लोगों के आदर के साथ चरण स्पर्श करने पर नवग्रहों से संबंधित दोष दूर होते हैं और उनकी शुभता प्राप्त होती है. जैसे पिता के पैर छूने पर सूर्य, बुजुर्ग महिला जैसे दादी, नानी, मां, चाची, मौसी, ताई, सास आदि के पैर छूने से चंद्र, बड़े भाई के पैर छूने से मंगल, बहन और बुआ के पैर छूने से बुध, गुरुओं, संतों, ब्राह्मणों आदि के पैर छूने से देवगुरु बृहस्पति, दादा, बुजुर्गों के पैर छूने से केतु और भाभी के पैर छूने से शुक्र मजबूत होता है.
हिंदू धर्म के अनुसार हमें हमेशा अपने हाथ को क्रास बनाकर किसी भी व्यक्ति का चरण स्पर्श करना चाहिए. ऐसा करने पर हम अपने दाएं हाथ से अगले व्यक्ति का दायां पैर और बाएं हाथ से उसका बायां पैर छूते हैं.
कभी भी किसी व्यक्ति के पैर आधे-अधूरे मन से नहीं छूना चाहिए. जब भी किसी का चरण स्पर्श करें तो उसे पूरा सम्मान जरूर दें. अनमने ढंग से या फिर तिरस्कार करते हुए पैर छूने पर दोष लगता है, इसलिए चरण हमेशा उसी व्यक्ति के छुएं जिसके प्रति मन में आपकी गहरी श्रद्धा हो.