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पीपल वृक्ष का वैदिक महत्व एवं पूजन विधि

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पीपल वृक्ष वेदों और पुराणों में बहुत महत्वपूर्ण है। पीपल की उत्पत्ति और महत्व के बारे में वेद और पुराणों में कई सूक्ति और श्लोक लिखे गए हैं। ऋग्वेद में पीपल का उल्लेख “अश्वत्थो वृक्षो अर्कः” इस पंक्ति से किया गया है। यजुर्वेद में पीपल का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें पीपल को “देवो वृक्ष” और “विश्वप्रसूति” भी कहा गया है। अथर्ववेद में पीपल को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। अथर्ववेद के एक श्लोक में कहा गया है

“अश्वत्थो वृक्षो विश्वस्य रूपमेतत् सनातनं
तद्योर्मगं प्रपद्ये स वेद यस्तं वेद सर्वम्”

इसका अर्थ होता है, “पीपल वृक्ष विश्व का रूप है और यह सनातन है। जो इसके नीचे बैठता है, वह सब कुछ जानता है।” भगवद गीता में भी पीपल के बारे में उल्लेख किया गया है। गीता में कहा गया है।

“अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद:।
गन्धर्वाणां चित्ररथ: सिद्धानां कपिलो मुनि:।।”

इसका अर्थ होता है, “पीपल वृक्ष सभी वृक्षों में सबसे ऊँचा होता है। नारद और गन्धर्वों के रथ भी इसके बीच से गुजरते हैं। सिद्धों में कपिल मुनि भी इसके नीचे बैठते हैं।” पद्म पुराण में भी पीपल के महत्व का वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है कि पीपलके पेड़ के नीचे बैठने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, पद्म पुराण में पीपल की महिमा के बारे में कई कथाएं भी हैं। उनमें से एक कथा बताती है कि भगवान विष्णु ने पीपल के वृक्ष को अपना आश्रय दिया था। उपनिषदों की बात करें तो उपनिषदों में भी पीपल का विस्तृत वर्णन किया गया है। उपनिषदों में पीपल को “बोधि वृक्ष” भी कहा जाता है। उपनिषदों के अनुसार, पीपल का वृक्ष ब्रह्माण्ड का प्रतीक होता है और इसे में जीवित और मृतक दोनों जीवों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

वैदिक काल से ही पीपल का पूजन किया जाता रहा है। पीपल को दीपावली, होली, नवरात्रि, शिवरात्रि जैसे धार्मिक उत्सवों में भी पूजा जाता है। पूजन के दौरान पीपल के नीचे दीपक जलाया जाता है और पीपल की पत्तियों का प्रयोग भी किया जाता है। पीपल की पत्तियां लेकर पूजा के दौरान मंत्रों का जाप किया जाता है और इसके द्वारा धार्मिक उपलब्धियों की प्राप्ति की जाती है। पीपल का महत्व वैदिक काल से ही रहा है और धार्मिक उत्सवों में इसका पूजन किया जाता है। इसके अलावा, वैदिक साहित्य में पीपल को महत्वपूर्ण औषधि के रूप में भी बताया गया है। उसकी पत्तियों, छाल और बीजों से कई रोगों के उपचार किए जाते हैं।

इस प्रकार, वेदों और पुराणों में पीपल वृक्ष के महत्व का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह एक पवित्र वृक्ष माना जाता है जिसका पूजन और उपासना वैदिक संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। वैदिक काल में पीपल का पूजन बहुत ही महत्वपूर्ण था। पीपल के पूजन के लिए वैदिक साहित्य में विधियां बताई गई हैं।

पीपल का पूजन करने के लिए इस विधि का पालन किया जाता है:

1. सबसे पहले पीपल के पेड़ के नीचे एक माला या रुद्राक्ष माला फैलाएं।

2. फिर पीपल की स्थापना करें। स्थापना के लिए पीपल की जड़ पर अर्घ्य चढ़ाएं। अर्घ्य के लिए गंगा जल, दूध या तिलक चढ़ाएं।

3. फिर पीपल की पत्तियों को साफ करें और उन्हें शुद्ध जल से धोएँ।

4. अब पीपल की पत्तियों को वस्त्र या कपड़े से साफ करें।

5. अब पीपल के नीचे बैठें और माला या रुद्राक्ष माला लेकर मंत्रों का जाप करें।

6. पीपल पूजन के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करें और उन्हें ध्यान में रखें।

7. पूजन के बाद पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं।

8. अंत में प्रसाद बांटें।

इसप्रकार, पीपल के पूजन के लिए वैदिक साहित्य में बताई गई विधि होती है। पीपल का पूजन करने से स्वस्थ और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पीपल वृक्ष का महत्व धार्मिक तथों के साथ-साथ वैज्ञानिक तथ्यों में भी होता है। इसे एक पवित्र वृक्ष माना जाता है जो मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। आधुनिक युग में पीपल वृक्ष के कुछ प्रमुख वैदिक और वैज्ञानिक तथ्य निम्न हैं।

1. पीपल वृक्ष को एक पवित्र वृक्ष माना जाता है जो सारे ब्रह्माण्ड के लिए महत्वपूर्ण है, इसे विश्ववृक्ष और देववृक्ष भी कहा जाता है।

2. पीपल वृक्ष को शिव का प्रतीक माना जाता है। सभी शिवलिंगों के नीचे पीपल के पेड़ होते हैं।

3. पीपल के पेड़ का जीवनकाल लगभग 200 से 300 साल होता है। इससे ज्यादा उम्र के पीपल के पेड़ भी होते हैं।

4. पीपल के पेड़ के लकड़ी और पत्तियों में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक तत्वों की तरह काम करते हैं।

5. पीपल के नीचे जल रखने से पेट के कई रोगों से छुटकारा मिलता है। इससे सम्बंधित एक वैज्ञानिक तथ्य है कि पीपल के नीचे जमा पानी में एचआईवी वायरस और अन्य कई जीवाणुओं के लिए अविरोधी गुण होते हैं।

6. पीपल के नीचे बैठने से शरीर को शक्ति मिलती है और चित्त शांति प्राप्त होती है। यह एक वैदिक तथ्य है।

7. पीपल के नीचे ज्योतिषीय दृष्टि से धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।

8. पीपल के पेड़ की जड़ और तने बहुत गहरे होते हैं और इसलिए इसके नीचे कुछ नहीं उगता। इससे पीपल के पेड़ का प्रभाव नजर आता है जैसे कि यह अपनी विशालता के कारण उस स्थान का शासक है।

9. पीपल के पत्तों के रंग विभिन्न रंगों में होते हैं, जैसे हरा, पीला, लाल और गुलाबी।

10. पीपल के लकड़ी का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे कि चिप्स, फर्नीचर, खोदने के उपकरण आदि।

11. पीपल को जीवनदायी माना गया है और इसे बनाने के लिए विभिन्न पूजा-अर्चना विधियों का अनुसरण किया जाता है।

12. पीपल के पत्तों का सेवन करने से शरीर को विटामिन C, विटामिन के साथ-साथ अन्य पोषक तत्वों का भी अच्छा स्रोत मिलता है।

13. पीपल के लकड़ी का रस एक तरह की स्पष्ट तरल पदार्थ होता है इसे दाहिने हाथ को गर्म करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

14. पीपल का फल शीतल तत्वों का अच्छा स्रोत होता है। इसलिए, गर्मियों में इसका सेवन करना शरीर को ठंडा करने में मदद करता है।

15. पीपल के पत्तों का रस कई तरह के त्वचा रोगों के इलाज में उपयोगी होता है।

पीपल की लकड़ी नवग्रह संविदा में गुरु की लकड़ी के रूप में किया जाता है, अगर किसी का गुरु कमजोर हो तो वह नित्य पीपल की लकड़ी का हवन करें उससे उसका गुरु मजबूत हो जाता है।

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