छोड़कर सामग्री पर जाएँ

कन्हैया का पीताम्बर

इस ख़बर को शेयर करें:

एक बार कन्हैया ब्रज में किसी के घर जाते है और उस गोपी से कहते है, ”क्या मक्खन ले लूँ।” गोपी कहती है, “देख लाला ! यदि तुम्हें मक्खन खाना हो, तो मेरा थोड़ा सा काम करना पड़ेगा।” यह सुनकर कन्हैया कहते हैं, “गोपी ! बता तेरा क्या काम करना है ?” गोपी कहती है, “देखो ! ‘मेरा वह पीढ़ा (पाटला) ले आओ।”

सच जहाँ प्रेम होता है वहाँ संकोच नहीं होता। यह तो शुद्ध प्रेम-लीला है। कन्हैया जाते है और पीढ़ा उठाते तो हैं, किन्तु भारी होने के कारण उसे उठा नहीं पाते। कन्हैया अत्यंत कोमलशरीर के हैं। फिर भी उन्हें मक्खन का लालच है वह पीढ़ा उठाते हैं, किन्तु वह पीढा बड़ा भारी था।

भारी होने के कारण रास्ते में उसके हाथ से छुट जाता है और उसका पीताम्बर भी खुल जाता है। ज्ञानी पुरुष को ब्रह्म-साक्षात्कार होता है। फिर भी ज्ञानी पुरुष जब तक पंचभौतिक शरीर में होता है, तब तक माया का थोड़ा पर्दा होता ही है। उसे प्रारब्ध का कुछ भोग भोगना ही पड़ता है। माया यदि थोड़ी भी बाकि होती है, तो भी प्रारब्ध भोगना ही पड़ता है। गोपी निरावरणपरमात्मा के दर्शन करती है। जहाँ अतिशय प्रेम होता है वहाँ पर्दा हट जाता है।

पीढ़ा गिरते ही कन्हैया रोने लगते हैं। गोपी दौड़कर आती है और कहती है, “अरे ! लाला तुझे क्या हो गया ? क्या कुछ चोट लग गई ?” कन्हैया कहते हैं, ”चोट तो नहीं लगी, किन्तु मेरा पीताम्बर खुल गया है।” गोपी लाला को पीताम्बर पहनाती है। वास्तव में जहाँ ऐश्वर्य होता है, वहाँ पर्दा होता है। प्रेम में पर्दा नहीं होता।सच है प्रेम का सम्बन्ध ही सबसे ऊँचा है।

गणेश मुखी रूद्राक्ष पहने हुए व्यक्ति को मिलती है सभी क्षेत्रों में सफलता एलियन के कंकालों पर मैक्सिको के डॉक्टरों ने किया ये दावा सुबह खाली पेट अमृत है कच्चा लहसुन का सेवन श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में हुआ दर्ज महिला आरक्षण का श्रेय लेने की भाजपा और कांग्रेस में मची होड़