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जब कभी भी कोई व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में अपने से अधिक सफल व्यक्ति को देखता है, तो वह बड़ा आश्चर्य चकित होकर सोचता है कि वह कितना खुशहाल जीवन जी रहा है। वह कभी भी उस सफल व्यक्ति के विषय में यह नहीं सोचता है कि उसको यहां तक पहुंचने में उसके द्वारा किए गए निरन्तर कठिन परिश्रम, बहुत से सुख सुविधाओं का त्याग एवं उसके द्वारा किए गए अन्य कठोर सभी प्रकार के उपायों का कितना बड़ा योगदान है। असली कहानी तो उसी व्यक्ति को ही पता होती है जिसको, उसको जानने वाले सभी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में बहुत सफल समझते हैं।
कोई भी व्यक्ति जन्म से ही किसी भी प्रकार की सफलता की विशेष योग्यता लेकर पैदा नहीं होता है। वह सफलता जो उसको उसके जीवन में प्राप्त हुई होती है। वह उसके स्वयं के द्वारा किए गए कठिन परिश्रम एवं उच्च उपायों द्वारा ही प्राप्त होती है। भारतीय सनातन धर्म के अनुसार देश के बहुत से महापुरुषों ने कर्म को ही सर्वोत्तम कहा है। श्री कृष्ण ने गीता में- “कर्मण्येवाधिकारस्ते” तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में- “कर्म प्रधान विश्व कर राखा” कहकर कर्म के महत्व का विशेष उल्लेख किया है।
“प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कभी-कभी उसके अनुकूल उचित अवसर आते रहते हैं। जो कोई भी व्यक्ति इन उचित अवसरों का पूरा लाभ उठा लेता है वही ऊंचा उठ जाता है”-
बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
इस प्रकार के उदाहरणों से अपने भारतीय धर्म ग्रंथ भरे पड़े हैं। और इस प्रकार के उदाहरणों की आज भी हमारे देश में कोई कमी नहीं है। हम सभी जानते हैं कि प्रसिद्ध उद्योगपति धीरूभाई अंबानी अपने स्वयं के प्रयासों से जमीन से उठकर कितनी ऊंचाई प्राप्त कर चुके हैं। आजकल अंबानी जी के साथ ही अडानी जी का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। इसी प्रकार से प्रसिद्ध आदरणीय गूजरमल मोदी जी ने अपने कठिन परिश्रम से ही पंजाब के एक गांव से निकल कर प्रसिद्ध उद्योगपतियों में अपने लिए सम्मानित स्थान प्राप्त किया हुआ है।
गाजियाबाद मेरठ रोड पर एक अपना मोदीनगर नाम का एक विशाल औद्योगिक क्षेत्र बनाया हुआ है। आदरणीय टाटा परिवार का नाम तो बहुत दिनों से ही हमारे देश में विशेष रूप से सम्मान के साथ लिया जाता है। इस प्रकार की सूची बहुत लंबी है और औद्योगिक क्षेत्र में ही नहीं दूसरे क्षेत्रों में भी है।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने किस प्रकार की विपरीत कठिन परिस्थितियों में रह कर भी बहुत उच्चतम शिक्षा प्राप्त की थी। और देश की उन्नति के लिए उनका कितना विशेष महत्वपूर्ण योगदान है। उनके द्वारा दिए गए देश के लिए विशेष योगदान से हम समस्त भारतवासी भली भांति से परिचित हैं। इसी प्रकार से खेल के मैदान में, विज्ञान के क्षेत्र में, एवं अन्य सभी क्षेत्रों में भी हमारे देश के बहुत से व्यक्ति ईमानदारी के साथ किए गए अपने कठिन परिश्रम से समाज एवं संपूर्ण देश के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। हमारे देश के बहुत से विद्वान तो विदेशों में रहकर भी अपने ज्ञान का लोहा मनवा रहे हैं।
क्या हम सभी देशवासी आपस में मिलकर, अपनी-अपनी उच्चतम क्षमता के अनुसार इस प्रकार का प्रयास नहीं कर सकते हैं? अवश्य कर सकते हैं। अब समय आ गया है कि अपने-अपने मन से निराशा के भावों को दूर हटाकर, आसावन बनकर, अपनी योग्यता का परिचय देकर सभी भारतवासी आपस के भेदभाव को समाप्त करके, संगठित होकर,समानता के साथ अपना सर्वाधिक योगदान देश को देने का प्रयास करते रहें।
-बिन्नामी सिंह ठेकेदार