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24 नवंबर, 1944 को मुंबई में जन्मे एक्टर और डायरेक्टर अमोल पालेकर ऑफबीट फिल्मों के स्टार थे और अपने शांत और सहज अभिनय से लोगों का दिल जीत लेते थे। उनकी बोलने की स्टाइल, कॉमेडी करने का ढंग और इमोशनल करने अंदाज भी अनोखा था। अमोल पालेकर सिचुएशनल कॉमेडी के लिए मशहूर थे। उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखने से पहले थिएटर में अपनी किस्मत आजमाई थी।
पालेकर ने मुंबई के मशहूर कॉलेज जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से बतौर आर्टिस्ट अपने करियर की शुरुआत की। कॉलेज के दिनों में वे पेंटर भी रहे हैं। अमोल ने जेजे स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में एडमिशन लिया, तो खर्च चलाने के लिए टाइपिंग सिखाते थे। ग्रेजुएशन के बाद कई एड एजेंसी में काम किया।
उसके बाद बैंक में क्लर्क की नौकरी लगी, तो दिन में बैंक में काम करते और रात को पेंटिंग। अमोल की जिंदगी के कई पहलू हैं। उनके मुताबिक, वे एक्टर इत्तफाकन बने, प्रोड्यूसर मजबूरी में, डायरेक्टर अपनी मर्जी से, लेकिन दिल से वे पेंटर ही हैं। यहां तक कि एक्टिंग-डायरेक्शन में एक पेंटर की नजर से ही चीजों को देखते हैं।
1967 में अमोल की पेंटिंग्स को किसी गैलरी ने एग्जीबिशन के लिए स्वीकार नहीं किया। तब मशहूर पेंटर के.एच.आरा ने अमोल की न सिर्फ पेंटिंग्स की तारीफ की, बल्कि ताज आर्ट गैलरी में अपनी डेट्स अमोल को दे दीं। लेकिन अमोल उस समय बैंक की नौकरी में प्रोबेजन पर थे इसलिए एग्जीबिशन में जाने की इजाजत नहीं मिली। 2014 से उनके चित्रों की एग्जीबिशन अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई के अलावा अमेरिका में लग चुकी हैं। अमोल अपनी पेंटिंग्स बेचकर होने वाली कमाई को सोशल कॉज के लिए डोनेट करते हैं।
1971 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले अमोल पालेकर ने बॉलीवुड में करीब डेढ़ दशक तक काम किया, तकरीबन 40 फिल्में कीं लेकिन बतौर हीरो उन्हें सिर्फ एक बार फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। 1980 में यह अवॉर्ड उन्हें फिल्म ‘गोलमाल’ के लिए दिया गया था।
रजनीगंधा (1974), घरौंदा (1976), छोटी सी बात (1975), गोलमाल (1979) उनके करियर की बेहतरीन फिल्में रहीं। इनमें से ‘छोटी सी बात’ लो बजट फिल्म थी, जिसकी सफलता ने उस समय में बॉलीवुड में हलचल मचा दी थी।
अमोल पालेकर ने पहला नाटक 1968 में “शांतता! कोर्ट चालू आहे’ किया था। पहली मराठी फिल्म बाजीराउचा बेटा (1969) और पहली हिंदी फिल्म रजनीगंधा(1974) की। 1972 में अपना थिएटर ग्रुप ‘अनिकेत’ बनाया। अमोल के दो नाटकों को अश्लीलता के आरोप में महाराष्ट्र सरकार ने बैन कर दिया था। इसके खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई। 2016 में थिएटर सेंसरशिप के खिलाफ बोले। 2017 में सिनेमैटोग्राफी एक्ट की कुछ धाराओं को बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर की। सेंसर बोर्ड की सेंसरशिप के खिलाफ कोर्ट गए।
एक निर्देशक के रूप में उन्होंने कई फिल्मों को डायरेक्ट करने के साथ कुछ सीरियल्स का भी निर्देशन किया। अमोल ने साल 1981 में मराठी फिल्म ‘आक्रित’ से डायरेक्शन में कदम रखा। उनकी बनाई पांच फिल्मों को नेशनल अवॉर्ड मिले हैं।
ये फिल्में हैं- बांगरवाड़ी (मराठी), दायरा (फीचर फिल्म), कैरी, ध्यास पर्व, क्वेस्ट (इंग्लिश)। उनकी लास्ट डायरेक्टेड हिंदी फिल्म ‘पहेली’ रही।
शाहरुख खान और रानी मुखर्जी स्टारर यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाई। हालांकि, ‘पहेली’ को ऑस्कर के लिए बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में इंडियन एंट्री डिक्लेयर किया गया था, लेकिन यह फिल्म अवॉर्ड नहीं जीत पाई। उनकी आखिरी निर्देशित फिल्म साल 2011 में रिलीज हुई मराठी फिल्म ‘धूसर’ थी। अमोल पालेकर बतौर कैरेक्टर आर्टिस्ट इस साल वेबसीरीज ‘फर्जी’ और फिल्म ‘गुलमोहर’ में नजर आए थे।
अमोल पालेकर की पहली शादी संध्या गोखले से हुई थी लेकिन 2001 में दोनों का तलाक हो गया था। दोनों की शादी 1969 में हुई थी और ये 32 साल टिकी। तलाक के बाद 2001 में पालेकर ने चित्रा से शादी कर ली थी। पालेकर दो बेटियों के पिता हैं।