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माँ काली के शक्तिशाली नामावली और सरुप

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1. शशि शेखर – भगवती के ललाट पर चन्द्रमा की स्थिति बताकर उन्हें “शशि शेखरा’ कहा गया है, इसका भावार्थ यह है कि वे विदानन्दमयी है तथा अमृतत्व रूपी चन्द्रमा को धारण किए हैं अर्थातु उनकी शरण में पहुँचने वाले साधक को अमृतत्व की उपलब्धि होती है ।

2. मुक्त केशी– भगवती के बाल विखरे हैं, इसका तात्पर्य है कि भगवती केश-विन्यासादि विकारों से रहित त्रिगुणातीता हैं।

3.त्रिनेत्रा– भगवती के तीन नेत्र हैं यह कहने का आशय है कि सूर्य, चन्द्र तथा अग्नि ये तीनों ही भगवती के नेत्र रूप हैं। दूसरे शब्दों में भगवती तीनों लोकों को, तीनों कालों को देख पाने में सक्षम हैं।

4. महाघोरा – भगवती उच्चस्वर वाली है, इसका भावार्थ है भगवती का नाम सुनते ही पाप-समूह उसी प्रकार पलायन कर जाते हैं, जिस प्रकार सिंह की दहाड़ सुनकर वन के पशु दूर भाग जाते हैं।

6. प्रकटित रदना – ‘भगवती के दाँत बाहर की ओर निकले हैं, जिनसे वे जीभ को दबाये हुए हैं’ इस कथन का आशय यह है कि भगवती तमोगुण एवं रजोगुण रूपी जीभ को अपने सतोगुण रूपी उज्ज्वल दाँतों से दबाये हुए हैं।

7. स्मितमुखी – ‘भगवती के मुख पर मुस्कान बनी रहती है’ – इसका तात्पर्य है कि वे नित्यानन्द स्वरूपा है ।

8. नित्य यौवनवती- ‘देवी नित्य यौवनवती है यह कहने का आशय है कि भगवती में अवस्था सम्बन्धी कोई परिवर्तन नहीं होता। वे नित्य चितु स्वरूपा युवती जैसी बनी रहती है।

10. करालबदना – इसका तात्पर्य है कि भगवती के विराट् स्वरूप को देखकर दुष्टजन भयभीत हो जाते हैं।

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