इस ख़बर को शेयर करें:
गर्भधारण से विवाह तक के काल में जीवन के प्रमुख सोलह प्रसंगो में, ईश्वर के निकट पहुंचने हेतु होते है सोलह संस्कार !
१. गर्भाधान
२. पुंसवन
३. सीमंतोन्नयन
४. जातकर्म (जन्मविधि,पुत्रावण)
५. नामकरण
६. निष्क्रमण (घर के बाहर ले जाना)
७. अन्नप्राशन
८. चौलकर्म (चूडाकर्म, चोटी रखना)
९. उपनयन (व्रतबंध, मुंज)
१०. मेधाजनन
११. महानाम्नीव्रत
१२. महाव्रत
१३. उपनिषद्व्रत
१४. गोदानव्रत (केशांतसंस्कार)
१५. समावर्तन
१६. विवाह
धर्म सिखाता है कि मनुष्य-जन्म ईश्वरप्राप्ति के लिए है; इसलिए जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रत्येक प्रसंग में ईश्वर के निकट पहुंचने के लिए आवश्यक उपासना कैसे की जाए, इसका मार्गदर्शन धर्मशास्त्र में किया गया है । जन्म से लेकर विवाह तक जीवन का एक चक्र पूर्ण होता है.
ज्यादा पसंद की गई खबरें:
सनातन धर्म में सप्त बद्री धाम
माता-पिता का ऋण कैसे उतरेगा...?
शिक्षाप्रद कथा : हनुमान ने कैसे किया भीम का अभिमान भंग
जानें पूजन पाठ में चावल के दानों का तिलक का गुण व महत्व
गायत्री मंत्र क्यों और कब ज़रूरी है ?
आदि शंकराचार्य द्वारा रचित चर्पटपञ्जरिका स्तोत्र हिंदी अर्थ के साथ
सनातन परंपरा के एक पुरोधा संत पहलाद जानी जी
मां सरस्वती को विद्या की देवी क्यों कहा जाता है ?