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शिव के पद छवि उर वास वसे पद कमल सदा नत भाल रहे।
तिहुं लोक के स्वामि सदाशिव नित इस दास पे नाथ कृपाल रहें।।
जिनके शुचि कण्ठ हलाहल है जिनके कर काल कराल रहे।
सोइ शम्भु सदा उर बासैं मोरे अरु माथ पे हाथ कृपाल रहे।
जिनके गल माल कपाल सदा अरु शोभित सर्प विशाल रहे।
सोइ शंकर हर अविनाशि सदा इस दास पे नाथ कृपाल रहें।।
शमशान के जिनको भान नहीं स्नान में भस्म गुलाल रहे।
उनके चरनन यहु दास सदा सिर हाथ सदा महाकाल रहे।।
सब भूत भभूत रमाय फिरैं भगतन के बाजत गाल रहे।
भस्मांग विभूषित योगेश्वर इस दास पे नाथ कृपाल रहें।।
हिमवान सुता संग लै विहरैं वृषराज की मोहक चाल रहे।
सोइ चन्द्र किरीट हरीश सदा इस दास पे नाथ कृपाल रहें।।
लख चौरासी शिव पद में रहूं नित मोरे मन यहु हाल रहे।
चरनन रज में मैं जाइ मिलूं शिवदास पे नाथ कृपाल रहें।।
श्री हरि ॐ
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