छोड़कर सामग्री पर जाएँ

अंग्रेजी कैलेंडर की असलियत

टैग्स:
इस ख़बर को शेयर करें:

दुनिया का लगभग प्रत्येक कैलेण्डर बसंत ऋतू से ही प्रारम्भ होता है, यहाँ तक कि ईस्वी सन वाला कैलेण्डर (जो आजकल प्रचलन में है) वो भी मार्च से प्रारम्भ होना था। इस कलेंडर को बनाने में कोई नयी खगोलीये गणना करने के बजाये सीधे से भारतीय कैलेण्डर (विक्रम संवत) में से ही उठा लिया गया था। आइये जाने क्या है इस कैलेण्डर का इतिहास।

दुनिया में सबसे पहले तारो, ग्रहों, नक्षत्रो आदि को समझने का सफल प्रयास भारत में ही हुआ था। तारो, ग्रहों, नक्षत्रो, चाँद, सूरज आदि की गति को समझने के बाद भारत के महान खगोल शास्त्रीयो ने भारतीय कलेंडर (विक्रम संवत) तैयार किया, यह मात्र एक कैलेंडर नहीं था बल्कि धरती के सापेक्ष ग्रहों नक्षत्रों की पूरी लाग टेबल थी।

इसके महत्त्व को उस समय सारी दुनिया ने समझा। लेकिन यह इतना अधिक व्यापक था कि आम आदमी इसे आसानी से नहीं समझ पाता था, बिना किसी विद्वान् (पंडित) के इसे समझना आसान नहीं था। भारतीय कैलेण्डर को देखने के बाद रोमन सम्राट आगस्तीन ने भी अपने विद्वानों से एक आसान कैलेण्डर बनाने को कहा।

उन लोगों ने उस में कुछ भी नया खोजने के बजाये, भारतीय कैलेंडर को सीधा उठाकर, केवल आसान बनाने का प्रयास किया था। प्रथ्वी द्वारा 365/366 में होने बाली सूर्य की परिक्रमा को बर्ष और इस अबधि में चंद्रमा द्वारा प्रथ्वी के लगभग 12 चक्कर को आधार मान कर कैलेण्डर तैयार किया और साल को 12 महीनों में बाँट दिया।

महीनो की क्रम संख्या के आधार पर उनके नाम रख दिए गए। सेप्तम्बर में सप्त अर्थात सात, अक्तूबर में ओक्ट अर्थात आठ, नवम्बर में नव अर्थात नौ, दिसंबर में दस का उच्चारण महज इत्तेफाक नहीं है। अन्य महीनो के नाम भी संभवत: एक, दो, तीन की गिनती में अम्बर जैसा कुछ जोड़ कर रखे गए थे।

सम्राट आगस्तीन ने अपने जन्म माह का नाम अपने नाम पर आगस्त और भूतपूर्व महान सम्राट जुलियस के नाम पर जुलाई रख दिया। महीनो में दिनों की संख्या इस प्रकार थी। मार्च (31), अप्रैल (30), मई (31), जून (30), जुलाई (31), अगस्त (30), सेप्तम्बर (31), अक्तूबर (30), नबम्बर (31), दिसंबर (30), जनवरी (31), फरबरी (30/29)।

आगस्तीन को लगा कि उसके नाम बाला महीना आगस्त छोटा (30 दिन) का हो गया है तो उसने जिद पकड़ ली कि अगस्त भी 31 दिन का होना चाहिए। राजहठ को देखते हुए खगोल शास्त्रीयों ने जुलाई के बाद अगस्त को भी 31 दिन का कर दिया और उसके बाद वाले सेप्तम्बर (30), अक्तूबर (31), नबम्बर (30), दिसंबर (31) का कर दिया।

एक दिन को एडजस्ट करने के लिए पहले से ही छोटे महीने फरवरी को और छोटा करके (28/29) कर दिया। बाद में कैलेंडर को मार्च के बजाय जनवरी से शुरू कर दिया गया। इस कैलेण्डर से कोई खगोलीय घटना का पता नहीं चलता है बल्कि केवल साल के 365/366 दिनों को बारह हिस्सों में बिभाजित किया गया है।

गणेश मुखी रूद्राक्ष पहने हुए व्यक्ति को मिलती है सभी क्षेत्रों में सफलता एलियन के कंकालों पर मैक्सिको के डॉक्टरों ने किया ये दावा सुबह खाली पेट अमृत है कच्चा लहसुन का सेवन श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में हुआ दर्ज महिला आरक्षण का श्रेय लेने की भाजपा और कांग्रेस में मची होड़