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कर्मो के फेर

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एक कथा आती है शास्त्रों में, एक बार शंकर पार्वती भ्रमण पर निकले, रास्ते में उन्होंने देखा कि एक तालाब में कई बच्चे तैर रहे थे , लेकिन एक बच्चा उदास मुद्रा में बैठा था।

पार्वती जी ने शंकर जी से पूछा, यह बच्चा उदास क्यों है ?

शंकर जी ने कहा, बच्चे को ध्यान से देखो। पार्वती जी ने देखा, बच्चे के दोनों हाथ नही थे, जिस कारण वो तैर नही पा रहा था।

पार्वती जी ने शंकर जी से कहा कि आप शक्ति से इस बच्चे को हाथ दे दो ताकि वो भी तैर सके।

शंकर जी ने कहा, हम किसी के पार्ट में हस्तक्षेप नही कर सकते हैं क्योंकि हर आत्मा अपने कर्मो के फल द्वारा ही अपना पार्ट अदा करती है।

पार्वती ने बार बार विनती की। आखिरकर शंकर जी ने उसे हाथ दे दिए। वह बच्चा भी पानी में तैरने लगा।

एक सप्ताह बाद शंकर पार्वती फिर वहाँ से गुज़रे। इस बार मामला उल्टा था, सिर्फ वही बच्चा तैर रहा था और बाकी सब बच्चे बाहर थे।

पार्वती जी ने पूछा यह क्या है ?

शंकर जी ने कहा, ध्यान से देखो। देखा तो वह बच्चा दूसरे बच्चों को पानी में डुबो रहा था इसलिए सब बच्चे भाग रहे थे। शंकर जी ने जवाब दिया : – हर व्यक्ति अपने कर्मो के अनुसार फल भोगता है। भगवान किसी के कर्मो के फेर में नही पड़ते है। उसने पिछले जन्मो में हाथों द्वारा यही कार्य किया था इसलिए उसके हाथ नही थे।

हाथ देने से पुनः वह दूसरों की हानि करने लगा है। प्रकृति नियम अनुसार चलती है ,किसी के साथ कोई पक्षपात नही।

आत्माएँ जब ऊपर से नीचे आती हैं तो अच्छी ही होती हैं ,कर्मो अनुसार कोई अपाहिज है तो कोई भिखारी, तो कोई झुग्गी में तो कोई बड़े महलों में रहता है लेकिन सब परिवर्तन शील है, अगर महलो में रहकर या पैसे के नशे में आज कोई बुरा काम करता है लेकिन भुगतान तो सबको करना ही पड़ेगा।

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