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ओडिशा के मयूरभंज जिले के धानपुर गांव में शनिवार (17 मार्च) को उड़ने वाला सांप या ओर्नेट फ्लाइंग स्नेक पाया गया. इसे सिमिलिपल टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम ने रेस्क्यू करके आजाद कराया. देश-दुनिया में सांपों की हजारों प्रजातियां मौजूद हैं. उड़ने वाला यह दुर्लभ सांप भी इन्हीं में से एक है. यह सांपों की दुर्लभ प्रजाति है जो भारत समेत कुछ ही देशों में पाई जाती है. ये सांप छिपकलियों, छोटे जानवरों, पक्षियों, छोटे सांपों और कीटों को खाते हैं. ये घरों के आसपास भी कभी-कभी दिखाई देता है. यह कभी-कभी पेड़ की डाल से लटका भी देखा गया है. इनके देखे जाने की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं. यह सांप आमतौर पर पेड़ों पर ही अपना जीवन बिताता है.
मध्य भारत में मिलते हैं ये सांप
उड़ने वाले सांप क्रिसोपिली (Chrysopelea) जीनस के सांप हैं. यह बहुत कम जहरीले होते हैं. इसलिए इंसानों को इनसे कम खतरा होता है. ये सांप दक्षिण-पूर्वी एशिया, दक्षिणी चीन, भारत और श्रीलंका में पाए जाते हैं। भारत में ये मध्य भारत, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अधिक पाए जाते हैं. ये सांप अत्यधिक तेज रफ्तार से चलने की क्षमता रखते हैं.
ऐसे ‘उड़ता’ है सांप
आमतौर पर माना जाता है कि यह सांप उड़ता है. लेकिन ऐसा हकीकत में है नहीं. दरअसल पेड़ पर रहने वाला यह सांप एक डाल या एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाता है. इसके लिए सांप अपने शरीर को फुलाता है और शरीर को विशेष आकार देता है. इसके बाद एक डाल से दूसरी डाल पर कूद जाता है। इसकी इसी विशेषता के कारण इसे उड़ने वाला सांप कहते हैं. यह ऐसे कूदता है, मानो यह उड़ रहा हो.