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( अपनी माता के अंदर सभी देवियों के सूक्ष्म रूप के दर्शन करो यानि अपनी माता के प्रति सकारात्मक सोच रखो , माता में केवल अवगुण देखने से आप अपने प्रारब्ध में दुर्भाग्य को पोषित करोगे )
एक औरत थी, जो अंधी थी जिसके कारण उसके बेटे को स्कूल में बच्चे चिढाते थे कि.. अंधी का बेटा आ गया,
हर बात पर उसे ये शब्द सुनने को मिलता था कि “अंधी का बेटा”
“इसलिए वो अपनी माँ से चिडता था.! उसे कही भी अपने साथ लेकर जाने में हिचकता था उसे नापसंद करता था..
“उसकी माँ ने उसे पढ़ाया..और उसे इस लायक बना दिया की वो अपने पैरो पर खड़ा हो सके..
लेकिन जब वो बड़ा आदमी बनगया तो अपनी माँ को छोड़ अलग रहने लगा…:”
एक दिन एक बूढी औरत उसके घर आई और गार्ड से बोली..
मुझे तुम्हारे साहब से मिलना है जब गार्ड ने अपने मालिक से बोल तो मालिक ने कहा कि बोल दो मै अभी घर पर नही हूँ. गार्ड ने जब बुढिया से बोला कि वो अभी नही है. तो वो वहा से चली गयी..‼
थोड़ी देर बाद जब लड़का अपनी कार से ऑफिस के लिए जा रहा होता है. तो देखता है कि सामने बहुत भीड़ लगी है..और जानने के लिए कि वहा क्यों भीड़ लगी है वह वहा गया तो देखा उसकी माँ वहा मरी पड़ी थी..उसने देखा की उसकी मुट्ठी में कुछ है, उसने जब मुट्ठी खोली तो देखा की एक लेटर जिसमे यह लिखा था कि बेटा जब तू छोटा था तो खेलते वक़्त तेरी आँख में सरिया धंस गयी थी और तू अँधा हो गया था तो मैंने तुम्हे अपनी आँखे दे दी थी..
इतना पढ़ कर लड़का जोर- जोर से रोने लगा..परन्तु अब उसकी माँ उसके पास नही आ सकती थी..🙂
विशेष माता ईश्वर का वो साकार रूप है जिनके अंदर अपनी संतान के लिए दैविक ऊर्जा विद्यमान है जो उस ऊर्जा का सम्मान करता है वो जन्म जन्मांतर तक इस ऊर्जा से वंचित नहीं होता है यानि हर जन्म में अच्छी माँ आपके प्रारब्ध ( भाग्य ) में पोषित होते है बाकी लोग अनाथ अथवा माता का संरक्षण नहीं प्राप्त कर पाते है और पितर दोष के कारण दुखी जीवन व्यतीत करते है !