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पांचों उंगलियां प्राण शक्ति/महत्वपूर्ण बल की भंडार हैं। इन उंगलियों के पोरों में सबसे ज्यादा ऊर्जा प्रवाहित होती है। 5 अंगुलियों में पंच महाभूत (5 महान तत्व) होते हैं।
🔸इंद्र मुद्रा: रक्त परिसंचरण में सुधार और त्वचा की समस्याओं के लिए बढ़िया है।
🔹वरुण मुद्रा: ड्रॉप्सी (पेट में पानी जमा होना) और प्लुरिसी (फेफड़ों में पानी जमा होना) को ठीक करता है।
🔸पृथ्वी मुद्रा: हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाती है। एनीमिया के लिए जीवन शक्ति और वरदान देता है।
🔸सूर्य मुद्रा (एक बार में 15 मिनट से अधिक नहीं करना चाहिए): पाचन अग्नि (मेटाबॉलिज्म) को बढ़ाता है और शरीर में अत्यधिक वजन को कम करता है। हाइपरथायरायडिज्म के लिए बढ़िया.
🔹शून्य मुद्रा: सुन्नता और टिनिटस के उपचार में मदद करता है। कान के दर्द के लिए बढ़िया.
🔸आकाश मुद्रा : गले में जमा कफ को ठीक करता है। ईएनटी समस्याओं के लिए बढ़िया.
🔹वायु मुद्रा: गैस्ट्रिक रोगों में उपयोग किया जाता है।
🔸ज्ञान मुद्रा/चिन मुद्रा: पीनियल, पिट्यूटरी ग्रंथियों को सक्रिय करता है। मानसिक शक्तियों, आध्यात्मिकता और अभिव्यक्ति में उपयोग किया जाता है।
🔹आदि मुद्रा: इसे आदि (प्रथम) मुद्रा कहा जाता है क्योंकि एक भ्रूण भी माँ के गर्भ में इस हाथ की मुद्रा रखता है।
इसके कई फायदे हैं :
1. ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है
2. आपको शांत रखता है (यह मुद्रा हम स्वाभाविक रूप से तब करते हैं जब हम डरते हैं)
3. साहस देता है (मुक्का मारना)।
सनातन धर्म की सुंदरता एवं वैज्ञानिक महत्व खेतों में पैदा होने वाले अनाज के लिए ऋग्वेद के अनुसार जो अनाज खेतों मे पैदा होता है उसका बंटवारा तो देखिए…..
1- जमीन से चार अंगुल भूमि का
2- गेहूं के बाली के नीचे का पशुओं का
3- पहली फसल की पहली बाली अग्नि की
4- बाली से गेहूं अलग करने पर मूठ्ठी भर दाना पंछियो का
5- गेहूं का आटा बनाने पर मुट्ठी भर आटा चीटियों का
6- चुटकी भर गुथा आटा मछलियों का
7- फिर उस आटे की पहली रोटी गौमाता की
8- पहली थाली घर के बुज़ुर्ग़ो की
9- फिर हमारी थाली
10- आखिरी रोटी कुत्ते की
ये सिखाती है हमारी सनातन संस्कृति हमें और मुझे गर्व है कि मैं इस संस्कृति का हिस्सा हूँ। अद्भुत अलौकिक सनातन योग संस्कृति 🙏