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वर्क प्रेशर के चलते लगभग हर कोई एंग्जाइटी का शिकार हो रहा है। एंग्जाइटी की वजह से लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिनमे बेचैनी बढ़ना, चिड़चिड़ापन होना, गुस्सा आना और झुनझुनाहट महसूस होना जैसे कुछ सामान्य लक्षण हैं। एंग्जाइटी कई दिनों, कई महीनों और कई साल तक के लिए भी हो सकती है। ऐसे में इसे लेकर आपको सतर्क होने की ज़रूरत है। वैसे एंग्जाइटी से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर की सलाह से दवाइयां ली जाती हैं। लेकिन, हाल ही में किए गए एक शोध के अनुसार ये पता चला है कि इसे एक्सरसाइज़ और योग के ज़रिए भी कंट्रोल किया जा सकता है।
हमारे देश में बंगलूर, सूरत, कश्मीर, उत्तर-प्रदेश, नासिक तथा मैसूर में यह ज्यादा पैदा होता है। अंजीर का पेड़ लगभग 4.5 से 5.5 मीटर ऊंचा होता है। इसके पत्ते और शाखाओं पर रोएं होते हैं तथा कच्चे फल हरे और पकने पर लाल-आसमानी रंग के हो जाते हैं। सूखे अंजीर हमेशा उपलब्ध होते हैं। कच्चे फल की सब्जी बनती है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
- संस्कृत काकोदुम्बरिका।
- हिंदी अंजीर।
- मराठी अंजीर।
- गुजराती पेपरी।
- बंगाली पेयारा।
- अंग्रेजी फिग।
- लैटिन फिकस कैरिका।
रंग : अंजीर रंग सुर्ख और स्याह मिश्रित होता है।
स्वाद : यह खाने में मीठा होता है।
स्वरूप : अंजीर एक बिलायती (विदेशी) पेड़ का फल है जो गूलर के समान होता है। यह जंगलों में अक्सर पाया जाता है। आमतौर पर लोग इसे बनगूलर के नाम से भी पुकारते हैं।
स्वभाव : यह गर्म प्रकृति का होता है।
हानिकारक : अंजीर का अधिक सेवन यकृत (जिगर) और आमाशय के लिए हानिकारक हो सकता है।
दोषों को दूर करने वाला : अंजीर के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए बादाम का उपयोग किया जाता है।
मात्रा (खुराक) : अंजीर के पांच दाने तक ले सकते हैं।
गुण : अंजीर के सेवन से मन प्रसन्न रहता है। यह स्वभाव को कोमल बनाता है। यकृत और प्लीहा (तिल्ली) के लिए लाभकारी होता है, कमजोरी को दूर करता है तथा खांसी को नाश करता है।
वैज्ञानिक मतानुसार अंजीर के रासायनिक गुणों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसके सूखे फल में कार्बोहाइड्रेट (शर्करा) 63 प्रतिशत, प्रोटीन 5.5 प्रतिशत, सेल्यूलोज 7.3 प्रतिशत, चिकनाई एक प्रतिशत, खनिज लवण 3 प्रतिशत, अम्ल 1.2 प्रतिशत, राख 2.3 प्रतिशत और जल 20.8 प्रतिशत होता है। इसके अलावा प्रति 100 ग्राम अंजीर में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लोहा, विटामिन `ए´ 270 आई.यू., थोड़ी मात्रा में चूना, पोटैशियम, सोडियम, गंधक, फास्फोरिक एसिड और गोंद भी पाया जाता है।
👉 विभिन्न रोगों में उपयोगी :-
◆ कब्ज :- 3 से 4 पके अंजीर दूध में उबालकर रात्रि में सोने से पूर्व खाएं और ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे कब्ज और बवासीर में लाभ होता है। माजून अंजीर 10 ग्राम को सोने से पहले लेने से कब्ज़ में लाभ होता है। अंजीर 5 से 6 पीस को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, पानी को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है। अंजीर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर खाकर ऊपर से पानी पीने पेट साफ हो जाता है।
◆ दमा :- दमा जिसमें कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है। इससे कफ बाहर आ जाता है तथा रोगी को शीघ्र ही आराम भी मिलता है। प्रतिदिन थोड़े-थोड़े अंजीर खाने से पुरानी कब्जियत में मल साफ और नियमित आता है। 2 से 4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में गर्म करके खाने से कफ की मात्रा घटती है, शरीर में नई शक्ति आती है और दमा (अस्थमा) रोग मिटता है।
◆ प्यास की अधिकता :- बार-बार प्यास लगने पर अंजीर का सेवन करें।
◆ मुंह के छाले :- अंजीर का रस मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।
◆ प्रदर रोग :- अंजीर का रस 2 चम्मच शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग नष्ट हो जाते हैं।
◆ दांतों का दर्द :- अंजीर का दूध रुई में भिगोकर दुखते दांत पर रखकर दबाएं। अंजीर के पौधे से दूध निकालकर उस दूध में रुई भिगोकर सड़ने वाले दांतों के नीचे रखने से दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं तथा दांतों का दर्द मिट जाता है।
◆ पेशाब का अधिक आना :- 3-4 अंजीर खाकर, 10 ग्राम काले तिल चबाने से यह कष्ट दूर होता है।
◆ मुंहासे : कच्चे अंजीर का दूध मुंहासों पर 3 बार लगाएं।
◆ त्वचा के विभिन्न रोग :- कच्चे अंजीर का दूध समस्त त्वचा सम्बंधी रोगों में लगाना लाभदायक होता है। अंजीर का दूध लगाने से दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और दाद मिट जाते हैं। बादाम और छुहारे के साथ अंजीर को खाने से दाद, दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते है।
◆ दुर्बलता (कमजोरी) :- पके अंजीर को बराबर की मात्रा में सौंफ के साथ चबा-चबाकर सेवन करें। इसका सेवन 40 दिनों तक नियमित करने से शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है। अंजीर को दूध में उबालकर-उबाला हुआ अंजीर खाकर वही दूध पीने से शक्ति में वृद्धि होती है तथा खून भी बढ़ता है।
◆ रक्तवृद्धि और शुद्धि हेतु :- 10 मुनक्के और 5 अंजीर 200 मिलीलीटर दूध में उबालकर खा लें। फिर ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे रक्तविकार दूर हो जाता है।
◆ पेचिश और दस्त : अंजीर का काढ़ा 3 बार पिलाएं।
◆ ताकत को बढ़ाने वाला :- सूखे अंजीर के टुकड़े और छिली हुई बादाम गर्म पानी में उबालें। इसे सुखाकर इसमें दानेदार शक्कर, पिसी इलायची, केसर, चिरौंजी, पिस्ता और बादाम बराबर मात्रा में मिलाकर 8 दिन तक गाय के घी में पड़ा रहने दें। बाद में रोजाना सुबह 20 ग्राम तक सेवन करें। छोटे बालकों की शक्तिक्षीण के लिए यह औषधि बड़ी हितकारी है।
◆ जीभ की सूजन :- सूखे अंजीर का काढ़ा बनाकर उसका लेप करने से गले और जीभ की सूजन पर लाभ होता है।
◆ क्षय यानी टी.बी के रोग :- इस रोग में अंजीर खाना चाहिए। अंजीर से शरीर में खून बढ़ता है। अंजीर की जड़ और डालियों की छाल का उपयोग औषधि के रूप में होता है। खाने के लिए 2 से 4 अंजीर का प्रयोग कर सकते हैं।
◆ फोड़े-फुंसी :- अंजीर की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से यह फोड़ों को पकाती है।
◆ सफेद कुष्ठ (सफेद दाग) :- अंजीर के पेड़ की छाल को पानी के साथ पीस लें, फिर उसमें 4 गुना घी डालकर गर्म करें। इसे हरताल की भस्म के साथ सेवन करने से श्वेत कुष्ठ मिटता है। अंजीर के कच्चे फलों से दूध निकालकर सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक लगाने से यह दाग मिट जाते हैं। अंजीर के पत्तों का रस श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) पर सुबह और शाम को लगाने से लाभ होता है। अंजीर को घिसकर नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।
◆ गले के भीतर की सूजन :- सूखे अंजीर को पानी में उबालकर लेप करने से गले के भीतर की सूजन मिटती है।
◆ श्वासरोग :- अंजीर और गोरख इमली (जंगल जलेबी) 5-5 ग्राम एकत्रकर प्रतिदिन सुबह को सेवन करने से हृदयावरोध (दिल की धड़कन का अवरोध) तथा श्वासरोग का कष्ट दूर होता है।
◆ शरीर की गर्मी :- पका हुआ अंजीर लेकर, छीलकर उसके आमने-सामने दो चीरे लगाएं। इन चीरों में शक्कर भरकर रात को ओस में रख दें। इस प्रकार के अंजीर को 15 दिनों तक रोज सुबह खाने से शरीर की गर्मी निकल जाती है और रक्तवृद्धि होती है।
◆ जुकाम :- पानी में 5 अंजीर को डालकर उबाल लें और इसे छानकर इस पानी को गर्म-गर्म सुबह और शाम को पीने से जुकाम में लाभ होता है।
◆ फेफड़ों के रोग :- फेफड़ों के रोगों में पांच अंजीर एक गिलास पानी में उबालकर छानकर सुबह-शाम पीना चाहिए।
◆ मसूढ़ों से खून का आना :- अंजीर को पानी में उबालकर इस पानी से रोजाना दो बार कुल्ला करें। इससे मसूढ़ों से आने वाला खून बंद हो जाता है तथा मुंह से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।
◆ तिल्ली (प्लीहा) के रोग में :- अंजीर 20 ग्राम को सिरके में डुबोकर सुबह और शाम रोजाना खाने से तिल्ली ठीक हो जाती है।
◆ खांसी :- अंजीर का सेवन करने से सूखी खांसी दूर हो जाती है। अंजीर पुरानी खांसी वाले रोगी को लाभ पहुंचाता है क्योंकि यह बलगम को पतला करके बाहर निकालता रहता है।
2 अंजीर के फलों को पुदीने के साथ खाने से सीने पर जमा हुआ कफ धीरे-धीरे निकल जाएगा। पके अंजीर का काढ़ा पीने से खांसी दूर हो जाती है।
◆ अर्श :- सूखे अंजीर के 3-4 दाने को शाम के समय जल में डालकर रख दें। सुबह उन अंजीरों को मसलकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से अर्श (बवासीर) रोग दूर होता है।
◆ कमर दर्द :- अंजीर की छाल, सोंठ, धनियां सब बराबर लें और कूटकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसके बचे रस को छानकर पिला दें। इससे कमर दर्द में लाभ होता है।
◆ आंवयुक्त पेचिश :- पेचिश तथा आवंयुक्त दस्तों में अंजीर का काढ़ा बनाकर पीने से रोगी को लाभ होता है।
◆ अग्निमान्द्य (अपच) होने पर :- अंजीर को सिरके में भिगोकर खाने से भूख न लगना और अफारा दूर हो जाता है।
◆ प्रसव के समय की पीड़ा :- प्रसव के समय में 15-20 दिन तक रोज दो अंजीर दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
◆ बच्चों का यकृत (जिगर) बढ़ना :- 4-5 अंजीर, गन्ने के रस के सिरके में गलने के लिए डाल दें। 4-5 दिन बाद उनको निकालकर 1 अंजीर सुबह-शाम बच्चे को देने से यकृत रोग की बीमारी से आराम मिलता है।
◆ दाद :- अंजीर का दूध लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
◆ सिर का दर्द :- सिरके या पानी में अंजीर के पेड़ की छाल की भस्म मिलाकर सिर पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
1. अल्सर का कारण बन सकता है अंजीर
अंजीर, पेट में अल्सर का कारण बन सकता है। अंजीर में ऑक्सलेट की मात्रा ज्यादा होती है जो पथरी की समस्या को बढ़ा सकते हैं। साथ ही जिन लोगों में ये समस्या पहले से रही हो उन्हें भी इसके सेवन से बचना चाहिए।
2. लिवर की समस्या बढ़ सकती है
लिवर की समस्या में अंजीर का सेवन आपके लिए और भी नुकसानदेह हो सकता है। ये आपके लिवर की गतिविधियों को स्लो कर सकता है जिसकी वजह से कई सारी समस्याएं हो सकती हैं। जैसे लिवर में दर्द, लिवर कमजोर होने क कारण बार-बार पेट खराब होना और दूसरी समस्याएं।
3. गैस का कारण बन सकता है अंजीर
अंजीर का सेवन पेट दर्द का कारण बन सकता है। दरअसल, कमजोर पाचनतंत्र वाले लोगों के लिए इसे पचाना मुश्किल होता है। इसके अलावा इसके मिनरल्स को पचाने के लिए कई बार पेट ज्यादा बाइल जूस प्रड्यूस करता है जिससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। इसलिए, इन तमाम समस्याओं से बचने के लिए जानें अंजीर को खाने का सही तरीका।
अंजीर को खाने का सही तरीका क्या है-How to eat anjeer
अंजीर को खाने का सही तरीका ये है कि बस 1-2 अंजीर रात को ½ कप पानी में भिगो कर रख दीजिये। सुबह इसे खाली पेट (What is the best time to eat fig) खा लें। साथ ही आप स्नैक्स टाइमिंग के दौरान भी अंजीर को दूध में पका लें और फिर इसका सेवन कर सकते हैं।
ये एक्सरसाइज हैं कारगर
एरोबिक व्यायाम: एरोबिक वर्कआउट आपके हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, कैलोरी को बर्न करते हैं और मांसपेशियों को बिल्ड करने में मदद करते हैं। साथ ही यह एक्सरसाइज़ आपको मानसिक सुकून भी देता है।
पिलाटेस: पिलाटेस सभी प्रकार की शारीरिक गतिविधि और एंजायटी के इलाज में कारगर हैं। पिलाटे में सिर्फ फ्लोर मैट की जरूरत होती है। इसमें पूरी तरह मसल्स का वर्कआउट होता है और एब्डोमेन, हिप्स और थाइज पर फोकस रहता है।
योग: योग से बड़े से बड़े रोग को खत्म किया जा सकता है। इसकी परम्परा भारत में हजारों साल से चली आ रही है, योग की मदद से आप आसानी से डिप्रेशन से बाहर निकल सकते हैं।
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