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एक अंधविश्वास के कारण जॉनी वॉकर फिर कभी नही गये चेन्नई

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साल 1996 के एक दिन की बात है। जॉनी वॉकर अपने बेटे नासिर खान के साथ चेन्नई जा रहे थे। वहां उन्हें चाची 420 फिल्म की शूटिंग करनी थी। जॉनी वॉकर जब प्लेन में थे तो बहुत डरे हुए थे। वो बार-बार अपने बेटे का हाथ पकड़कर घबराहट में उससे पूछते,”सब ठीक हो जाएगा ना नासिर? कुछ होगा तो नहीं?” नासिर ने जॉनी साहब को दिलासा देते हुए कहा,”कुछ नहीं होगा डैडी। सब पुरानी बातें हैं।” “तू नहीं जानता नासिर। तू नहीं जानता।” जॉनी साहब ने बेटे नासिर से कहा। तो क्या जॉनी वॉकर को प्लेन में डर लगता था? क्या उनके साथ प्लेन में कभी कुछ हुआ था जो उस दिन उन्हें प्लेन में बैठते हुए इतना डर लग रहा था? या कोई और ही बात थी?

कहानी यहां से कुछ साल पीछे जाी है। ये उन दिनों की बात है जब जॉनी वॉकर अपने करियर के शिखर पर थे। उन दिनों जब साउथ फिल्म इंडस्ट्री के मेकर्स ने हिंदी फिल्में बनानी शुरू की तो वे हिंदी कलाकारों को शूटिंग के लिए चेन्नई ही बुलाते थे।

उस ज़माने जॉनी वॉकर भी साउथ में बनी बहुत सारी हिंदी फिल्मों का हिस्सा थे। साठ के दशक की शुरुआत में वो एक फिल्म की शूटिंग के लिए जब चेन्नई, जो तब मद्रास हुआ करता था, वहां पहुंचे तो दो तीन दिन बाद ही उनके भतीजे की मौत हो गई। भतीजे की मौत की खबर मिली तो जॉनी साहब को शूटिंग छोड़कर वापस मुंबई आ आना पड़ा।

कुछ महीनों बाद जॉनी वॉकर चेन्नई में ही किसी और फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। लेकिन तभी उन्हें खबर मिली कि उनके पिता का इंतकाल हो गया है। एक दफा फिर से जॉनी वॉकर जी को शूटिंग बीच में छोड़कर घर लौटना पड़ा। मगर जब कुछ महीनों बाद वो किसी दूसरी फिल्म की शूटिंग के लिए चेन्नई फिर से गए तो होटल पहुंचते ही उन्हें एक और बुरी खबर मिली।

जॉनी साहब होटल के अपने कमरे में दाखिल ही हुए थे। उनका बैग भी अभी उनके हाथ में ही था कि कमरे में मौजूद टैलिफोन बज पड़ा। जॉनी साहब ने फोन उठाया। बैग उनके हाथ में ही था। फोन उठाकर जैसे ही जॉनी वॉकर ने हैलो बोला उधर से आवाज़ आई,”जॉनी, गुरूदत्त नहीं रहे।”

वो 10 अक्टूबर 1964 का दिन था। गुरूदत्त साहब की मृत्यु की खबर से जॉनी सदमे में आ गए। गुरूदत्त उनके जिग्री दोस्त थे। उनकी मौत की खबर ने जॉनी वॉकर को बेहद दुखी कर दिया। वो फौरन होटल से निकले और टैक्सी पकड़कर एयरपोर्ट आ गए। उसके बाद जब जॉनी वॉकर मुंबई तो फिर उन्होंने कभी चेन्नई वापस ना जाने का फैसला कर लिया।

उनके इस फैसले ने उनके करियर पर काफी बुरा असल डाला। क्योंकि उस दौर में साउथ में बनने वाली ज़्यादातर हिंदी फिल्में बड़े बजट की फिल्में होती थी। प्रोफेशनली जॉनी साहब को चेन्नई ना जाने की वजह से काफी नुकसान हुआ था। लेकिन उन्हें इस बात का डर था कि अगर वो चेन्नई फिर से गए तो पता नहीं क्या बुरी खबर उन्हें मिले।

जॉनी वॉकर ने चेन्नई की फिल्में साइन करना बंद कर दी। कुछ फिल्में जो उन्होंने पहले से साइन की हुई थी उनके मेकर्स से जॉनी वॉकर ने कह दिया कि मैं वहां नहीं आऊंगा। आप बॉम्बे में ही शूटिंग कंप्लीट कर लो। सालों बाद उन्होंने जब कमल हासन की चाची 420 साइन की थी तब उन्हें नहीं पता था कि इस फिल्म की शूटिंग के लिए भी उन्हें चेन्नई ही जाना पड़ेगा।

लेकिन चूंकि कॉन्ट्रैक्ट साइन कर चुके थे तो अब तो उन्हें चेन्नई जाना ही था। यही वजह है कि जब बेटे नासिर खान के साथ वो 1996 में वो चेन्नई जा रहे थे तो फ्लाइट में इतना ज़्यादा घबरा रहे थे। जॉनी वॉकर साहब के बेटे नासिर खान जी ने ही ये किस्सा अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से बताया था। 

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