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अयोध्या और राम मंदिर के मामले के पीछे का इतिहास

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सवाल से समझ आता आप सिर्फ अयोध्या में राममंदिर के इतिहास को जानना चाहते है ,तो मैं आप को मंदिर के इतिहास की ही बात करूंगा

●अयोध्या में राम मंदिर का प्राचीन प्रमाण गुप्त काल मे मिलता है, जिसका उल्लेख कालिदास ने रघुवंशम में किया है, बाद में गुप्तो ने अपनी राजधानी कन्नौज बनाई।

●कन्नौज के गहवार वंश ने भी इस मंदिर को पुनः बनाया और 9 दिन का उत्सव रामनवमी के समय करने प्रथा चलाई।

●जब बाबर अवध आया तो सूफी शाह जलाल और सैयद मूसा ने बाबर का स्वागत कर मंदिर को तोड़ने की बात कही। बाबर ने अपने शागिर्द मीर बाकी को यह काम सौंपा, जिसने इस पाप को अंजाम दिया।

●बाद में हिंदुओं ने अकबर और जहांगीर के समय काफी बार जन्मभूमि के स्थान को पाने की कोशिश की कितुं बाद में औरंगजेब ने जन्मभूमि स्थान पर मस्जिद बनवा दी।

●1940 से पहले के सभी दस्तावेज में इस भूमि को “ मस्जिद ए जन्मस्थान” के नाम से जाना जाता था।

●1611 में आये अंग्रेज यात्री विलियम फिंच ने इस स्थान पर रामचंद्र का स्थल तोड़ो जाने का उल्लेख किया है कितुं मस्जिद का कोई उल्लेख नही किया।

●जीयूस मिशनरी जो जोसेफ 1766–77 के मध्य अपने यात्रा में जो लिखा उसमे उसने बाबर या औरंगजेब को रामचंद्र को समर्पित मंदिर तोड़ने को जिम्मेदार बताया है।

●बाद में अयोध्याके नवाबों का शासन आया तब यह विवाद फिर जोर पकड़ने लगा 1850 पहली बार मस्जिद पर हमला किया गया। बाद में जब अंग्रेजो ने अवध पर कब्जा किया, तब के रिकॉड से यह पता चलता है कि इस विवाद से दँगा हुआ था, और पहली लिखित प्रमाण के रूप में FIR प्रप्त हुई है।

1885 में महंत रघबर दास ने पहली बार मुकदम दायर किया। ब्रिटिश जज ने स्वीकार किया कि यह मंदिर था जिसे तोड़ मस्जिद बनाया गया कितुं चूँकि मामला 356 वर्ष पुराना था तो उसने कोई फैसला नही दिया।

●1946 में फिर अखिल भारतीय रामायण महासभा ने फिर रराम जन्मभूमि के लिए आवाज उठाई।

●1949 में मस्जिद में कुछ मूर्तियां पाई गई,जिसके बाद लोगो ने पूजन शुरू कर दिया। जिससे तात्कालीन जिला मजिस्ट्रेट केके नायर को मूर्तियों को कब्जे में लेने के आदेश नेहरू ने दिए कितुं ने इसका पालन नही किया क्योंकि हिंसा भड़क सकती थी।

●जगह को पुलिस के कब्जे में ले लिया गया सिर्फ पुजारी को पूजा करने की अनुमति दी गयी,जिससे मस्जिद अब मंदिर में बदल गयी थी। बस ढांचा बाकी था मस्जिद का।

●सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मामले को कोर्ट में लेकर गए,मामला कोर्ट में था कितुं 1980 विश्व हिंदू परिषद ने इस मुद्दे को फिर से उठाया।

●राजीव गांधी जिन्होंने तभी शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदल कर सेकुलर शिरोमणि बन गए थे, अब सोचा कि क्यों ना मंदिर के दरवाजे खोल हिंदूओ को भी खुश कर दिया जाए जिस मंदिर के दरवाजे उनके नाना नेहरू ने बन्द करवाये थे।

●बीजेपी ने आडवाणी ने रामरथ यात्रा निकाल पूरे देश मे लोगो मे इस मुद्दे से परिचित करवाया, कितुं वीपी सिंह की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

●1990 में मुलायम सिंह ने मंदिर के लिए आंदोलन चला रहे निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां चलवा दी जिससे जनता और भड़क गई ।

●6 दिसंबर को यही गुस्साई भीड़ ने जो कारसेवकों पर हुई गोलीबारी का बदला लेना चाह रही थी ,उसने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। उसके वाद पूरे देश मे दंगे भड़के ।

●अदालत ने लेफ्ट इतिहासकार आर एस शर्मा, रोमिला थापर, अतर अली में कुछ ने राम को नेपाल तो किसी ने अफगानिस्तान और एक नए तो मिस्र का भी बता दिया।

●कितुं दूसरे पक्ष जब पुरातत्व विभाग ने खुदाई शुरु की तो जमीन मे मंदिर का ढांचा मिलने लगा और बाद में इन अवशेषो की कार्बन डेटिंग की गई तो यह पाया गया कि यह मंदिर 10विस् शताब्दी से पहले का बना हुआ है ।उस समय के ASI डायरेक्टर केके मुहम्मद ने अनेक बार अदालत और मीडिया में बोला है कि जमीन में खुदाई से निकले ढांचे से साफ पता चलता है कि यहां एक मंदिर था।

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