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एक ऐसी हिरोईन जिसे किसी चीज की कमी नही थी फिर भी अंत में लावारिश की तरह पहुँची शमशान

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जी हां बहुत ही खुबसूरत और गहरी आंखों वाली अभिनेत्री थीं वीमी। यह एक पंजाबी खानदान से ताल्लुक रखती थी और इनका पूरा नाम था विमलेश वाधवा। इनका जन्म 1943 में जालंधर में हुआ था। उनकी शादी एक बहत बड़े इंडस्ट्रियल से हुई थी किसी बात की कमी नहीं थी। दो बच्चे भी थे । तभी किस्मत का पहिया घुमा और एक पार्टी में इनको संगीतकार रवि ने देख लिया और निर्माता बी आर चोपड़ा से मिलवाया जिनको फिल्म हमराज के लिए एक हिरोईन की जरूरत थी।

इनको बी आर चोपड़ा ने फिल्म में ले लिया और यह फिल्मी दुनिया में आ गई। फिल्म हिट हो गई इसके बाद इनको आबरू, पतंगा, वचन,और एक पंजाबी फिल्म नानक नाम जहाज है जैसी फिल्में मिलीं मगर नानक नाम जहाज है के इलावा बाकी फिल्में वोह कमाल ना दिखा सकीं।

दूसरी तरफ पति से भी मन मटाऊ के चलते इनकी निजी जीवन भी दरहम बरहम हो गया पति छोड़ कर चला गया और यह अकेली रह गई। कहते हैं इनको शराब की बुरी लत लग गई और यह जिस्म फरोशी के दलदल में धंस गई थी। आखरी दिनों में सब छोड़ के चले गए थे कोइ सहारा नहीं था आखिर लिवर की बीमारी से ग्रस्त हो जाने पर इनको एक फिल्मों में काम दिलाने वाले एजेंट ने मुम्बई के नानावती अस्पताल में भर्ती कराया । जहां विम्मी का 22 अगस्त 1977 को लावरास हालत में निधन हुआ। इनको चार लोगों का कंधा भी नसीब नहीं हुआ और एक ठेले पर इनकी लवारास लाश को शमशान घाट ले जा कर अंतिम संस्कार किया गया।

विम्मी तो चली गई मगर बहुत से प्रशन फिल्मी दुनिया के लिए छोड़ गई। और यह साबित कर गई के फिल्मी दुनिया कितनी निष्ठुर, ज़ालिम और खोखली है। मीना कुमारी, ए के हंगल, पु राने हीरो मोती लाल जेसे बहुत से उधारण हमारे सामने हैं। आज हम विम्मी जी को याद कर उनको दिल से नमन करते हैं।

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