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धर्मेंद्र का सदाबहार दुःख: कैसे उनके हाथ से निकल गई जंजीर फिल्म ?

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ये मैं नहीं बोल रहा हू ये धर्मेंद्र ने खुद एक बार कहा था उन्होंने एक इंटरव्यू में अपना दुख बयान करते हुए कहा था के ये फिल्म मैने जावेद अख्तर से साढ़े सत्रह हजार में खरीदी थी.. और मेरे पास पड़ी रही..मैने पहले प्रकाश मेहरा के साथ समाधी फिल्म की थी.. और वो इस कहानी को सुनकर इतने एक्साइटेड थे.. प्रकाश मेहरा ने धर्मेंद्र से बार बार विनती की के भाजी ये कहानी मुझे दे दीजिए मैं बनाऊंगा ये फिल्म.. धर्मेंद्र ने बिना समय गवाए जंजीर फिल्म की कहानी प्रकाश मेहरा को दे दी…धर्मेंद्र भी उस फिल्म में काम करने के लिए बहुत एक्साइटेड थे..।

लेकिन एक दिक्कत धर्मेंद्र के सामने आ खड़ी हुई वो थी उनकी cousin सिस्टर की कसम.. दरअसल उनके पति थे रंजीत विर्क, जिन्होंने क्रोधी फिल्म भी बनाई थी.. वो भी किसी फिल्म के लिए परकाश मेहरा के पास गए थे तो उन्होंने विर्क साहब को जवाब दे दिया था अब बारी विर्क साहब की थी.. दरसला धर्मेंद्र की बहन ने धर्मेंद्र को कसम दे दी के तुम प्रकाश मेहरा की फिल्म में काम नहीं करोगे.. अगर तुमने ये फिल्म की तो मैं ये कर लूंगी वो कर लूंगी.. धर्मेंद्र के सामने अब धर्म संकट था के वो इस फिल्म में काम कैसे करे..धर्मेंद्र कहते हैं के मैं एक तरह के इमोशनल बंधन में बंध गया..और मेरे घर वाले भी कहने लगे के मत करो..धर्मेंद्र कहते हैं के नहीं तो वो मेरी फिल्म थी..मैं बहुत दुखी हुआ वो पिक्चर छोड़ कर..लेकिन वो पिक्चर मुझे छोड़नी पड़ी…।

धर्मेंद्र ने अपने अरमानों को साइड पर रखा और बहन की बात मानते हुए इस फिल्म में काम करने से मना कर दिया.. जिसका दु रह रह कर उन्हे आज भी होता है .. धर्मेंद्र ने आगे कहा था के प्रकाश मेहरा से मेरी हर रोज बात होती थी के हम इस सीन को ऐसे शूट करेंगे वैसे शूट करेंगे.. और मैने अपने बाल भी छोटे छोटे करवा लिए थे.. क्योंकि उन्होंने मेरे साथ समाधी फिल्म बनाई थी जो के हिट गई थी..।

जब धर्मेंद्र ने प्रकाश मेहरा को ये फिल्म करने से मना किया था तो वो भी बहुत दुखी हुए थे.. बाद में उन्होंने देव आनंद तक पहुंच की, फिर वो राजकुमार के पास गए..और कई लोगो के पास गए लेकिन अल्टीमेटली जिसके मुकद्दर ने वो फिल्म थी उसे मिल ही गई.. और आज वो जंजीर फिल्म के नाम से ही जाने जाते हैं.. तो ऐसा होता रहता है इस लाइन में ऐसा चलता रहता है..।

उस दिन धर्मेंद्र कहे न कहे हो लेकिन धर्मेंद्र के उस इंटरव्यू को सुनकर, देख कर ये भली भांति प्रतीत हो रहा था के इंसान रिश्तों के मोह में या उनके दबाव में भी कुछ ऐसे फैसले ले लेता है जो सारी जिंदगी उनका पीछा नहीं छोड़ते और समय समय पर वो गलत फैसला उनकी जिंदगी की डोर पर हर्डल्स बन कर उन्हे धीरे, स्लो करता रहता है उनकी रफ्तार को धीरे करता रहता है.. अगर हम धर्मेंद्र के सफर पर नजर दौड़ाएं तो हमे भी साफ साफ दिखाई देता है के किन लोगों ने उनके जज्बातों को कैश किया और किन लोगों को फायदा मिला और बाद में वही सो कॉल्ड स्टार्स उनके पग में कांटे बिछाते रहे..। 

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