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मंदिर की पैड़ी पर कुछ देर क्यों बैठा जाता है?

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बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है? आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं। आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं।

 

यह श्लोक इस प्रकार है –

अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्।
देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।

इस श्लोक का अर्थ है-
🔱 अनायासेन मरणम् अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं ।

🔱 बिना देन्येन जीवनम् अर्थात परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस ना हो । ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख के ही जीवन बसर हो सके ।

🔱 देहांते तव सानिध्यम अर्थात जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले ।

🔱 देहि में परमेशवरम्  हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना ।

यह प्रार्थना करें गाड़ी ,लाडी ,लड़का ,लड़की, पति, पत्नी ,घर धन यह नहीं मांगना है यह तो भगवान आप की पात्रता के हिसाब से खुद आपको देते हैं । इसीलिए दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए । यह प्रार्थना है, याचना नहीं है । याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है जैसे कि घर, व्यापार, नौकरी ,पुत्र ,पुत्री ,सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है वह भीख है। हम प्रार्थना करते हैं प्रार्थना का विशेष अर्थ होता है अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ । अर्थना अर्थात निवेदन। ठाकुर जी से प्रार्थना करें और प्रार्थना क्या करना है ,यह श्लोक बोलना है।

 

मंदिर की पैड़ी पर कुछ देर बैठने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

*धार्मिक कारण:*

* *मन को शांत करना:* मंदिर में दर्शन के बाद मन अशांत हो सकता है। कुछ देर पैड़ी पर बैठकर ध्यान लगाने से मन शांत होता है और सकारात्मक विचारों का प्रवाह बढ़ता है।
* *आभार व्यक्त करना:* भगवान के दर्शन के बाद, कुछ देर पैड़ी पर बैठकर कृतज्ञता व्यक्त करना और आशीर्वाद प्राप्त करना एक अच्छा विचार है।
* *प्रार्थना करना:* मंदिर में दर्शन के बाद, कुछ लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए पैड़ी पर बैठकर प्रार्थना करते हैं।

*सामाजिक कारण:*

* *सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करना:* मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। कुछ देर पैड़ी पर बैठकर इस ऊर्जा को ग्रहण करना मन और शरीर के लिए लाभदायक होता है।
* *शांति का अनुभव करना:* मंदिर के शांत वातावरण में कुछ देर बैठकर शांति का अनुभव किया जा सकता है।
* *सामाजिक संपर्क:* मंदिर में विभिन्न क्षेत्रों के लोग आते हैं। कुछ देर पैड़ी पर बैठकर उनसे बातचीत करके सामाजिक संपर्क बढ़ाया जा सकता है।

*वैज्ञानिक कारण:*

* *एकाग्रता बढ़ाना:* कुछ देर पैड़ी पर बैठकर ध्यान लगाने से एकाग्रता बढ़ती है।
* *तनाव कम करना:* ध्यान लगाने से तनाव कम होता है और मन शांत होता है।
* *स्वास्थ्य लाभ:* पैड़ी पर बैठने से शरीर के रक्त प्रवाह में सुधार होता है और पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मंदिर में दर्शन के बाद पैड़ी पर बैठना अनिवार्य नहीं है। यदि आप चाहें तो सीधे घर वापस जा सकते हैं।

सबसे जरूरी बात:-

जब हम मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो खुली आंखों से भगवान को देखना चाहिए, निहारना चाहिए । उनके दर्शन करना चाहिए। कुछ लोग वहां आंखें बंद करके खड़े रहते हैं । आंखें बंद क्यों करना हम तो दर्शन करने आए हैं भगवान के स्वरूप का, श्री चरणों का ,मुखारविंद का, श्रंगार का, संपूर्णानंद लें । आंखों में भर ले स्वरूप को । दर्शन करें और दर्शन के बाद जब बाहर आकर बैठे तब नेत्र बंद करके जो दर्शन किए हैं उस स्वरूप का ध्यान करें मंदिर में नेत्र नहीं बंद करना। बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं और भगवान का दर्शन करें । नेत्रों को बंद करने के पश्चात उपरोक्त श्लोक का पाठ करें। यहीं शास्त्र हैं यहीं बड़े बुजुर्गो का कहना हैं ! जय श्रीराम, जय श्री हनुमान

 

*निष्कर्ष:*

मंदिर की पैड़ी पर कुछ देर बैठने के कई धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक कारण हैं। यदि आप मंदिर में दर्शन के बाद कुछ देर पैड़ी पर बैठते हैं, तो आपको इन सभी लाभों का अनुभव होगा।

जहां भगवान का अवतार आता है वही मंदिर होता है उसको अवतार स्थल कहा जाता है जब वहां पर हम बैठेंगे तब उनका सत्संग सुनेंगे तब तभी हमें ज्ञान होगा इसलिए मंदिर में बैठ जाता है यह एक प्रक्रिया है।

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