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आधुनिक म्यामांर में कुछ वर्ष पहले समाचार पत्रों में खबर छपी थी कि मुग़लो के अंतिम वंशज बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने वर्मा भेज दिया था, अब उनके वंशज वहाँ कोई चाय का ठेला चलाते है या बर्तन धोते है ।
आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर के कई बच्चे थे और उन्ही मे से 2 के वंशज दावा करते है मुग़ल वारिस होने का। लेकिन जिस समय बाहादुरशाह जफर को बर्मा भेजा गया था उसी समय उसके दोनो पुत्रों कि हत्या कर दी गई थी। ताकि मुगल वंश आगे ना जा सके फिर ये सब लोग कहां से आयें। इस पर भी कुछ का मानना है कि उसके कई पुत्र थे, और उनकी भी कई संताने थी, अंग्रेज़ो ने सभी को नही मारा था।
यह है सुल्ताना बेगम, जो कलकत्ता मे रहती है अपने परिवार के साथ। वह बहादुर शाह ज़फर के पर पर पोते की पत्नी है और अंग्रेज़ो द्वारा आज भी मिल रहे 7000 रुपये पेंशन पर अपना घर चलाती है।
और यह साहब जो मुग़ल भेष मे राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के साथ है वह है मिर्ज़ा याकूब हबीबुद्दीन तुसी। यह सीधे वंशज होने का दावा करते है मुग़लो के और बहादुर शाह की 6वी पीढ़ी होने का भी।
यह लोग हैदराबाद मे गरीबी पर रहते है। इन्हें 8000 रुपये की पेंशन मिलती है भारत सरकार से और यह लोग ताज महल, लाल किला और बाबरी मस्जिद से लेकर सभी मुग़ल इमारतों पर अपना मालिकाना हक्क बताते है।
मिर्ज़ा याकूब ने कहा है की एक बार बाबरी मस्जिद मिल गई उन्हें तो वह हिन्दुओ को तोहफे मे दे देंगे उसे।