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पुरुष चरित्रहीन न हों, स्त्री कैसे चरित्रहीन हो सकती है ?

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एक युवा संत ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा करते हुए एक गाँव में विश्राम के लिए रुक गए | वहाँ एक स्त्री उनके पास आई और बोली- आप तो कोई राजकुमार लगते हैं | क्या मैं जान सकती हूँ कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ?

युवा संत ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों के उत्तर ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया | यह शरीर जो युवा व आकर्षक है,परन्तु यह शीघ्र ही यह वृद्ध होगा, बाद में रोग- व्याधि व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा | मुझे वृद्धावस्था, रोग व मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है |

उनसे प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया | शीघ्र ही यह बात पूरे गाँव में फैल गई | ग्रामीण युवा संत के पास आए व आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है |

युवा संत ने गाँव के मुखिया से पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है ? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूँ कि वह बुरे चरित्र वाली है | आप उसके घर न जाएं |

युवा संत ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा | मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपने पकड़ा हुआ है |

युवा संत बोले- इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है जब तक इस गाँव के पुरुष चरित्रहीन न हों | अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहाँ के पुरुष उत्तरदायी हैं | यह सुनकर सभी लज्जित हो गए |

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