इस ख़बर को शेयर करें:
दुनिया के सभी धर्मों (religions) में उपवास (fast) का महत्व है। खासतौर पर बीमार होने के बाद उपवास को सबसे अच्छा इलाज (treatment) माना गया है। आयुर्वेद (ayurveda) में बीमारी को दूर करने के लिए शरीर के विषैले तत्वों (body poison) को दूर करने की बात कही जाती है और उपवास करने से इन्हें शरीर से निकाला जा सकता है। इसीलिए ‘लंघन्म सर्वोत्तम औषधं’ यानी उपवास को सर्वश्रेष्ठ औषधि माना जाता है।
संसार (world) के सभी धर्मों में उपवास को ईश्वर के निकट पहुँचने का एक सबसे कारगर उपाय (easy tactic) माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के परे यह निर्विवाद सत्य है कि उपवास करने से शरीर स्वस्थ (healthy body) रहता है। संभवतः इसके महत्व को समझते हुए सभी धर्मों के प्रणेताओं ने इसे धार्मिक रीति-रिवाजों से जोड़ दिया है ताकि लोग उपवास के अनुशासन (regulations) में बँधे रहें।
आयुर्वेद समेत दूसरी सभी चिकित्सा पद्धतियों में उपवास यानी पेट को खाली (empty stomach) रखने की प्रथा रही है। हालाँकि हर बीमारी का इलाज भी उपवास नहीं लेकिन यह अधिकांश समस्याओं (mostly problems) में कारगर रहता है। दरअसल उपवास का धार्मिक अर्थ न ग्रहण करते हुए इसका चिकित्सकीय रूप समझना चाहिए। पेट को खाली रखने का ही अर्थ उपवास है।
यह आर्थराइटिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप (high blood pressure), हमेशा बनी रहने वाली थकान, कोलाइटिस, स्पास्टिक कोलन, इरिटेबल बॉवेल, लकवे के कई प्रकारों के साथ-साथ न्यूराल्जिया, न्यूरोसिस और कई तरह की मानसिक बीमारियों (mental diseases) में फायदेमंद साबित होता है। माना तो यहाँ तक जाता है कि इससे कैंसर (cancer) की बीमारी तक ठीक हो सकती है क्योंकि उपवास से ट्यूमर के टुकड़े (pieces) तक हो जाते हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि लीवर के कैंसर (liver cancer) में उपवास कारगर नहीं होता।
उपवास के अनगिनत फायदे हैं। उपवास जितना लंबा होगा शरीर की ऊर्जा (energy) उतनी ही अधिक बढ़ेगी। उपवास करने वाले की श्वासोच्छवास विकार रहित होकर गहरा और बाधा रहित हो जाता है। इससे स्वाद ग्रहण (taste buds) करने वाली ग्रंथियाँ पुनः सक्रिय (re-active) होकर काम करने लगती हैं। उपवास आपके आत्मविश्वास (confidence) को इतना बढ़ा सकता है ताकि आप अपने शरीर और जीवन और क्षुधा पर अधिक नियंत्रण हासिल कर सकें।
हमारा शरीर एक स्वनियंत्रित एवं खुद को ठीक करने वाली प्रजाति (breed) का हिस्सा है। उपवास के जरिए यह अपने मेटॉबॉलिज्म (metabolism) को सामान्य स्तर पर ले आता है तथा ऊतकों की प्राणवायु प्रणाली को पुनर्जीवित कर सकता है। उपवास आपके शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकाल फेंकता है। शरीर में जमा विषैले तत्व श्लेष्मा, थूक, पसीना, उल्टियाँ, कभी-कभी दस्त (loose motion) के रूप में बाहर निकलते हैं। यही वजह है कि जो लोग लंबे उपवास (3 दिन या 7 दिन) करते हैं, उनकी साँसों से दूसरे दिन ही बास आने लगती है।
कई लोगों को उल्टियाँ आने लगती हैं, ये सब विषैले तत्वों के बाहर निकलने के लक्षण हैं। फैट सेल्स, आर्टरी में जमा वसा (Fat) के थक्के, श्लेष्मा तथा यहाँ तक कि बरसों से जमा रखी हुई चिंताएँ (depression) और भावनाएँ (feelings) भी बाहर निकल आती हैं परन्तु उपवास का अर्थ भूखे मरना नहीं होता। वस्तुतः उपवास शरीर रूपी मशीन के पाचन तंत्र (digestion system) को आराम देना व उसकी ओवरहालिंग (over healing) जैसा होता है पर अति सर्वज्ञ वर्जते के अनुसार अतिशय व अवैज्ञानिक (unscientific) तरीके से किए गए उपवास के खराब परिणाम (bad results) भी सामने आ सकते हैं।
“उपवास एक प्रकार का प्रायश्चित है। इससे पतित अपने दोषों का मान और अनुमान होता है। इससे मन हलका और शांत होता है। -नारायण
जानिये उपवास कैसे करें ?
उपवास करने का सबसे सुरक्षित तरीका (safe technique) है एक दिन के उपवास से शुरुआत करना। बाद में इसे हफ्ते में एक दिन नियमित रूप से किया जा सकता है। आप शुरुआत में अन्न का त्याग कर सकते हैं तथा इन पदार्थों पर निर्भर रहते हुए दिन निकाल सकते हैं।
* ताजी सब्जियों का रस * फल * पानी * बिना पकी कच्ची सब्जियाँ * ताजे फलों का रस (fresh fruit juice)।
उपवास में इनसे बचें :
पकी हुई सब्जियाँ, अन्न या अन्न के बने दूसरे पदार्थ, रोटियाँ, ब्रेड (bread), बिस्कुट, पास्ता (pasta) न खाएँ। इसके अलावा चाय, दूध, दही, आइसक्रीम, मक्खन (butter), अंडे, मांस, फास्ट फूड, जंक फूड (junk food), तैयार किया हुआ भोजन, आलू की चिप्स, साबुदाने की खिचड़ी, मूँगफली के दाने या फरियाली मिक्चर भी आपके उपवास के मकसद को नष्ट कर सकते हैं।
उपवास के फायदे :
* मानसिक स्पष्टता में वृद्धि (growth) होती है तथा मस्तिष्क का धुंधलका छँट जाता है।
* तत्काल एवं सुरक्षित तरीके से वजन घटता (weight loose) है।
* तंत्रिका तंत्र में संतुलन (balance) कायम होता है।
* ऊर्जा का स्तर बढ़ने से संवेदी क्षमताओं में वृद्धि होती है।
* शरीर के सभी अवयवों में ऊर्जा का संचार होता है।
* सेल्युलर बायोकेमेस्ट्री (cellular biochemistry) में संतुलन कायम होता है।
* त्वचा संवेदनशील, नर्म और रेशमी (soft and silky) हो जाती है।
* आपके हाथ-पैरों का संचालन सरलता (easily) से होने लगता है।
* पाचन तंत्र ठीक होकर सुचारु रूप से काम करने लगता है।
* आंतों में भोजन से रस सोखने की क्रिया में वृद्धि होती है।
उपवास में सावधानियाँ :
उपवास करने वालों को यह बात ध्यान में रखना चाहिए ( in the knowledge) कि यदि वे किसी असाध्य बीमारी से पीड़ित हैं या किसी बीमारी के लंबे इलाज को ले रहे हैं तो आपको अपने चिकित्सक की सलाह (ask from your doctor) लिए बिना उपवास नहीं करना चाहिए। डायबिटीज के रोगियों (diabetes patients) व गर्भवती महिलाओं (pregnant womens) व स्तनपान करा रही माताओं को भी उपवास नहीं करना चाहिए। उपवास अपनी शारीरिक सामर्थ्य (not more then your physical strength) से अधिक नहीं करना चाहिए।
“ग्लानि और दुःख के समय तथा आत्मशुद्धि और चित्त की एकाग्रता के लिये उपवास बहुत सहायक होता है।”
-महात्मा गाँधी