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RIP की फुल फॉर्म क्या होती है?

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RIP या R.I.P संस्कृति इस मोबाइल जनरेशन की एक सबसे बड़ी नासमझी या कॉपी-पेस्ट संस्कृति का परिणाम है। आप सभी ने RIP बोलते हुए लोगो को सुना होगा या फीर सोशल मीडिया चलाते है तो आपने लोगो को किसी के दहन पर कमेंट बॉक्स में RIP लिखते देखा होगा वह इसीलिए की इस शब्द का प्रयोग किसी दुखद घटना घट जाने के बाद अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए किया जाता है, जब कोई घटना के कारण किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी आत्मा की शांति के लिए RIP शब्द का प्रयोग किया जाता है। RIP का full form समझना हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि अगर हम कुछ भी चीज use कर रहे हैं तो हमें उसका पूरा मतलब और पूरा ज्ञान होना अति आवश्यक है।

क्योकि इनमें से कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिन्हें बोलने के लिए हम Short Form का इस्तेमाल करते हैं। कई बार तो हमें इनका Full Form तक पता नहीं होता, फिर भी लोग इनका इस्तेमाल करते हैं तो हम भी करने लग जाते हैं। यानि कि हमें इतना तो पता है कि इन शब्दों का इस्तेमाल कब और कैसे करना है, लेकिन इनका पूरा अर्थ हमें नहीं पता होता है। तो एसे ही कूछ Sort Name जीसक के Full Form के बारे में हमने समझाने की कोशीश की है जीसको भी आप पढ़ सकते है।

RIP कब कहते है?

किसी की मृत्यु हो जाने पर। किन्तु यह सभी व्यक्तियों के लिए कहना सही नहीं है। ये कहना गलत नहीं है, इसका गलत होना मृतक के ऊपर निर्भर करता है. यदि मृतक कोई ईसाई या इस्लाम धर्म को मानने वाला हो तो यह बात बिलकुल सही है । किन्तु यदि वह कोई सनातन धर्म या जैन, बौद्ध या सिख धर्म का हो तो यह गलत है ।

क्योंकि RIP की उत्पत्ति Latin शब्द ‘Requiescat in pace’ से हुआ है जो समय के साथ Requiescat in Permanence या फिर rest in peace से होता हुआ आज R.I.P बन गया है. ये Requiescat in Permanens कैथोलिक प्रार्थनाओं में प्रयोग होता था जिसका अर्थ है कि ‘आत्मा शान्ति से आराम करे फैसले के दिन का.’ इसका प्रयोग अट्ठारवीं शताब्दी में रोमन कैथोलिक मत को मानने वालों की कब्रों के शिलालेख पर लैटिन भाषा और बाद में अंग्रेजी में मिलता है।

वो ऐसा मानते हैं कि जीवन सिर्फ एक बार मिलता है और मृत्यु के पश्चात शरीर फैसले के दिन तक यही आराम करता है. यहीं से इसका प्रसार और प्रचार मिशनरीज और कान्वेंट स्कूलों से होता हुआ आज हर ओर फैल चुका है.

ईसाई धर्म पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करता और वो पुनरुत्थान को मानता है।

पुनर्जन्म और पुनरुत्थान में अंतर है, जहां एक ओर पुनर्जन्म में हम शरीर की नहीं आत्मा की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर पुनरुत्थान में आत्मा जैसी कोई चीज नहीं होती. वहां शरीर होता है जिसे दफनाया गया है. वे परमेश्वर की शक्ति से दोबारा ज़िंदा किए जाएंगे।

 

श्रीमद्भगवत गीता में श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि शरीर नश्वर है और आत्मा अजर अमर है इसलिए शरीर को पंचतत्वों में विलीन करने हेतु उसे जलाया जाता है।

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।

अर्थात इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकती है. सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य की मृत्यु होते ही आत्मा निकलकर किसी दूसरे नए जीव/शरीर में प्रवेश कर जाती है. या मोक्ष प्राप्त कर परब्रह्म में विलीन हो जाती है। हम यह मानते हैं कि आत्मा अमर है और वो पुराने शरीर को त्याग कर नए शरीर में चली जाती है या मोक्ष प्राप्त कर परब्रह्म में विलीन हो जाती है।

 

दर असल मुस्लिम और ईसाई धर्म में मृतक के शरीर को कब्र में दफनाया जाता है। और इन धर्मों में यह मान्यता है कि एक दिन ऐसा आएगा जब कयामत की रात होगी और ये सभी मुर्दे अपनी कब्रों से जाग कर परमात्मा के समक्ष जाएंगे और उस दिन उन्हें उनके कर्मों का फल मिलेगा। इसलिए मुर्दों को दफनाने से लेकर कयामत तक उन्हें शांति से आराम करने के लिए ओम शांति या rest in peace लिखा जाता है। कुछ लोग अज्ञानतावश हिंदुओं के लिए भी यही लिखते हैं। जबकि हिंदुओं के लिए – मोक्ष की कामना करते हैं – लिखना चाहिए। इसलिए हिंदुओं को कहना चाहिए – भगवान इनकी आत्मा को शांति दे/सद्गति दे/मोक्ष दे या ॐ शांति, शांति, शांति।

लेकिन आजकल देखने मे आता है ये एक प्रचलित कंडोलेन्स हिन्दू धर्म के लिये भी लिख कर संवेदना व्यक्त की जाती है। जो वस्तुतः गलत है। ये केवल उनके लिये प्रयोग होनी चाहिए , जिनकी मृत शरीर को ब्युरीड या सुपुर्दे खाक किया जाता है। चूंकि हिन्दुओ के शरीर को अग्नि समर्पित किया जाता है, इसलिये R I P शब्द का प्रयोग हिन्दू कंडोलेन्स में नही होना चाहिए।

ईसाई धर्म में मनुष्य के मरने के बाद इन्हें दफना दिया जाता है| और इनकी कब्र पर रिप लिखा होता है| मृत व्यक्ति की सहानुभूति और आधा प्रकट करने के लिए उसका उपयोग करते हैं| इस शब्द का आजकल ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर किसी के चल गुजरने पर प्रयोग किया जाता है|

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