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दुर्लभ पीला पलाश

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आदि शक्ति मां पीतांबरा के प्रिय पुष्प पीले पलाश का वृक्ष दुर्लभ प्रजाति का है।औषधि सहित आध्यत्मिक महत्व का यह वृक्ष वनपरिक्षेत्र जगमंडल अंजनियां के कक्ष क्रमांक 739 में स्थित है।मंडला जिले में लाल रंग वाले पलाश के फूल वाले पेड़ बड़ी संख्या में पाये जाते हैं परंतु यहां सफेद एवं पीले फूल वाले पलाश के वृक्ष भी पाये जाते हैं।संभवतः मप्र में मंडला ही एक ऐसा जिला है जहां तीन रंग का पलाश पाया जाता है।

जानकारी के मुताबिक पीले रंग वाले पलाश वृक्ष की खोज सर्वप्रथम अंग्रेज वन अधिकारी सैग्रिया ने सन् 1939 में की थी उन्होंने अपने शोध ग्रंथ में इसका नाम व्यूटिया ल्यूटिया रखा है। सन् 1961 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक डाक्टर महेश्वरी ने इसे लाल पलाश व्यूटिया मोनोस्पर्मा की प्रजाति माना और इसका नाम ल्यूटिया नाम दिया। उन्होंने तर्क दिया कि इनके गुण धर्म में कोई अंतर नहीं है केवल फूलों के रंगों में अंतर है।

पीले पलाश को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसका तंत्र शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान है। कक्ष क्रमांक 739 में स्थित पीले पलाश के फूल वाले वृक्ष के संबंध में ग्रामीणों में प्राचीन मान्यता है कि वे वृक्ष में फूले फूलों को तोड़ते नहीं हैं अपितु वृक्ष से नीचे गिरे फूलों को चुनकर घर ले जाते हैं और पूजा पाठ में उपयोग करते हैं।

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