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१. दुर्गा सप्तशती अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्रदान करने वाली है।
२. जो भक्तजिस भाव और जिस कामना से श्रद्धा एवं विधि के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, उसे उसी भावना और कामना के अनुसार निश्चय ही फल सिद्धि प्राप्त होती है।
३. नवरात्रि में यदि इन मंत्रों का उपयोग किया जाय तो निश्चय ही सफलता मिलती है।
४. नित्य शुद्ध एवं ब्रह्मचर्य का पालन करते करते हुए केवल ५ माला का जप माँ का आशीर्वाद प्राप्त करवाता है।
🌺विपत्तिनाश और शुभ की प्राप्ति के लिए
करोतु सा नः शुभहेतु मीश्वरि शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः ।
🌺भय-नाश के लिए
(क) सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ।।
(ख) एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम् ।
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोऽस्तु ते । ।
(ग) ज्वालाकरालमत्युग्रमशेषासुर सूदनम् । त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते । ।
🌺पाप-नाश के लिए
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिवः । ।
🌺रोग-नाश के लिए
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ।।
🌺सामूहिक कल्याण के लिए
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः । ।
🌺अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिए
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्या हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च ।
सा चंडिकाख्लिजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ।।
🌺विश्व की रक्षा के लिए
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भुवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः । श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम ।।
🌺 दारिद्र्यदुःखादिनाश के लिए
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्र चित्ता । ।
🌺रक्षा-पाने के लिए
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड.गेन चाम्बिके । घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च ।
🌺 सब प्रकार कल्याण के लिए
सर्व मंगल मांगलये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरणे त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते । ।
🌺महामारी-नाश के लिए
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।।
🌺आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।
🌺बाधा-शान्ति के लिए
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि । एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् । ।
देवी महात्मय (जिसे दुर्गा सप्तशती के नाम से भी जाना जाता है) में माँ जगन्माता, बारहवें अध्याय के अनुसार कहती है की, देवी महात्म्यम के अध्यायों का पाठ सभी प्रकार की महामारियों को शांत करने में सक्षम है और अत्यधिक खतरे की स्थितियों में भक्तों की रक्षा करता है
ऊँ अचिंत्य रुप चरिते सर्व शत्रु विनाशनी।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।