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बदलने जा रही है पत्रकारिता की सूरत

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✍ आशीष शुक्ला

र नई टेक्‍नोलॉजी नौजवानों के लिए उम्‍मीदों के नए दरवाजे खोलती है। आज टेक्नोलॉजी ही नहीं, पत्रकारिता की पूरी शक्‍ल-सूरत और सीरत बदलने जा रही है। अब बड़े मीडिया संस्‍थान पहले जैसे नहीं रहे हैं। यहां नौकरियां धीरे-धीरे खत्‍म होती जा रही हैं। आपको ध्‍यान होगा कि पुराने जमाने में जिस तरह डायल करने वाला फोन चलता था, वह अब बिल्‍कुल बदल चुका है। देखते ही देखते डाकिए ने भी घर का दरवाजा खटखटाना बंद कर दिया है। देखते ही देखते टाइपराइटर भी खत्‍म हो गया है। मेरा मानना है कि आज से पांच-छह साल के अंदर आपका मोबाइल ही आपकी जिंदगी बन जाएगा।

जब ब्रह्मांड आपकी हथेली में समाया होगा
आने वाले समय में तो पूरी तरह आपकी जिंदगी इसी पर निर्भर होगी। इसमें आपके हाथ में ही एक चिप लगा दी जाएगी और आप अपनी हथेली के द्वारा ही इसे ऑपरेट कर सकेंगे। यानी जिस तरह पुराने जमाने में ऋषि-मुनि कहते थे कि मैं ही ब्रह्म हूं, मुझे ऐसा लगता है कि उसी तरह आपका ब्रह्मांड आपकी हथेली में समाया होगा। आपके पास कैमरा होगा, एडिट करने के साधन होंगे और आप चलते फिरते ऐसे व्‍यक्ति में तब्‍दील हो जाएंगे कि जो चाहे-जैसे चाहे खबर कवर कर लो।

वेब पत्रकारिता को मिल रही है और मजबूती
वेब पत्रकारिता ने पूरा न्यूज रूम बदल दिया है। एक समय न्यूजरूम की शक्ल ये हुआ करती थी कि पहले जो संवाददाता थे, कॉपी लिखते थे और डेस्क पर देकर तसल्ली से घर चले जाते थे, इसके बाद डेस्क के लोग इसे एडिट कर सही खबर बनाकर पब्लिश करते थे। लेकिन अब दौर बदल गया है। वेब पत्रकारिता को अब और मजबूती मिली है। कॉन्टेंट को और वैरायटी मिली है। अब वो ट्रेडिशनल चीजें ही कॉन्टेंट या खबर नहीं रह गई हैं, जो एक समय में समझा जाता था।

हमेशा सपना देखें तो नए युग का
सभी को नई टेक्‍नोलॉजी के साथ सामंजस्य बिठाकर चलना है। यदि आपने अभी इसके बारे में नहीं सोचा है तो आज से ही सोचना शुरू कर दें। मेरा मानना है कि जितने आप आने वाली नए युग के सपने देखेंगे, उतने ही आपके लिए रास्‍ते बनेंगे। जब सिकंदर ने विश्‍व विजय के बारे में सोचा और दुनिया के महान दार्शनिकों में शुमार अपने गुरु से इसकी चर्चा की तो गुरु ने ग्‍लोब दिखाते हुए कहा कि इतनी बड़ी दुनिया में तुम कहां जाओगे। इस पर सिकंदर ने अपनी तलवार से उस ग्‍लोब को चीर दिया और कहा कि मैं नया ग्‍लोब बनाऊंगा। कहने का मतलब है कि जब उस जमाने में सिकंदर ने ऐसा सोचा तो आप तो नई पीढ़ी के हैं और सपने देखने के लिए स्‍वतंत्र हैं। इसके अलावा टेक्‍नोलॉजी का सपोर्ट भी हम सभी को मिल रहा है। ऐसे में आपको सपने देखकर उन्‍हें पूरा करना है।

लोगों को दो बातें जरूर याद रखनी चाहिए। पहली ये कि खबर का अकेला प्राण तत्‍व और उसकी सांस सत्‍य है। ऐसे में जाने-अनजाने किसी भी रूप में प्रोफेशनल तरीके से सत्‍य का संधान करते रहना चाहिए। यानी उसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए। सत्‍य के प्रति आप जितनी आस्‍था बनाकर रखेंगे, उतना ही लोग आप पर यकीन करेंगे।

सोशल मीडिया देगी आपका साथ
आज की युवा पीढ़ी को एक बात और ध्‍यान रखनी चाहिए कि जब दुनिया में कोई आविष्‍कार होता है और दुनिया तेजी से आगे बढ़ती है तो उसके साथ बहुत बुराइयां भी आते हैं। ऐसे में जब आप इनसे लड़ने के लिए पत्रकारिता की मशाल लेकर खड़े होंगे तो फिर चाहे आप अकेले ही क्‍यों न हों, दुनिया के हजारों लोग लाइक और कमेंट्स के जरिये आप का साथ देंगे। ये भूमंडलीयकरण की शुरुआत होगी और आप उस दुनिया का हिस्‍सा बनने के लिए तैयार रहिए।

पत्रकारिता की सच्‍चाई का एक उदाहरण
पत्रकारिता और सच्‍चाई का कितना प्रभाव पड़ता है, इसे मैं आपको विएतनाम की एक घटना से बताता हूं। उस समय एक आठ साल की बच्‍ची की फोटो किसी फोटोग्राफर ने खींची थी, जिसमें उसके पीछे बमों के धमाके हो रहे थे आग उठ रहे थे और वह निर्वस्‍त्र दौड़ रही थी। जिस दिन वह फोटो अमेरिकी अखबारों में छपी, उसी दिन तय हो गया अब युद्ध नहीं होगा। अमेरिका के लोग विएतनाम के पक्ष में आ गए थे। इसी तरह द्वितीय विश्‍वयुद्ध के दौरान छपी एक फोटो से लोगों के मन में हिटलर के प्रति घृणा काफी बढ़ गई थी। इंसानियत है तो पत्रकारिता है और पत्रकारिता है तो आप और हम हैं। और यदि हम और आप हैं तो पत्रकारिता है।

क्लिक पेज पत्रकारिता से बचें
आज वेबसाइट को मिल रही चुनौतियों के बारें में यदि देखा जाये तो इसके जिम्मेदार सोशल मीडिया में व्याप्त व्यवस्थाएं हैं पत्रकारिता के नजरिये से उसमें तमाम तरह के बदलावों की जरुरत है. क्योंकि सोशल मीडिया पर समाज में किसी एक वर्ग को अलग-थलग करने वाला कॉन्टेंट क्रिएट न करें, बल्कि कॉन्टेंट ऐसा हो, जिसके बारे में भी सोचा जाए और उनको ध्यान में रखकर बनाया जाए, क्योंकि कई बार खबरों की हेडलाइन और फोटो ऐसी होती है, जिसे देखकर समाज के कुछ वर्ग आपकी वेबसाइट पर क्लिक नहीं करते हैं। लेकिन खबर लगाने वाले को ये लग रहा होता है कि अधिक से अधिक लोग खबर पर क्लिक करेंगे, क्योंकि शायद क्लिक रेट से ऐडवर्टाइमेंट मिल सकें, इसलिए उसे क्लिक पेज बना दिया जाता है, लेकिन क्या ये सार्थक जर्नलिज्म होगा, इसे धीरे-धीरे हमें सोचना होगा। आज वेब पत्रकारिता की यही सबसे बड़ी चुनौती हैं।

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