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मानव शरीर के लिए कितना फायदेमंद है – बबूल गोंद

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आयुर्वेद के अनुसार बबूल के गोंद का उपयोग बहुत सी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।कमर दर्द,ल्यूकोरिया, स्वप्नदोष, धातुरोग और जोड़ों के दर्द आदि में बबूल का गोंद बहुत ही फायदे मन्द होता है।

बबूल का परिचय

  • बबूल एक औषधीय पौधा है।यह भारत में लगभग सभी स्थानों पर पाया जाता है।यह पानी की कमी वाले स्थानों पर (मरुभूमि) में ज्यादा पाया जाता है।
  • बबूल की पत्तियां बहुत छोटी- छोटी होती हैं। इसका पेड़ लगभग 40फीट की ऊंचाई तक का होता है।इसमें सुई की तरह सफेद रंग के कांटे होते हैं।इसमें जाड़े के मौसम में पीले रंग के फूल लगतें हैं।
  • बबूल के पेड़ से एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है जो बाद में सुख कर कड़ा हो जाता है।जिसे बबूल की गोंद कहते हैं।
  • जिसका उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है।बबूल की पत्ती, फली,फूल और छाल का भी प्रयोग बहुत सी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।

बबूल के गोंद की जानकारी

  • स्वाद इसका स्वाद हल्का कसैला होता है।
  • रंग इसका रंग हल्का पीला भूरे रंग का होता है।
  • स्वरूप बबूल के गोंद का निर्माण बबूल के पेड़ से निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ के सूखने से होता है
  • तासीर बबूल के गोंद की तासीर गर्म होती है।
  • दुष्प्रभाव गोंद कतीरा और बिहिदाना के साथ इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।क्योंकि की गोंद कतीरा और बिहिदाना की तासीर बबूल के गोंद की तासीर के विपरीत होता है।

बबूल के गोंद के गुण

आयुर्वेद के मतानुसार बबूल के गोंद में निम्नलिखित प्रकार के रोग उन्मूलक गुण पाये जाते हैं जो इस प्रकार से है –

  • यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
  • यह फेफड़े को शक्तिशाली बनाता है।
  • गले की जकड़न और खराश को दूर करता है।
  • यह शरीर में धातु की पुष्टी करता है
  • यह शरीर की कमजोरी को दूर करता है।
  • यह स्वप्नदोष से निजात दिलाता है।
  • यह वक्षःस्थल को नरम बनाता है।
  • बबूल के गोंद की तासीर | बबूल का गोंद ठंडा होता है या गरम
  • बबूल के गोंद का उपयोग आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार की दवाइयों को बनाने किया जाता है।बबूल के गोंद की तासीर गर्म होती है ।इसलिए इसका प्रयोग जाड़े के दिनों में किया जाता है।

बबूल गोंद खाने का तरीका

शरीर में शक्ति, स्फूर्ति को बनाये रखने के लिए तथा विभिन्न रोगों ( स्वप्नदोष, ल्यूकोरिया, जोड़ो के दर्द,मधुमेह,वजन घटाने आदि )को दूर करने के लिए बबूल के गोंद का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है –

  • बबूल की गोंद को देशी घी में भूनकर और उसमें मिश्री को मिलाकर उपयोग किया जा सकता है।
  • बबूल की गोंद को पानी मे घोलकर भी लिया जा सकता है।
  • बबूल की गोंद को ड्राई फ्रूट और चीनी की चासनी के साथ गोंद के लड्डू बनाकर भी उपयोग किया जा सकता है।
  • बबूल की गोंद को दही अथवा छाछ के साथ भी किया जा सकता है।
  • इसे किसी भी प्रकार के जूस के साथ भी लिया जा सकता है।

बबूल का गोंद खाने की मात्रा

बबूल का गोंद मानव शरीर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।आयुर्वेद में बबूल के गोंद का प्रयोग बहुत से रोगों और समस्याओं को दूर करने में किया जाता है -जैसे

वजन घटाने में बबूल के गोंद के फायदे

आज कल बहुत से लोग अपने बढ़ते हुये वजन को लेकर परेशान रहते हैं।और उल्टी -सीधी दवाइयां और डाइट लेते रहते हैं।परन्तु उससे सन्तोषजनक परिणाम नहीं मिलता है।ऐसे लोगो के लिए बबूल के गोंद का उपयोग बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है। इसके लिए बबूल की गोंद को दही या सुप के साथ उपयोग करे।

कमर दर्द में बबूल गोंद के फायदे

  • महिलाओं में डिलीवरी के बाद कमर में आयी कमजोरी को दूर करने के लिए भी बबूल के गोंद का प्रयोग किया जा सकता है।
  • इसके लिए बबूल के गोंद को देशी घी के साथ कड़ाही में भूनकर और उसमें सूखे मेवे और मिश्री को मिलाकर खाने से कमर दर्द की समस्या दूर हो जाती है।
  • कमर दर्द की समस्या को दूर करने के लिए बबूल की गोंद,बबूल की छाल और फली को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह – शाम दूध के साथ सेवन करने से कमर दर्द दूर हो जाती है।

स्वप्नदोष में बबूल के गोंद के फायदे

जो लोग स्वप्नदोष की बीमारी से पीड़ित होते हैं घुटने में दर्द और पैरों में कमजोरी की शिकायत किया करते हैं। उनके लिए बबूल के गोंद का सेवन बहुत ही लाभप्रद होता है। इसके लिए बबूल के पंचाग (फल,फूल,गोंद,पत्ती और छाल) को लेकर चूर्ण बना लें और सुबह-शाम एक-एक चम्मच की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष में फायदा होता है।

पेचिश और दस्त में बबूल गोंद के फायदे

जो लोग पेचिश औऱ दस्त से हमेशा परेशान रहते हैं उनके लिए बबूल की गोंद का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है। इसके लिए 10 ग्राम बबूल की गोंद को पानी में भिगोकर उसे अच्छी तरह घोलकर सुबह शाम पिलाने से पेचिश और डीएसटी में आराम मिलता है।

धातु रोग में बबूल गोंद के फायदे

जिन लोगों को पेशाब करते समय या पखाने में जोर लगाते समय धातु गिरने की समस्या होती है उनके लिए बबूल के गोंद का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है। इसके लिए बबूल की गोंद को देशी घी में भूनकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम खाने से धातु गिरने और वीर्य का पतलापन में लाभ होता है।

खाँसी और गले की ख़राश में बबूल गोंद के फायदे

गले की ख़राश और खाँसी को दूर करने के लिए बबूल की गोंद का एक टुकड़ा मुँह में डालकर चूसने से खाँसी और गले की ख़राश में आराम मिलता है।

बबूल का गोंद और मिश्री के फायदे

बबूल की गोंद को देशी घी के साथ कड़ाही में भूनकर उसका चूर्ण बना लें औऱ उसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें और सुबह – शाम दूध के साथ 5 से 10 ग्राम की मात्रा में लेने से मासिकधर्म सम्बन्धित पीड़ाएँ (जैसे मासिकधर्म के दौरान अत्यधिक खून आना ,मासिकधर्म के समय पेड़ू में दर्द होना आदि ) दूर हो जाती है।

बबूल की छाल के फायदे

जिस प्रकार आयुर्वेद में विभिन्न पेड़ पौधों के फल,बीज,फूल गोंद और छाल का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है। उसी प्रकार बबूल की छाल का भी प्रयोग जिन रोगों के उपचार में किया जाता है जो इस प्रकार से है –

  • बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर उसमें मिश्री मिलाकर सेवन करने से शरीर की जलन में आराम मिलता है।
  • बबूल की छाल ,बबूल की गोंद, बबूल की फली को बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना लें और सुबह-शाम एक-एक चम्मच की मात्रा में सेवन करने से कमर के दर्द में आराम मिलता है।
  • बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर मठ्ठे के साथ पीने से पेट से सम्बंधित बीमारी दूर हो जाती है।
  • बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम गरारा करने से मुँह के छाले और दांतों के दर्द में आराम मिलता है।
  • बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से मूत्र रोगों में लाभ होता है।
  • बबूल की छाल का काढ़ा पीने से पेचिश और दस्त में आराम होता है।
  • बबूल की छाल काढ़ा बनाकर उसमें स्वादानुसार मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से ल्यूकोरिया रोग ठीक हो जाता है।
  • बबूल की छाल का काढ़ा पीने से मासिकधर्म के समय होने वाले दर्द और अधिक खून जाने की समस्या ठीक हो जाती है।
  • बबूल की छाल का पाउडर बनाकर लस्सी के साथ सेवन करने से जलोदर रोग में लाभ होता है।

पेड़ों से निकलने वाला गोंद औषधीय गुणों का खजाना होता है और उत्तम स्वास्थ्य के लिए यह फायदेमंद भी होता है। बबूल गोंद के साथ-साथ इसके पेड़ के हर हिस्से का इस्तेमाल घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है।

औषधीय गुणों के कारण इस गोंद का विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। बबूल गोंद खाने के फायदे जानकर आप अनेक रोगो से बचें रह सकते हैं। इस में पाए जाने वाले पोषक तत्व के अलावा इसमें बहुत से एंटीऑक्सीडेंट गुण और खनिज पदार्थ भी शामिल होते हैं। बबूल की गोंद का उपयोग करके ऐसी बहुत सी बीमारियों का निदान किया जा सकता है। जो आपके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है।

बबूल गोंद के पोषक तत्व क्या है

किकर की गोंद में अनेक पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस गोंद में यूरोनिक एसिड, खनिज, कैल्शियम, मैग्नीशियम, गैलेक्टोज, अर्बिनो बायोसिस, एल्डोवियो और ग्लूकोसाइड जैसे तत्व पाए जाते हैं।

बबूल गोंद का उपयोग कैसे करें

  • इसका उपयोग निम्न तरीकों से करना लाभदायक होता है जैसे
  • बबूल गोंद का सेवन पानी में मिलाकर किया जा सकता है।
  • इस गोंद को घी में भूलकर भी खाया जा सकता है।
  • इसका सेवन सूप बनाने में या सूप को कड़ा बनाने में किया जा सकता है।
  • बबूल गोंद का सेवन दही या छाछ के साथ मिलाकर किया जा सकता है।
  • इस गोंद को घी में भूनकर इसको किसी भी प्रकार के लड्डू या पिनिया बनाने में भी किया जा सकता है।

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