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सिर्फ एक कौवा ऐसा पक्षी जो है…. जो आसमान में उड़ते हुए बाज की पीठ पे बैठकर अपनी चोच से बाज की गर्दन को काट सकता है…!
ये और बात है की…. इसका बाज बिलकुल भी जवाब नहीं देता और नाही उस कौवे से लड़ता है….!
बाज कौवे के साथ लड़ाई करने में अपना समय और अपनी शक्ति को नष्ट नहीं करता….! बाज केवल अपने पंखो को पूरा खोलता है… और आकाश में और ऊँची उडान भरता है…!
अपनी शक्ति को बाज कौवे से लड़ाई करने में ना लगाते हुवे…उस शक्ति को आकाश में ऊँची से ऊँची उड़ान भरने में लगाता है….!
बाज की उड़ान जैसे – जैसे ऊँची – ऊँची होती जाती है….कौवे को उस ऊंचाई पे सांस लेने के लिए उतनी ही
मुश्किल होती जाती है…! और आखिर में ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से कौवा नीचें गिर जाता हैं…!
अतः जीवन में कभी कभी कुछ झगड़ों का… उनकी तर्कों का… उनकी टिका – टिप्पनी… और उनके तिरस्कार का प्रतिउत्तर देने की जरूरत नहीं होती है…!
सिर्फ आप अपनी सफलता की ऊँचाइयों को बढाइये….आपके विरोधी स्वतः ही गिर जायेंगे….!
ऊंचाई, चाहे आदर्शों-विचारों की हो,भौतिकता की हो..बाधाओं और विवादों से बच कर ही मिल सकता है..!!