इस ख़बर को शेयर करें:
कहते हैं प्राचीनकाल में भारत में अपार बेजोड़ सुंदरता थी। उस समय की महिलाएँ अपनी सुंदरता को निखारने के लिए जिन वस्तुओं का इस्तेमाल करती थीं। वर्तमान युग हो अथवा प्राचीन काल महिलाओं और उनके सजने सँवरने में चोली दामन का साथ है। आज के समय में महिलाएँ अपने सौंदर्य को सँवारने के लिए ब्यूटी पार्लर का सहारा लेती हैं। लेकिन प्राचीन काल में जब ब्यूटी पार्लर नहीं थे तब महिलाएँ अपने सौंदर्य को कायम रखने को क्या करती थीं? इसी विषय में आज हम चर्चा करने जा रहे हैं।
1. हल्दी
आमतौर पर हर भारतीय रसोई में मिलने वाली पीले रंग की हल्दी में सौंदर्य वृद्धि के अनेक गुण हैं। हल्दी जीवाणुरोधी होती है। इसके नियमित प्रयोग से मुँहासे, कील और ब्लैक हैडस में कमी आती है। साथ ही यह आँखों के काले घेरे को कम करती है और त्वचा के रंग को निखारती है। चेहरे पर इसका प्रयोग चंदन, दूध, मलाई और शहद के साथ किया जाता है। इसके नियमित प्रयोग से त्वचा कांतिमय हो जाती है।
2. दूध
कहते हैं प्राचीन काल की रानियाँ और राजकुमारियाँ अपनी त्वचा की चमक और उसकी नरमी के लिए कच्चे दूध से स्नान करती थीं। कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर लगाने से त्वचा का रंग साफ होता है। चेहरे पर कच्चे दूध की मालिश से त्वचा के बंद रोम छिद्र खुल जाते हैं। कच्चे दूध में नींबू का रस मिलाकर लगाने से त्वचा की गंदगी साफ होती है।
3. केसर
लाल रंग के धागे की तरह महीन केसर की खेती कश्मीर में होती है। यह खाने में मसाले के तौर पर प्रयोग होने के अतिरिक्त सौंदर्य प्रसाधन के रूप में भी कार्य करता है। केसर को दूध के साथ मिलाकर लगाने से त्वचा का रंग निखरता है। दूध और चंदन के साथ मिलाकर केसर लगाने से टैनिंग दूर होती है। पपीते में दूध, केसर और शहद मिलाकर लगाने से चेहरे की मृत त्वचा साफ होती है तथा चेहरे पर निखार आता है। इसके अतिरिक्त यदि केसर को नींबू, शहद और बादाम के साथ लगाने से त्वचा में कसाव आने के साथ-साथ झुर्रियों में भी कमी आती है।