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वेद, उपनिषद और संगदर्शन

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वेदो में ब्रम्हा (ईश्वर), देवता, संस्कार, इतिहाश, भूगोल, खगोल, धार्मिक नियम, ब्रम्हांड, ज्योतिषी, गणित, रशायन, औसधि, प्रकृति, रीति -रिवाज आदि विषयो के बारे में जानकारिया दी गयी है।

वेद 4 है

ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद
ऋग्वेद का आयुर्वेद, यजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गांधर्ववेद, और अथर्ववेद का स्थापत्य वेद ये क्रमशः चारो वेद के उप वेद बतलाये गए है।

 

ऋग्वेद :

ऋक अर्थात स्थति और ज्ञान।
इस वेद में भगौलिक स्थिति और देवताओ के आवाहन के मंत्रो के साथ और भी ज्ञान दायक बातो का वर्णन है है।

 

इस में देवताओ की प्रार्थना, उनकी विधिया और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है।इसमें चिकित्सा विज्ञान की भी बहुत सारी बातो का वर्णन है, जैसे जल चिकत्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा कैसे चिकित्सा की जाती है उसकी भी जानकारी इसमें उपलब्ध है।

 

 

यजुर्वेद :

यजु अर्थात गतिशील आकाश और कर्म।
यजुर्वेद में यज्ञ की विधिया और यज्ञो में प्रयोग किया जाने वाले मंत्रो की भरमार है।
इसके अलावा यजुर्वेद में तत्वज्ञान का वर्णन है, तत्वज्ञान अर्थात रहस्यमयी ज्ञान।
इस वेद में ब्रम्हांड,ईश्वर और पदार्थ के बारे में जानकारिया दी गयी है।
इस वेद की दो शाखाये है -शुक्ल और कृष्ण।

सामवेद :

साम का अर्थ है रूपांतरण और संगीत।
सौम्यता और उपासना।
इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं का संगीतमय वर्णन है।
इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवताओ का वर्णन मिलता है।
इसमें शास्त्रीय संगीत और नृत्य का भी वर्णन मिलता है, इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल मन जाता है। इसमें संगीत के वैज्ञानिक और मनो-वैज्ञानिक गतिविधियो का भी वर्णन मिलता है।

अथर्ववेद :

थर्व का अर्थ है कम्पन और अथर्व का अर्थ है अकंपन।
इस वेद में रहस्यमयी विद्याओं की भरमार है।
जारी-बूटियों का ज्ञान भरा हिअ है इसमें।
इसमें चमत्कार और आयुर्वेद आदि का जिक्र है।
इसमें भारतीय परम्परा और ज्योत्षी का भी ज्ञान मिलता है।

उपनिषद क्या है :

उपनिषद वेदो का सार है, सार मतलब निचोड़ या संछिप्त में वर्णन।
उपनिषद भारतीय अत्याधमिक चिंतन का मूल आधार है, भारतीय अत्याधमिक दर्शन का स्त्रोत है।
ईश्वर है या नहीं,मरण काया है, जीवन क्या है, आत्मा है या नहीं, ब्रम्हांड कैसा है आदि सभी गंभीर, तत्वज्ञान, योग, ध्यान, समाधी, मोक्छ आदि की बाते उपनिषद में मिलेंगी।
उपनिषद को प्रत्येक हिन्दू को पढ़ना चाहिए क्योंकी ईशवर, आत्मा, मरण, जीवन, मोक्छ और जगत के बारे में सच्चा ज्ञान की प्राप्ति उपनिषद से ही हो सकती है।
वेदो के अंतिम भाग को वेदांत कहते है, वेदांतो को ही उपनिषद कहते है।
उपनिषद में तत्वज्ञान की चर्चा है।
उपनिषदो की संख्या वैसे तो 108 है, परन्तु मुख्या 12 मने गए है – ईश, केन, कठ, प्रश्र, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक, कौषीतकि और श्रेवतास्रवतर।

संगदर्शन क्या है :

वेद से निकला है संगदर्शन, वेद को पढ़कर 6 ऋषियों ने अपना दर्शन पृष्ठक बनाया है। इसे भारत का संगदर्शन कहते है। दरअसल ये वेद के ज्ञान का श्रेणीकरण है। ये 6 दर्शन है – न्याय, वैशेषिक, शांख्या , योग, मीमांसा और वेदांत। वेदो के अनुसार सत्य या ईश्वर को किसी एक माध्यम से नहीं जाना जा सकता, इसलिए वेदो ने कई मार्गो और माध्यमों की चर्चा की है।

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