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डिप्रेशन के लिए रामबाण मानी जाती है “सोलो संजीवनी”

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लद्दाख का यह पौधा एक चमत्कारी जड़ी-बूटी है ‘सोलो’ जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ‘सोलो संजीवनी’ नाम एक पौधे का जिक्र किया है, तभी से यह पौधा चर्चाओं में बना हुआ है। 4,000 से 14,000 फुट की ऊंचाई पर उगने वाले इस पौधे के फलों को चमत्कारिक गुणों के कारण ‘संजीवनी बूटी’ माना जाता है।

यह औषधि सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रह रहे भारतीय सेना के जवानों के लिए चमत्कार साबित हो सकती है। खबरों के अनुसार अमेरिका की सरकारी एजेंसी नेशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लीमेंट्री एंड इंटिग्रेटिव हेल्थ (एनसीसीआईएच) ने सोलो पौधों पर कुछ समय पहले रिसर्च किया था। इसमें यह सामने आया था कि इसके सेवन से डिप्रेशन दूर होता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि मिथकीय महाकाव्य ‘रामायण’ में राम के भाई लक्ष्मण को जीवनदान देने वाली जड़ी-बूटी ‘संजीवनी’ की तलाश पूरी हो गई है। इस जड़ी-बूटी को स्थानीय लोग ‘सोलो’ कहते हैं। इस औषधि का नाम रहोडियोला (Rhodiola) है।

इसके गुणों के बारे में लोगों को काफी समय तक जानकारी नहीं थी। स्थानीय लोग इस पौधे के पत्ती वाले हिस्सों को सब्जी के तौर पर प्रयोग करते हैं। सोलो की 3 प्रजातियां पाई जाती हैं- सोलो कारपो (सफेद), सोलो मारपो (लाल) और सोलो सेरपो (पीली)।

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