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वैज्ञानिक 1990 में आर्कटिक कनाडा में खोजे गए ‘बैंगियोमोर्फा प्यूबेसींस’ नामक शैवाल जीवाश्म की उम्र को लेकर असंमजस में थे। अब इस नए अध्ययन से तस्वीर साफ हो सकेगी।
दुनिया का सबसे पुराना शैवाल जीवाश्म करीब एक अरब वर्ष पुराना है। इसका अर्थ है कि पौधों में होने वाले प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया 1.25 अरब वर्ष पहले ही शुरू हो गई थी। इसका पता वैज्ञानिकों ने एक शोध में लगाया है। वैज्ञानिक 1990 में आर्कटिक कनाडा में खोजे गए ‘बैंगियोमोर्फा प्यूबेसींस’ नामक शैवाल जीवाश्म की उम्र को लेकर असंमजस में थे।
अब इस नए अध्ययन से तस्वीर साफ हो सकेगी। इस सूक्ष्मजीव को आधुनिक पौधों का पूर्वज कहा जाता है। वैज्ञानिक इसकी उम्र 72 करोड़ से 1.2 अरब वर्ष के बीच मानते रहे थे। जियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि 1.8 से 0.8 अरब वर्ष पहले पृथ्वी का इतिहास जिसे ‘बोरिंग बिलियन’ कहा जाता है, वह उतना भी उबाऊ नहीं था। माना जाता था कि इस अवधि में पृथ्वी पर जीवन के विकास की गति धीमी हो गई थी। अब नए शोध के अनुसार इस काल में ही जटिल जीव संरचना के विकास की आधारशिला रखी गई थी।
कनाडा के मैक गिल विवि के शोधकर्ताओं के अध्ययन के बाद युकेरियोट के विकास का भी अनुमान लगाया जा सकता है। युकेरियोट कोशिका केंद्र वाले जीव होते हैं। मैक गिल विवि, कनाडा में शोध कर रहे छात्र गालेन हालवर्सन ने कहा कि बैंगियोमोर्फा प्यूबेसींस लाल शैवाल की तरह है। इससे मालूम होता है कि पुरातन शैवाल सूर्य के प्रकाश का प्रयोग कर कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से पोषक तत्व का संश्लेषण करते थे।