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Motivational Story :- कहते है ना, सब्र का फल मीठा होता है

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पुरानी कहावत है कि सब्र का फल मीठा होता हैं। इस कहानी के माध्यम से हम जानने की कोशिश करेगें कि कैसे संयम रखने से हमे फायदे होते हैं। एक बार एक बडे साधु अपने शिष्यों के साथ रास्त्ते से जा रहे थे। दोपहर का समय था साधु ने अपने शिष्यों से एक पेड की छाया मे ठहरने के लिए कहा।

शिष्यों ने एक पेड के नीचे बिस्तर लगा दिया और गुरूजी आराम करने के लिए बैठ गए। गुरूजी को प्यास लगी थी। गुरूजी ने अपने एक शिष्य से पानी लाने के लिए कहा।

शिष्य पानी लाने के लिए पास के एक गाव की तरफ गया। गाव के पास जाकर देखा कि पानी का एकमात्र स्त्रोत एक छोटी नदी हैं। शिष्य नदी के पास पहुंचा तो नदी मे गांव के लोगो मे से कोई नहा रहा था, कोई कपडे धो रहा था। जिसकी वजह से पानी मटमैला हो गया था। शिष्य ने सोचा अगर मैं इस गन्दे पानी को ले जाकर गुरु जी को दूगाँ तो गुरु जी को अच्छा नहीं लगेगा।

इसलिए वह खाली हाथ लौट आया। गुरु जी ने शिष्य से पानी लेकर ना आने का कारण पूछा तो शिष्य ने कहा गुरूजी यहां पानी का एकमात्र स्त्रोत गाँव के पास एक छोटी नदी ही हैं जिसमे गांव के लोग स्नान कर रहे थे, कपडे धो रहे थे।

जिसकी वजह से नदी का पानी गंदा था। अब आप ही बताओ मै आपके लिए गंदा पानी कैसे लेकर आ सकता था। कुछ देर बाद गुरूजी को और ज्यादा प्यास लगाने लगी थी। अबकी बार गुरूजी ने अपने दूसरे शिष्य को पानी लाने के लिए भेजा।

शिष्य पानी लेने चला गया और कुछ देर के बाद पानी लेकर आ गया। पानी लाकर गुरूजी को दिया। गुरूजी ने पानी पिया पानी एकदम शुद्ध था। अब गुरूजी व दूसरा शिष्य साफ पानी देखकर बडे अचंभित हो गये कि यहाँ साफ पानी कैसे मिल गया जब्कि नदी का पानी तो बहुत गंदा था। गुरूजी ने शिष्य से पूछा कि ये साफ पानी कहा से मिला।

शिष्य ने जवाब दिया कि यह पानी उस नदी का ही हैं जिसमे गांव के व्यक्ति स्नान कर रहे थे। जब मैं नदी के पास गया था तो उसमे लोग नहा रहे थे। और पानी बहुत गंदा था मैं कुछ देर वही बैठकर इन्तजार करता रहा।

जब सभी लोग नहाकर नदी से बाहर आ गये कुछ देर बाद पानी मे मिली गंदगी नीचे बैठ गयी और मैं नदी से साफ पानी लेकर आ गया। गुरूजी ने अपने शिष्य के इस कार्य के लिए बहुत प्रशंसा की।

यह कहानी हमे सिखाती है कि हमे क्रोध आने पर, या मुश्किल वक्त मे अपना धैर्य नही खोना चाहिए। क्योंकि कुछ समय बाद हमारा क्रोध, पानी की गंदगी की तरह शांत हो जाता हैं। और इसी तरह मुश्किल समय भी धीरे धीरे ठीक हो जाता हैं।

हमारे जीवन मे मुश्किलें आती रहती हैं। कभी कभी हम मुश्किलों की वजह से ही अपने लक्ष्य को अधूरा ही छोड देते है। यदि हम संयम रखते हुए कुछ और समय के लिए मुश्किलों का सामना करे तो हम अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर सकते है।

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