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जानें भटवाश पौधे के गुण और दोष

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दोस्तों इस पौधे के गुण और दोष के बारे में बताएं इसके बारे में मै सिर्फ इतना ही जानता हूं की इसकी तने से दातुन किया जाता है। इसे हमारे गांवों में भटवाश कहते हैं।

ये हमारे यहां आम के बाग में बहुत होता है मुझे आज भी याद है मेरा गांव मनोरमा नदी के किनारे है नदी के उस पार मेरा आम के पेड़ों का बगीचा था लगभग 40 से 50 पेड़ का इन पेड़ों के मध्य भटवास के लगभग हजारों की संख्या में होता था। पूरा जंगल जैसा हो जाता था। इनकी कटाई की जिम्मेदारी मेरे गांव की भुजएईन आजी ने ले रखी थी जिनको मेरे चाचा जी के द्वारा दूसरे गांव से लाकर के बसाया गया था।

ये एक दिन मे नदी के उस पार के सभी पौधें भटवास के काट कर वहीं छोड़ देते थे फ़िर ये चार दिन बाद इसको अपने घर ले आती थीं उसका उपयोग भार में जलाने के लिए करती थी पेड़ की लकड़ी का उपयोग नही करते थे पूरे साल इसिका उपयोग करते थे । इसका उपयोग औषधिय कार्य में भी किया जाता है।

  • तने का दातुन एक यूज हों गया, दूसरा इसके पत्ते और नीम के पत्ते 2 लीटर पानी में ऊबाल ले एक लीटर होने तक अब ये पानी उत्तम कीटनाशक है। इसको जानवर आदि को नहलाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इसके धूँए का प्रयोग मधुमक्खियों को छत्ते से भगाकर शहद निकालने मे किया जाता है।
  • भटवास:- दाँत के सभी रोगों में दातुन करने से लाभप्रद डायबिटिक के रोगियों को ताजे पत्तियौं को चबाने से ब्लडशुगर कम करने में सहायक!
  • इसके दातून में मुख के रोगों से लड़ने की अपार क्षमता होती है.. इसका नियमित दातून करने वाले को दांत संबंधी रोग, पायरिया आदि जैसी बीमारियां हो ही नही सकती।
  • यह त्वचा के रोगों में काम आता है। इसके पत्ते को उबाल कर उससे नहाने पर त्वचा रोग ठीक होता है।
  • कहीं पर इसे सियार का खाना बोला जाता है, गर्मियों में इसके फूलो को खाते है सियार।
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